1. इतिहास के कालखंड
- प्रागैतिहासिक काल:
- लिखित सामग्री का अभाव।
- इतिहास केवल पुरातात्विक सामग्रियों के आधार पर जाना जाता है।
- उदाहरण: पाषाण काल।
- आद्यऐतिहासिक काल:
- लेखन कला का ज्ञान, लेकिन लिपि अपठनीय।
- उदाहरण: सिन्धु घाटी सभ्यता।
- ऐतिहासिक काल:
- पठन योग्य लिखित सामग्री उपलब्ध।
- उदाहरण: वैदिक काल।
2. राजस्थान का पाषाणकाल
- राजस्थान में मानव सभ्यता के प्रारंभिक साक्ष्य नदी घाटियों में पाए गए।
- पाषाणकाल के तीन चरण:
- पुरा पाषाण काल
- मध्य पाषाण काल
- उत्तर पाषाण काल
3. पुरा पाषाण काल (10 लाख वर्ष पूर्व - 10 हजार वर्ष पूर्व)
- महत्वपूर्ण खोजें:
- सन् 1870: सी.ए. हैकट ने 'हैण्डएक्स', 'एश्यूलियन' और 'क्लीवर' उपकरण खोजे।
- दौसा क्षेत्र में कठोर पाषाण व मानव अस्थियों की प्राप्ति (ए.सी.एल. कार्लाइल)।
- झालावाड़ जिले में उपकरणों की खोज (सेटनकार)।
- महत्वपूर्ण स्थान:
- बूढ़ा पुष्कर (अजमेर)।
- जैसलमेर।
- लूनी नदी क्षेत्र (पश्चिमी राजस्थान)।
- जालौर जिले के बालू टीलों में खोज।
4. प्राकृतिक गुफाएँ एवं शैलाश्रय
- विराट नगर:
- प्रारंभिक पाषाण काल से उत्तर पाषाण काल तक की सामग्री।
- चित्रों का अभाव।
- भरतपुर जिले का 'दर' स्थान:
- चित्रित शैलाश्रय।
- प्रमुख चित्र:
- मानवाकृति।
- व्याघ्र (बाघ)।
- बारहसिंगा।
- सूर्य।
5. पुरापाषाणकालीन मानव का जीवन
- आहार:
- वन्य पशुओं का शिकार।
- प्राकृतिक रूप से प्राप्त कंद, मूल, फल।
- पक्षी व मछलियाँ।
- तकनीकी ज्ञान:
- आग जलाना सीख लिया।
- पहिये का ज्ञान नहीं था।
6 मध्यपाषाण काल (10,000 वर्ष पूर्व)
- औजार:
- प्रमुख उपकरण: स्क्रेपर और पाइंट।
- उपकरण बनाने में सूक्ष्मता आई।
- स्थान:
- लूनी नदी और उसकी सहायक नदियों की घाटियाँ।
- चित्तौड़गढ़ की बेड़च नदी की घाटी।
- विराटनगर।
- विशेषता:
- मानव ने पशुपालन आरंभ किया।
- कृषि का ज्ञान अभी तक नहीं था।
2. उत्तर/नवपाषाण काल (5,000 ईसा पूर्व)
- औजार:
- अधिक परिष्कृत उपकरण।
- स्थान:
- चित्तौड़गढ़ की बेड़च और गंभीरी नदियों के तट।
- चम्बल और बामनी नदी के तट: भैंसरोड़गढ़, नवाघाट।
- बनास नदी के तट: हमीरगढ़, जहाजपुर, देवली, गिलूंड।
- लूनी नदी के तट: पाली, समदड़ी।
- टोंक जिले का भरनी।
- तकनीकी प्रगति:
- हाथ से और चाक से बर्तन बनाना।
- मानव पहिये से परिचित हुआ।
- कृषि:
- कपास की खेती शुरू हुई।
- समाज:
- वर्गीकरण की शुरुआत: व्यवसायों के आधार पर समाज का विभाजन।
- जाति व्यवस्था का उदय।
- महत्वपूर्ण स्थल:
- उदयपुर: बागोर।
- मारवाड़: तिलवाड़ा।
3. 'पाषाणकालीन क्रांति'
- इस युग को पुराविद् गार्डन चाइल्ड ने 'पाषाणकालीन क्रांति' का नाम दिया।
- इसका अर्थ है मानव जीवन में बड़े बदलाव:
- औजारों में सुधार।
- कृषि और पशुपालन का विकास।
- समाजिक और आर्थिक संरचना में बदलाव।
1. ताम्रयुगीन संस्कृति का परिचय
- मानव ने धातु उपयोग का आरंभ ताँबे से किया।
- ताम्रयुग के बाद मिश्रित धातु कांसा (ताँबा + टिन) का उपयोग हुआ।
- बाद में लोहे के उपयोग से लौह युग की शुरुआत हुई।
- धातुओं के प्रयोग के आधार पर विभिन्न युगों का नामकरण:
- ताम्रयुगीन।
- कांस्ययुगीन।
- लौह युगीन।
2. ताम्रयुगीन सभ्यता की विशेषताएँ
- उपकरण और हथियार:
- ताँबे से औजार और हथियार बनाना शुरू किया।
- पत्थर के औजारों की तुलना में धातु के औजार अधिक टिकाऊ और प्रभावी थे।
- कृषि और पशुपालन:
- कृषि में सुधार हुआ।
- पशुपालन को बढ़ावा मिला।
- शिल्प और निर्माण:
- धातु शिल्पकला का विकास।
- भवन और वस्त्र निर्माण में प्रगति।
- आर्थिक प्रगति:
- धातु उपकरणों ने उत्पादन में वृद्धि की।
- व्यापार का विस्तार हुआ।
3. प्रमुख ताम्रयुगीन स्थल
- राजस्थान:
- आहड़ (उदयपुर)
- गिलूंड (चित्तौड़गढ़)
- बलाथल (उदयपुर)
- अन्य स्थान:
- सिन्धु घाटी सभ्यता के कुछ स्थल।
- महाराष्ट्र के जोरवे और इनामगांव।
4. ताम्रयुग का महत्व
- यह युग मानव सभ्यता के विकास का महत्वपूर्ण चरण है।
- ताम्र उपकरणों ने कृषि, युद्ध, और व्यापार में नई संभावनाओं को जन्म दिया।
- ताम्रयुगीन संस्कृति ने कांस्ययुगीन और लौह युगीन संस्कृतियों के विकास की नींव रखी।
प्राचीन सभ्यताएँ और स्थल
ताम्रयुगीन सभ्यताएँ | |
---|---|
1 | आहड़ (उदयपुर) |
2 | गणेश्वर (नीम का थाना) |
3 | झाड़ौल (उदयपुर) |
4 | गिलूण्ड (राजसमंद) |
5 | झाड़ौल (उदयपुर) |
6 | पिण्ड-पहाड़ियाँ (चित्तौड़गढ़) |
7 | कुराड़ा (नागौर) |
8 | साबणिया व पूगल (बीकानेर) |
9 | नन्दलालपुरा (जयपुर |
10 | किराडोल (जयपुर) |
11 | चीथवाड़ी (जयपुर) |
12 | एलाना (जालौर) |
13 | बूढ़ा पुष्कर (अजमेर) |
14 | काल माहोली (स. माधोपुर) |
15 | मलाह (भरतपुर) |
16 | बालाथल (उदयपुर) |
17 | ओझियाना (भीलवाड़ा |
कांस्ययुगीन सभ्यता | |
1 | कालीबंगा (हनुमानगढ़) |
लौहयुगीन सभ्यताएँ | |
1 | नोह (भरतपुर) |
2 | जोधपुरा (जयपुर) |
3 | सुनारी (नीम का थाना) |
4 | रैढ़ (टॉक) |
5 | ईसवाल (उदयपुर)) |
6 | बैराठ (कोटपूतली बहरोड) |
7 | बरार (श्रीगंगानगर) |
8 | नलियासर (जयपुर) |
9 | भीनमाल (जालौर)) |
9 | नगरी (चित्तौड़गढ़) |