निवास स्थान
- मुख्य क्षेत्र: जयपुर के आस-पास का क्षेत्र, पूर्वी राजस्थान।
नाम का अर्थ
- "मीणा" शब्द का शाब्दिक अर्थ मछली है, जो "मीन" धातु से बना है।
गुरु और ग्रंथ
- गुरु: आचार्य मुनि मगन सागर।
- ग्रंथ: "मीणा पुराण" आचार्य मुनि मगन सागर द्वारा रचित।
जनसंख्या
- यह जनजाति भारत की जनजातियों में सबसे अधिक जनसंख्या वाली है।
बाहुल्य क्षेत्र
- जयपुर प्रमुख क्षेत्र है।
कुल देवता और कुल देवी
- कुल देवता: भूरिया बाबा / गोतमेश्वर।
- कुल देवी: जीणमाता (रेवासा, सीकर)।
शासन का इतिहास
- कछवाहा वंश के शासन से पूर्व आमेर में मीणाओं का शासन था।
विशेषताएँ
- मीणा जनजाति सबसे सम्पन्न और शिक्षित जनजाति मानी जाती है।
मीणा वर्गों का विभाजन
- चौकीदार मीणा: राजकीय खजाने की सुरक्षा करने वाले।
- जमीदार मीणा: खेती और पशुपालन का कार्य करने वाले।
- चर्मकार मीणा: चमड़े का व्यवसाय करने वाले।
- पडिहार मीणा: भैंस का मांस खाने वाले (टोंक व बूंदी में)।
- रावत मीणा: स्वर्ण राजपूतों से संबंध रखने वाले।
- सुरतेवाला मीणा: अन्य जातियों से वैवाहिक संबंध रखने वाले।
गांव और पंचायत व्यवस्था
- गांव: मीणा जाति के गांव "ढाणी" कहलाते हैं।
- गांव का मुखिया: पटेल।
- सबसे बड़ी पंचायत: चैरासी पंचायत।
मेलों का आयोजन
- भूरिया बाबा का मेला: अरणोद (प्रतापगढ़) में वैसाख पूर्णिमा को।
- जीणमाता का मेला: रेवासा (सीकर) में नवरात्रि के दौरान।
देवी-देवता
- देवी-देवताओं को "बुझ देवता" कहा जाता है।
विशेष प्रथाएँ
- नाता (नतारा) प्रथा: विवाहित स्त्री अपने पति और बच्चों को छोड़कर दूसरे पुरुष से विवाह कर लेती है।
- छेड़ा फाड़ना: तलाक प्रथा जिसमें पति नई साड़ी के पल्लू में रुपए बांधकर उसे फाड़कर पत्नी को पहनाता है। ऐसी स्त्री को परित्यक्त माना जाता है।
- झगड़ा राशि: जब कोई पुरुष दूसरे की पत्नी को भगाकर ले जाता है, तो पंचायत द्वारा तय झगड़ा राशि का जुर्माना देना होता है।