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भील जनजाति का विवरण

 

  1. निवास स्थान

    • मुख्य क्षेत्र: भौमट क्षेत्र (उदयपुर)
    • सबसे अधिक भील जनसंख्या बांसवाड़ा जिले में निवास करती है।
  2. नाम का अर्थ

    • "भील" शब्द की उत्पत्ति द्रविड़ भाषा के शब्द "बील" से हुई है, जिसका अर्थ है "कमान"
  3. इतिहास में उल्लेख

    • कर्नल टॉड: भीलों को "वनपुत्र" कहा।
    • टॉलमी: भीलों को "फिलाइट" (तीरंदाज) कहा।
    • राजस्थान की सबसे प्राचीन जनजाति है।
  4. घर और बस्तियां

    • घरों को: कू या टापरा
    • झोपड़ियों के समूह: फला
    • बड़े गांव: पाल
    • गांव का मुखिया: गमेती/पालती
  5. वस्त्र

    • ठेपाडा/ढेपाडा: भील पुरुषों की तंग धोती।
    • खोयतू: लंगोटी।
    • फालू: साधारण धोती।
    • पोत्या: सफेद साफा।
    • पिरिया: दुल्हन की पीले रंग की साड़ी।
    • सिंदूरी: लाल रंग की साड़ी।
    • कछावू: लाल और काले रंग का घाघरा।
  6. लोकगीत और नृत्य

    • लोकगीत: सुवंटिया (स्त्रियों द्वारा), हमसीढ़ो (युगल गीत)।
    • नृत्य: गवरी, राई, गैर, ढिचकी, हाथीमना, घुमरा।
  7. प्रमुख मेले

    • बेणेश्वर मेला (डूंगरपुर): माघ पूर्णिमा पर।
    • घोटिया अंबा मेला (बांसवाड़ा): चैत्र अमावस्या पर, जिसे "भीलों का कुंभ" कहते हैं।
  8. कुल देवता और देवी

    • कुल देवता: टोटम देव।
    • कुल देवी: आमजा माता/केलड़ा माता (केलवाड़ा, उदयपुर)।
  9. विवाह प्रथाएं

    • हरण विवाह: लड़की को भगाकर।
    • परीक्षा विवाह: पुरुष के साहस का प्रदर्शन।
    • क्रय विवाह (दापा करना): वधू का मूल्य चुकाकर।
    • सेवा विवाह: वर द्वारा सास-ससुर की सेवा।
    • हठ विवाह: लड़का-लड़की का भागकर विवाह।
  10. विशेष प्रथाएं

  • हाथी वेडो: बांस, पीपल, या सागवान के समक्ष फेरे लिए जाते हैं।
  • भंगोरिया उत्सव: जीवनसाथी का चयन।
  • मृत्यु भोज: इसे काटा कहा जाता है।
  1. खेती की पद्धतियां
  • झुनिंग कृषि: पहाड़ों पर वनों को काटकर या जलाकर भूमि साफ करना।
  • वालर/दजिया: मैदानी क्षेत्रों में भूमि साफ कर खेती।
  1. अन्य विशेषताएं
  • भील पुरुष और महिलाएं फाइरे-फाइरे रणघोष करते हैं।
  • वैवाहिक अवसर पर लोक देवी का भित्ति चित्र, जिसे भराड़ी कहते हैं।
  • केसरिया नाथ जी/आदिनाथ जी के चढ़ी हुई केसर का पानी पीने के बाद कभी झूठ नहीं बोलते।