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मीणा जनजाति का विवरण


  1. निवास स्थान

    • मुख्य क्षेत्र: जयपुर के आस-पास का क्षेत्र, पूर्वी राजस्थान।
  2. नाम का अर्थ

    • "मीणा" शब्द का शाब्दिक अर्थ मछली है, जो "मीन" धातु से बना है।
  3. गुरु और ग्रंथ

    • गुरु: आचार्य मुनि मगन सागर।
    • ग्रंथ: "मीणा पुराण" आचार्य मुनि मगन सागर द्वारा रचित।
  4. जनसंख्या

    • यह जनजाति भारत की जनजातियों में सबसे अधिक जनसंख्या वाली है।
  5. बाहुल्य क्षेत्र

    • जयपुर प्रमुख क्षेत्र है।
  6. कुल देवता और कुल देवी

    • कुल देवता: भूरिया बाबा / गोतमेश्वर।
    • कुल देवी: जीणमाता (रेवासा, सीकर)।
  7. शासन का इतिहास

    • कछवाहा वंश के शासन से पूर्व आमेर में मीणाओं का शासन था।
  8. विशेषताएँ

    • मीणा जनजाति सबसे सम्पन्न और शिक्षित जनजाति मानी जाती है।
  9. मीणा वर्गों का विभाजन

    • चौकीदार मीणा: राजकीय खजाने की सुरक्षा करने वाले।
    • जमीदार मीणा: खेती और पशुपालन का कार्य करने वाले।
    • चर्मकार मीणा: चमड़े का व्यवसाय करने वाले।
    • पडिहार मीणा: भैंस का मांस खाने वाले (टोंक व बूंदी में)।
    • रावत मीणा: स्वर्ण राजपूतों से संबंध रखने वाले।
    • सुरतेवाला मीणा: अन्य जातियों से वैवाहिक संबंध रखने वाले।
  10. गांव और पंचायत व्यवस्था

    • गांव: मीणा जाति के गांव "ढाणी" कहलाते हैं।
    • गांव का मुखिया: पटेल
    • सबसे बड़ी पंचायत: चैरासी पंचायत
  11. मेलों का आयोजन

    • भूरिया बाबा का मेला: अरणोद (प्रतापगढ़) में वैसाख पूर्णिमा को।
    • जीणमाता का मेला: रेवासा (सीकर) में नवरात्रि के दौरान।
  12. देवी-देवता

    • देवी-देवताओं को "बुझ देवता" कहा जाता है।
  13. विशेष प्रथाएँ

    • नाता (नतारा) प्रथा: विवाहित स्त्री अपने पति और बच्चों को छोड़कर दूसरे पुरुष से विवाह कर लेती है।
    • छेड़ा फाड़ना: तलाक प्रथा जिसमें पति नई साड़ी के पल्लू में रुपए बांधकर उसे फाड़कर पत्नी को पहनाता है। ऐसी स्त्री को परित्यक्त माना जाता है।
    • झगड़ा राशि: जब कोई पुरुष दूसरे की पत्नी को भगाकर ले जाता है, तो पंचायत द्वारा तय झगड़ा राशि का जुर्माना देना होता है।