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*** राजस्थान के भौतिक विभागों का वर्णन ***

1. पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश (शुष्क रेगिस्तानी क्षेत्र)


  • भौगोलिक स्थिति:
    • राजस्थान का पश्चिमी भाग (जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, फलौदी, बालोतरा, जोधपुर ग्रामीण, और चुरू का पश्चिमी क्षेत्र)।
  • वर्षा:
    • वार्षिक औसत 25 सेमी से कम।
  • मुख्य विशेषताएँ:
    • बालुका स्तूप (रेतीले टीले) का विस्तार।
    • सेवण घास के मैदान, जिन्हें "लाठी सीरिज" कहा जाता है।
    • अकाल वुड फॉसिल्स पार्क (जैसलमेर): 18 करोड़ वर्ष पुराने वृक्षों और जीवाश्म के अवशेष।
    • जैसलमेर, बाड़मेर, और बीकानेर में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के भंडार।

2. अरावली पर्वतीय प्रदेश

  • भौगोलिक स्थिति:
    • राजस्थान का मध्य भाग।
    • अरावली पर्वतमाला का विस्तार।
  • मुख्य विशेषताएँ:
    • प्राचीनतम शैलें (ग्रेनाइट और नीस)।
    • अरावली के पूर्व और पश्चिम में भिन्न जलवायु और भू-संरचना।
    • जलविभाजक क्षेत्र:
      • अरावली पर्वत राजस्थान के जलविभाजक के रूप में कार्य करता है।
    • खनिज संपदा: तांबा, जस्ता, चांदी आदि खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।

3. पूर्वी मैदानी प्रदेश

  • भौगोलिक स्थिति:
    • चंबल, बनास, और माही नदी बेसिन।
    • कोटा, बूंदी, बारां, और झालावाड़ के क्षेत्र।
  • मुख्य विशेषताएँ:
    • उपजाऊ मिट्टी, जिसे ब्लैक कॉटन सॉइल (काली मृदा) कहा जाता है।
    • चंबल नदी द्वारा बनाए गए बीहड़ (रवाइन)।
    • सिंचाई और कृषि के लिए महत्वपूर्ण।

4. दक्षिण-पूर्वी पठारी भाग

  • भौगोलिक स्थिति:
    • कोटा, झालावाड़, और बूंदी क्षेत्र।
    • मालवा पठार का हिस्सा।
  • मुख्य विशेषताएँ:
    • चंबल, बनास और माही नदियों का पठारी क्षेत्र।
    • दक्षिण राजस्थान का पर्वतीय और घने जंगलों वाला भाग।

अन्य उल्लेखनीय भौतिक क्षेत्र

1. लूनी-जवाई बेसिन

  • स्थिति:
    • पाली, जालौर, जोधपुर ग्रामीण, नागौर के दक्षिणी भाग।
  • विशेषता:
    • लूनी और जवाई नदी द्वारा निर्मित मैदान।
    • अर्द्धशुष्क क्षेत्र।

2. शेखावाटी प्रदेश

  • स्थिति:
    • झुंझुनू, सीकर, चुरू और डीडवाना-कुचामन क्षेत्र।
  • विशेषता:
    • बांगर क्षेत्र।
    • खारे पानी के गर्त (रन) जैसे डीडवाना, डेगाना, सुजानगढ़, और कुचामन।

3. घग्घर का मैदान

  • स्थिति:
    • गंगानगर और हनुमानगढ़ जिले।
  • विशेषता:
    • घग्घर नदी के बाढ़ क्षेत्र से निर्मित।
    • उपजाऊ भूमि और कृषि के लिए महत्वपूर्ण।

भौतिक प्रदेशों की उत्पत्ति से संबंधित भूगर्भिक तथ्य

  1. पैंजिया का विभाजन:
    • उत्तर में अंगारालैंड
    • दक्षिण में गोंडवानालैंड
    • राजस्थान का रेगिस्तानी भाग टेथिस सागर का अवशेष है।
  2. भूगर्भिक युग:
    • आर्कियन और प्री-केम्ब्रियन युग:
      • अरावली पर्वत की संरचना।
    • नवजीवी महाकल्प:
      • वायु और जल द्वारा निर्मित संरचना।

भौतिक प्रदेशों की महत्वता

  • राजस्थान के भौतिक विभाग प्रदेश की जलवायु, कृषि, और खनिज संसाधनों पर गहरा प्रभाव डालते हैं।
  • इनकी विविधता राजस्थान को पर्यटन, खनिज उत्खनन और कृषि के क्षेत्र में विशिष्ट बनाती है।

2. अरावली पर्वतीय प्रदेश

भौगोलिक स्थिति और विशेषताएँ

  • अरावली पर्वत माला विश्व की प्राचीनतम वलित पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है।
  • यह श्री-कैम्ब्रियन (पैलियोजोइक) युग की पर्वत श्रृंखला है।
  • दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व दिशा में फैली हुई है।
  • राजस्थान में विस्तार: खेडब्रह्मा (सिरोही) से खेतड़ी (नीम का थाना) तक लगभग 550 किमी।
  • समग्र लंबाई: पालनपुर (गुजरात) से दिल्ली तक।
  • यह राजस्थान को दो असमान भागों में विभाजित करती है:
    • पश्चिमी रेगिस्तानी भाग।
    • पूर्वी उपजाऊ और पठारी भाग।
  • राजस्थान के कुल क्षेत्रफल का 9.3% हिस्सा और जनसंख्या का 10% इस क्षेत्र में निवास करती है।

प्रमुख जिलों में विस्तार

सिरोही, उदयपुर, राजसमंद, अजमेर, जयपुर, दौसा, और अलवर।

  • औसत ऊंचाई: समुद्र तल से 930 मीटर।
  • दक्षिण-पश्चिम में ऊंचाई और चौड़ाई अधिक है, जबकि उत्तर-पूर्व में यह कम हो जाती है।

अरावली के तीन उप-प्रदेश (ऊँचाई के आधार पर)

1. दक्षिणी अरावली प्रदेश

  • स्थान: सिरोही, उदयपुर, सलूम्बर, डूंगरपुर, और राजसमंद।

  • प्रमुख शिखर:

    • राजस्थान की प्रमुख पर्वत चोटियाँ



गुरु शिखर (1722 मीटर): राजस्थान का सर्वोच्च शिखर (सिरोही जिले के माउंट आबू क्षेत्र में)।

अन्य चोटियाँ:

सेर (1597 मीटर, सिरोही)।

देलवाड़ा (1442 मीटर, सिरोही)।

जरगा (1431 मीटर)।

अचलगढ़ (1380 मीटर)।

कुंभलगढ़ (1224 मीटर, राजसमंद)


  • प्रमुख दर्रे (नाल):

    • जीलवा की नाल (पगल्या नाल): मारवाड़ से मेवाड़ का रास्ता।
    • सोमेश्वर की नाल: विकट तंग दर्रा।
    • हाथी गढ़ा की नाल: कुंभलगढ़ दुर्ग के पास।
    • अन्य: सरूपघाट, देसूरी की नाल (पाली), दिवेर, और हल्दी घाटी (राजसमंद)।
  • विशेषताएँ:

    • आबू पर्वत से सटा हुआ उड़िया पठार।
    • जेम्स टॉड ने गुरु शिखर को "संतों का शिखर" कहा है।
    • यह हिमालय और नीलगिरी पर्वतमाला के बीच सबसे ऊंची चोटी है।

2. मध्यवर्ती अरावली प्रदेश

  • स्थान: राजसमंद, भीलवाड़ा, अजमेर, और पाली।
  • विशेषताएँ:
    • यह क्षेत्र अरावली पर्वतमाला का अपेक्षाकृत संकरा हिस्सा है।
    • खनिज संसाधनों से समृद्ध (तांबा, सीसा, जस्ता, और संगमरमर)।
    • पुष्कर घाटी और अजमेर क्षेत्र इस प्रदेश में आते हैं।

3. उत्तरी-पूर्वी अरावली प्रदेश

  • स्थान: जयपुर, दौसा, और अलवर।
  • विशेषताएँ:
    • अरावली की ऊंचाई यहाँ सबसे कम है।
    • सरिस्का और रणथंभौर जैसी वन्यजीव अभ्यारणियाँ इस क्षेत्र का हिस्सा हैं।
    • कृषि और वन क्षेत्र।

महत्व

  • जलवायु विभाजन: अरावली राजस्थान में मानसून की दिशा को प्रभावित करती है।
  • खनिज संपदा: अरावली क्षेत्र तांबा, जस्ता, और संगमरमर का प्रमुख स्रोत है।
  • पर्यटन स्थल:
    • माउंट आबू, कुंभलगढ़ दुर्ग, अचलगढ़।
    • गुरु शिखर (धार्मिक और प्राकृतिक आकर्षण)।
  • वन्यजीव संरक्षण: सरिस्का और रणथंभौर जैसे अभ्यारण।



मध्यवर्ती और उत्तरी-पूर्वी अरावली प्रदेश की प्रमुख चोटियों का विवरण

मध्यवर्ती अरावली क्षेत्र


इस क्षेत्र का विस्तार जयपुर, जयपुर ग्रामीण, नीम का थाना, कोटपुतली, खैरथल तिजारा, दौसा तथा अलवर जिले में है। इस क्षेत्र में अरावली की श्रेणीयां अनवरत न हो कर दुर - दुर हो जाती है। इस क्षेत्र में पहाड़ीयों की सामान्य ऊँचाई 450 से 700 मी. है। इस प्रदेश की प्रमुख चोटियां:-



उत्तर-पूर्वी अरावली क्षेत्र की चोटियाँ


रघुनाथगढ़ (सीकर)   -  1055 मीटर

खोह (जयपुर ग्रामीण)  -  920 मीटर

भैरच (अलवर)  -     792 मीटर

बड़वारा (जयपुर) -   786 मीटर

बाबई (नीम का थाना) - 780 मीटर

बिलाली (अलवर) -     775 मीटर

मनोहरपुरा (जयपुर ग्रामीण )  -  747 मीटर

बैराठ (कोटपुतली)  -  704 मीटर

सरिस्का (अलवर)  -  677 मीटर

सिरावास (अलवर) -  651 मीट




पूर्वी मैदानी भाग और दक्षिण-पूर्वी पठारी भाग का विवरण

पूर्वी मैदानी भाग

यह क्षेत्र अरावली पर्वत के पूर्व में स्थित है और राजस्थान का पूर्वी हिस्सा समतल मैदान के रूप में विस्तृत है। इसका निर्माण गंगा-यमुना नदी बेसिन द्वारा किया गया है।

  • प्रमुख जिले:

  • भरतपुर, अलवर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, जयपुर, दौसा, टोंक, गंगापुर सिटी, डीग, शाहपुरा, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, और प्रतापगढ़।

  • मुख्य नदियाँ:
    चंबल, बनास, बाणगंगा, बेड़च, मोरेल, और माही।

  • उप-प्रदेश:

    उप-प्रदेशविशेषताएँ

    बनास - बाणगंग बेसिन



    बनास और इसकी सहायक नदियों द्वारा निर्मित विस्तृत मैदान। ढाल पूर्व की ओर।



    चंबल बेसिन
    कोटा, सवाई माधोपुर, करौली, और धौलपुर जिलों में फैला। चंबल के बीहड़ों का कटा-फटा क्षेत्र।
    मध्य माही बेसिन

    माही नदी द्वारा निर्मित। बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ जिलों में। छप्पन ग्राम समूह के नाम पर।


दक्षिण-पूर्वी पठारी भाग

यह भाग राजस्थान के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। इसे हाड़ौती का पठार और विन्ध्यन कगार भूमि में विभाजित किया गया है।

  • राज्य के कुल क्षेत्रफल का: 9.6%

  • जनसंख्या: 11%

  • प्रमुख जिले: कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़।

  • विशेषताएँ:

    • प्रमुख नदी: चंबल और उसकी सहायक नदियाँ (पार्वती, कालीसिद्ध, परवन)।
    • वर्षा: 80-100 सेमी वार्षिक।
    • मिट्टी: मध्यम काली मिट्टी।
    • झालावाड़ राजस्थान का सर्वाधिक वर्षा वाला जिला।
    • कपास और मूंगफली की खेती के लिए उपयुक्त।
    • यह क्षेत्र अरावली और विंध्याचल के बीच स्थित "सक्रांति प्रदेश" (Transitional Belt) कहलाता है।


  • उप-भाग:

    उप-भागविशेषताएँ

    हाड़ौती का पठार
           
    कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ जिलों में। चंबल और सहायक नदियों का प्रवाह।

    विन्ध्यन कगार भूमि
               
            धौलपुर, करौली, और सवाई माधोपुर।