राजस्थान की जलवायु को शुष्क से लेकर उप-आर्द्र मानसूनी जलवायु के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसका निर्धारण भौगोलिक स्थिति, अरावली पर्वत, समुद्र तल से ऊंचाई, और मानसूनी पवनों की दिशा जैसे कारकों पर निर्भर है।
जलवायु की प्रमुख विशेषताएँ:
- शुष्कता की प्रधानता:
- राज्य के अधिकांश भाग में शुष्क और आर्द्र जलवायु का प्रभुत्व है।
- अनियमित वर्षा:
- वर्षा असमान और अनिश्चित है, जो अक्सर सूखा और अकाल की स्थिति उत्पन्न करती है।
- वर्षा का वितरण:
- वर्षा मुख्यतः जून से सितंबर के बीच होती है।
- तापमान:
- औसतन वार्षिक तापमान: 37-38°C।
- ग्रीष्मकाल में अधिकतम तापमान 50°C तक पहुँच सकता है।
- सर्दियों में न्यूनतम तापमान 0°C के आसपास हो सकता है।
- आर्द्रता:
- जुलाई-अगस्त में सर्वाधिक और मार्च-अप्रैल में सबसे कम आर्द्रता होती है।
- शुष्क हवाएँ (लू):
- ग्रीष्मकाल में थार मरुस्थल से गर्म, शुष्क हवाएँ चलती हैं।
जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक:
- अक्षांशीय स्थिति:
- राजस्थान कर्क रेखा के उत्तर में स्थित है, जिससे यह उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु क्षेत्र में आता है।
- बांसवाड़ा और डूंगरपुर का दक्षिणी हिस्सा उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में है।
- अरावली पर्वत का प्रभाव:
- अरावली की स्थिति मानसूनी पवनों को रोकने में असमर्थ रहती है, जिससे पश्चिमी भाग अल्पवृष्टि वाला बनता है।
- समुद्र से दूरी:
- समुद्र से दूर होने के कारण राजस्थान में उच्च तापमान और कम आर्द्रता होती है।
- भौगोलिक विविधता:
- समुद्र तल से ऊंचाई में वृद्धि के साथ तापमान में कमी होती है।
जलवायु के क्षेत्रीय विभाजन:
राजस्थान को जलवायु की दृष्टि से पाँच भागों में बाँटा गया है:
- शुष्क जलवायु प्रदेश (0-20 सेमी वर्षा):
- जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, गंगानगर।
- अर्द्ध शुष्क जलवायु प्रदेश (20-40 सेमी वर्षा):
- जोधपुर, नागौर, चूरू।
- उपआर्द्र जलवायु प्रदेश (40-60 सेमी वर्षा):
- अजमेर, भीलवाड़ा, टोंक।
- आर्द्र जलवायु प्रदेश (60-80 सेमी वर्षा):
- कोटा, बूंदी, बारां।
- अति आर्द्र जलवायु प्रदेश (80-100 सेमी वर्षा):
- बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़।
कोपेन के जलवायु वर्गीकरण के अनुसार राजस्थान:
डॉ. व्लादिमीर कोपेन ने जलवायु को मुख्यतः तापमान और वर्षा के आधार पर वर्गीकृत किया। राजस्थान के संदर्भ में कोपेन के अनुसार:
- Aw (उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु):
- डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, दक्षिणी चित्तौड़, और झालावाड़।
- BShw (अर्द्ध शुष्क जलवायु):
- अरावली के पश्चिम का भाग।
- BWhw (उष्ण शुष्क जलवायु):
- जैसलमेर, बीकानेर, गंगानगर, चूरू का हिस्सा।
- Cwg (उप-आर्द्र जलवायु):
- पूर्वी और मध्य राजस्थान।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- राजस्थान में औसतन वार्षिक वर्षा 57.5 सेमी है।
- सबसे कम वर्षा जैसलमेर (10-20 सेमी) और सबसे अधिक वर्षा बांसवाड़ा (80-100 सेमी) में होती है।
- राज्य का दक्षिण-पश्चिम भाग अधिक आर्द्र है, जबकि पश्चिमी भाग अधिक शुष्क है।
- ग्रीष्मकाल में "लू" और सर्दियों में शीत लहरें जलवायु की विशिष्टताएँ हैं।
राजस्थान की जलवायु: थार्नवेट, ट्रिवार्था और कृषि के अनुसार वर्गीकरण
राजस्थान की जलवायु को विभिन्न वर्गीकरण प्रणालियों के आधार पर समझा जा सकता है। थार्नवेट और ट्रिवार्था जैसे वैज्ञानिकों ने स्थानीय वनस्पति, वाष्पीकरण, वाष्पोत्सर्जन, और वर्षा के आधार पर इसे वर्गीकृत किया है।
1. थार्नवेट के अनुसार जलवायु वर्गीकरण:
थार्नवेट का वर्गीकरण राजस्थान में अधिक मान्य है। इसने वाष्पोत्सर्जन (Evapotranspiration), वाष्पीकरण (Evaporation), तापमान, वर्षा, और वनस्पति को आधार बनाया।
जलवायु प्रदेश:
- CA'w (उपआर्द्र जलवायु प्रदेश):
- उप-आर्द्र क्षेत्र, जहाँ औसत वर्षा 60-80 सेमी होती है।
- DA'w (उष्ण आर्द्र जलवायु प्रदेश):
- 40-60 सेमी वर्षा वाला क्षेत्र।
- DB'w (अर्द्ध शुष्क जलवायु प्रदेश):
- 20-40 सेमी वर्षा वाला क्षेत्र।
- EA'd (उष्ण शुष्क मरुस्थलीय जलवायु प्रदेश):
- 0-20 सेमी वर्षा वाला क्षेत्र।
2. ट्रिवार्था के अनुसार जलवायु वर्गीकरण:
ट्रिवार्था ने कोपेन के वर्गीकरण को सरल और बोधगम्य बनाकर प्रस्तुत किया।
जलवायु प्रदेश:
- Aw (उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु):
- दक्षिणी राजस्थान (डूंगरपुर, बांसवाड़ा)।
- BSh (उष्ण और अर्द्ध उष्ण कटिबंधीय स्टेपी जलवायु):
- अरावली के पश्चिम में।
- BWh (मरुस्थलीय या शुष्क जलवायु):
- थार मरुस्थल (जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर)।
- Caw (अर्द्ध उष्ण आर्द्र जलवायु):
- अरावली के पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र।
3. कृषि के अनुसार जलवायु प्रदेश:
राजस्थान को कृषि जलवायु के आधार पर 10 प्रदेशों में विभाजित किया गया है:
- शुष्क पश्चिमी मैदानी क्षेत्र:
- जैसलमेर, बाड़मेर।
- सिंचित उत्तरी पश्चिमी मैदानी क्षेत्र:
- श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़।
- शुष्क आंशिक सिंचित क्षेत्र:
- नागौर, चूरू।
- अंतःप्रवाही क्षेत्र:
- जोधपुर, पाली।
- लूनी बेसिन क्षेत्र:
- लूनी नदी का बेसिन।
- पूर्वी मैदानी क्षेत्र:
- भरतपुर, धौलपुर।
- अर्द्ध शुष्क जलवायु प्रदेश:
- जयपुर, सीकर।
- उप आर्द्र जलवायु प्रदेश:
- कोटा, बूंदी।
- आर्द्र जलवायु प्रदेश:
- डूंगरपुर, बांसवाड़ा।
- अति आर्द्र जलवायु प्रदेश:
- दक्षिणी बांसवाड़ा।
राजस्थान की ऋतुएँ:
1. ग्रीष्म ऋतु (मार्च-मध्य जून):
- मई-जून में सर्वाधिक गर्मी।
- लू चलती है।
- वायुदाब में कमी के कारण तेज़ हवाएँ और आंधी चलती है।
2. वर्षा ऋतु (मध्य जून-सितंबर):
- बंगाल की खाड़ी मानसून:
- पूर्व से प्रवेश करता है, राज्य के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में वर्षा।
- अरब सागर मानसून:
- दक्षिण-पश्चिम से प्रवेश करता है लेकिन अरावली के समानांतर होने के कारण अल्प वर्षा करता है।
- भूमध्यसागरीय मानसून (पश्चिमी विक्षोभ):
- सर्दियों में उत्तर-पश्चिमी भाग में "मावठ" (शीतकालीन वर्षा)।
3. शीत ऋतु (नवंबर-फरवरी):
- भूमध्यसागरीय चक्रवातों के कारण सर्दी।
- मावठ की वर्षा गेहूँ और सरसों की फसल के लिए लाभकारी होती है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- मावठ (Golden Drops):
- सर्दियों में शीतकालीन वर्षा।
- इसे "अमृत बूंदें" भी कहा जाता है।
- वर्षा का वितरण:
- सबसे अधिक वर्षा: बांसवाड़ा और डूंगरपुर।
- सबसे कम वर्षा: जैसलमेर और बाड़मेर।
- ग्रीष्मकाल:
- अधिकतम तापमान 50°C तक जा सकता है।
राजस्थान की जलवायु विविध और चुनौतीपूर्ण है, जिसमें कृषि और जनजीवन मानसून, सूखा, और मावठ जैसी जलवायु स्थितियों पर निर्भर करते हैं।
पृथ्वी की गति और प्रभाव:
1. दैनिक गति (घूर्णन गति):
- पृथ्वी अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर 23.5° के झुकाव के साथ घूमती है।
- गति: 1610 किमी/घंटा।
- अवधि: 23 घंटे 56 मिनट 4 सेकंड।
- परिणाम:
- दिन और रात का निर्माण।
2. वार्षिक गति (परिक्रमण गति):
- पृथ्वी सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती है।
- अवधि: 365 दिन, 5 घंटे, 48 मिनट, 46 सेकंड।
- इसे सौर वर्ष कहा जाता है।
- परिणाम:
- ऋतुओं का परिवर्तन।
- दिन और रात की लंबाई में अंतर।
- सूर्य की किरणों का सीधा प्रभाव बदलता है।
महत्वपूर्ण तिथियाँ:
- 21 मार्च और 23 सितंबर (विषुव):
- सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर सीधी पड़ती हैं।
- दिन और रात की अवधि समान होती है।
महत्वपूर्ण जलवायु और खगोलीय घटनाएँ
1. विषुव (Equinox):
विषुव वह स्थिति है जब सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर सीधी पड़ती हैं।
- तिथियाँ:
- 21 मार्च (वसंत विषुव): दिन और रात समान होते हैं।
- 23 सितंबर (शरद विषुव): दिन और रात की अवधि फिर से बराबर होती है।
2. आयन (Tropic Zone):
आयन वह क्षेत्र है जहाँ सूर्य की किरणें वर्ष में कम से कम एक बार सीधी पड़ती हैं।
- उत्तर आयन (उत्तरायण): 0° से 23.5° उत्तरी अक्षांश।
- दक्षिण आयन (दक्षिणायन): 0° से 23.5° दक्षिणी अक्षांश।
3. आयनांत (Tropic Limits):
यह आयन का अंतिम बिंदु होता है।
उत्तरायणांत (Tropic of Cancer):
- स्थान: 23.5° उत्तरी अक्षांश।
- तिथि: 21 जून।
- घटनाएँ:
- सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर लंबवत पड़ती हैं।
- उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे लंबा दिन और छोटी रात।
- प्रभाव:
- उत्तरी गोलार्द्ध: ग्रीष्म ऋतु।
- दक्षिणी गोलार्द्ध: शरद ऋतु।
दक्षिणायनांत (Tropic of Capricorn):
- स्थान: 23.5° दक्षिणी अक्षांश।
- तिथि: 22 दिसंबर।
- घटनाएँ:
- सूर्य की किरणें मकर रेखा पर लंबवत पड़ती हैं।
- दक्षिणी गोलार्द्ध में सबसे लंबा दिन और छोटी रात।
- प्रभाव:
- दक्षिणी गोलार्द्ध: ग्रीष्म ऋतु।
- उत्तरी गोलार्द्ध: शरद ऋतु।
4. कटिबंध और गोर (Latitude & Longitude Belts):
- कटिबंध: किसी भी दो अक्षांश रेखाओं के बीच का क्षेत्र।
- गोर: किसी भी दो देशांतर रेखाओं के बीच का क्षेत्र।
भारत का स्थान:
- भारत उष्णकटिबंधीय (Tropical Zone) और शीतोष्ण कटिबंध (Temperate Zone) के बीच स्थित है।
- राजस्थान उपोष्ण कटिबंध में है।
5. मानसून (Monsoon):
- शब्द की उत्पत्ति:
- अरबी भाषा के मौसिन से, जिसका अर्थ है "ऋतु विशेष में बदलती हवाएँ"।
ग्रीष्मकालीन (दक्षिण-पश्चिम मानसून):
- दिशा: दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व।
- शाखाएँ:
- अरब सागर शाखा:
- राजस्थान में सबसे पहले सक्रिय होती है।
- बंगाल की खाड़ी शाखा:
- राजस्थान और भारत में सर्वाधिक वर्षा करती है।
- अरब सागर शाखा:
- मुख्य तिथियाँ:
- 1 जून को मानसून केरल के तट (मालाबार) पर प्रवेश करता है।
शीतकालीन मानसून:
- राजस्थान में इसका प्रभाव नहीं होता, लेकिन तमिलनाडु के कोरोमंडल तट पर वर्षा होती है।
- उदाहरण:
- चीन में इस मानसून से अधिकतम वर्षा होती है।
6. मावठ (Winter Rain):
- कारण: भूमध्य सागर से उत्पन्न पश्चिमी विक्षोभ।
- प्रभाव: उत्तर भारत और राजस्थान में सर्दियों के दौरान हल्की बारिश।
- महत्व:
- इसे गोल्डन ड्रॉप्स या स्वर्णिम बूँदें कहा जाता है।
- रबी की फसल (गेहूँ) के लिए उपयोगी।
8. वृष्टि छाया प्रदेश (Rain Shadow Region):
- अरावली पर्वतमाला राजस्थान में मानसून की वर्षा को रोकती है।
- इसके पश्चिमी भाग में कम वर्षा होती है, जिससे यह वृष्टि छाया क्षेत्र बनता है।
9. अल-नीनो और ला-नीनो:
अल-नीनो:
- प्रशांत महासागर में गर्म जलधारा।
- भारतीय मानसून को कमजोर करती है।
- अल्पवृष्टि और सूखे की स्थिति।
ला-नीनो:
- प्रशांत महासागर में ठंडी जलधारा।
- भारतीय मानसून को मजबूत करती है।
- अतिवृष्टि और बाढ़ की स्थिति।
10. उपसौर और अपसौर:
- उपसौर (Perihelion):
- सूर्य और पृथ्वी के बीच न्यूनतम दूरी (147 मिलियन किमी)।
- तिथि: 3 जनवरी।
- अपसौर (Aphelion):
- सूर्य और पृथ्वी के बीच अधिकतम दूरी (151 मिलियन किमी)।
- तिथि: 4 जुलाई।
महत्वपूर्ण जलवायु तथ्य: राजस्थान और विश्व
विश्व के स्थान:
सबसे गर्म स्थान:
- अल-अज़ीज़िया (लिबिया): सहारा मरुस्थल।
सबसे ठंडा स्थान:
- ओयम्याकॉन (रूस): बर्फीला साइबेरिया।
सबसे आर्द्र स्थान:
- मौसिनराम (मेघालय, भारत): विश्व की सबसे अधिक वर्षा वाला स्थान।
सबसे शुष्क स्थान:
- अटाकामा मरुस्थल (चिली): यहां वर्षा लगभग न के बराबर होती है।
भारत के स्थान:
सबसे गर्म राज्य:
- राजस्थान।
सबसे गर्म स्थान:
- फलौदी (जोधपुर), जहाँ 2016 में तापमान 51°C दर्ज किया गया।
सबसे ठंडा राज्य:
- जम्मू-कश्मीर।
सबसे ठंडा स्थान:
- लेह (लद्दाख): न्यूनतम तापमान -46°C तक जाता है।
सबसे आर्द्र राज्य:
- केरल।
सबसे आर्द्र स्थान:
- मौसिनराम (मेघालय)।
सबसे शुष्क राज्य:
- राजस्थान।
सबसे शुष्क स्थान:
- सम (जैसलमेर)।
सबसे कम वर्षा वाला राज्य:
- पंजाब।
सबसे कम वर्षा वाला स्थान:
- लेह (लद्दाख)।
राजस्थान के स्थान:
सबसे गर्म स्थान:
- फलौदी (जोधपुर)।
सबसे ठंडा स्थान:
- माउंट आबू (सिरोही)।
सबसे आर्द्र स्थान:
- माउंट आबू।
सबसे आर्द्र जिला:
- झालावाड़।
सबसे शुष्क स्थान:
- सम (जैसलमेर)।
सबसे शुष्क जिला:
- जैसलमेर।
सबसे अधिक तापांतर (वार्षिक):
- चुरू।
सबसे अधिक तापांतर (दैनिक):
- जैसलमेर।
वनस्पति रहित क्षेत्र:
- सम (जैसलमेर)।
राजस्थान में सर्वाधिक धूल भरी आंधियां:
- श्री गंगानगर।
विशेष जलवायु घटनाएँ राजस्थान में:
शीत लहर (कोल्ड वेव):
- साइबेरिया से आने वाली ठंडी हवाओं और हिमालय के कारण।
- इसे जाड़ा कहते हैं।
लू (गर्म हवाएं):
- ग्रीष्मकाल में थार मरुस्थल में चलती हैं।
चक्रवाती वर्षा:
- दक्षिण राजस्थान में तेज हवाओं के साथ होती है।
पाला:
- दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी भागों में ठंड के कारण होता है।
मानसून का प्रवेश द्वार:
- झालावाड़ और बांसवाड़ा।
सूर्य की सीधी किरणें:
- 21 जून को, उत्तरी आयन (कर्क रेखा) पर।
- 22 दिसंबर को सूर्य की किरणें राजस्थान के श्री गंगानगर में तिरछी पड़ती हैं।
राजस्थान की जलवायु:
- प्रकार: उपोष्ण कटिबंधीय।
- वर्षा:
- दक्षिण-पश्चिम मानसून से अधिकतम।
- औसत वर्षा कम: 250-400 मिमी (जैसलमेर जैसे स्थानों में)।
- गर्मी:
- तापमान गर्मियों में 50°C तक जाता है।
- सर्दी:
- तापमान माउंट आबू जैसे स्थानों में शून्य से नीचे (-4°C) पहुँचता है।