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राजपूत युग का समयकाल


  1. कालावधि:
    • हर्षवर्धन की मृत्यु (648 ई.) से दिल्ली सल्तनत की स्थापना (1206 ई.) तक।
  2. प्रमुख राजपूत वंश:
    • गुर्जर प्रतिहार, चौहान, गुहिल, परमार, चालुक्य, राठौड़।

राजपूतों की उत्पत्ति के विभिन्न सिद्धांत

1. अग्निकुंड से उत्पत्ति

  • स्रोत: चंदबरदाई का 'पृथ्वीराजरासो'
  • चार वंश: प्रतिहार, परमार, चालुक्य और चौहान ऋषि वशिष्ठ के यज्ञ कुण्ड से उत्पन्न।
  • आलोचना:
    • इसे बनावटी व अव्यावहारिक बताया गया।
    • इतिहासकारों (गौरीशंकर हीराचंद ओझा, सी.वी. वैद्य, दशरथ शर्मा) ने इसे निराधार माना।
    • यह प्रतीकात्मक हो सकता है, विदेशी आक्रमण के समय राजपूतों की संगठित प्रतिरोध शक्ति दर्शाता है।

2. प्राचीन क्षत्रियों से उत्पत्ति

  • प्रस्तावक: गौरीशंकर हीराचंद ओझा।
  • आधार:
    • सूर्यवंशीय और चंद्रवंशीय क्षत्रियों के वंशज।
    • शिलालेख और साहित्यिक ग्रंथों के प्रमाण।
  • मान्यता: यह मत सर्वाधिक स्वीकृत और लोकप्रिय है।

3. विदेशी उत्पत्ति सिद्धांत

  • प्रस्तावक: कर्नल जेम्स टॉड।

  • तर्क:

    • शक, सीथियन, और हूण जातियों से संबंध।
    • समान रीति-रिवाज: सूर्य पूजा, सती प्रथा, अश्वमेध यज्ञ, मद्यपान।
  • आलोचना:

    • गौरीशंकर ओझा ने खंडन किया।
    • रीति-रिवाज भारतीय वैदिक परंपरा से संबद्ध।
  • डॉ. डी.आर. भंडारकर:

    • राजपूतों को गुर्जर और श्वेत-हूणों से जोड़ा।
    • प्रतिहार, परमार, चालुक्य और चौहान को गुर्जर बताया।
    • बिजौलिया शिलालेख के आधार पर कुछ वंशों को ब्राह्मणों से उत्पन्न माना।
  • आलोचना:

    • "गुर्जर" जाति नहीं, भौगोलिक क्षेत्र का संकेत।
    • ब्राह्मण उत्पत्ति के साक्ष्य अपर्याप्त।

निष्कर्ष

  1. डॉ. ओझा का मत:
    • राजपूत भारतीय मूल के हैं।
    • सूर्यवंश और चंद्रवंशीय क्षत्रियों के वंशज।
  2. सर्वमान्य दृष्टिकोण:
    • राजपूतों की उत्पत्ति भारतीय है, विदेशी सिद्धांतों का खंडन किया गया है।



पूर्व मध्यकाल में राजस्थान के प्रमुख राजपूत राजवंश

1. मेवाड़ के गुहिल

  • आदिपुरुष: गुहिल।
  • उत्पत्ति:
    • गौरीशंकर हीराचन्द ओझा: गुहिलों को विशुद्ध सूर्यवंशीय मानते हैं।
    • डी.आर. भंडारकर: गुहिल राजा ब्राह्मण थे।
  • महत्त्व:
    • गुहिलवंशीय राजपूतों ने मेवाड़ में शासन की स्थापना की।

2. मारवाड़ के गुर्जर-प्रतिहार

  • उत्पत्ति:
    • राजस्थान में सर्वप्रथम राज्य की स्थापना की।
    • जोधपुर के शिलालेखों के अनुसार छठी शताब्दी के द्वितीय चरण में इनका अधिवासन।
  • राजधानी:
    • चीनी यात्री युवानच्वांग ने राजधानी का नाम पीलो मोलो (भीनमाल) बताया।
  • शाखाएँ:
    • मुँहणोत नैणसी के अनुसार, 26 शाखाएँ।
    • प्रमुख: मण्डौर के प्रतिहार।

3. आबू के परमार

  • शब्द अर्थ: परमार का अर्थ "शत्रु को मारने वाला"।
  • स्थान: प्रारंभ में आबू और उसके आस-पास।
  • राजनीतिक प्रभाव:
    • प्रतिहारों के पतन के साथ परमारों का प्रभाव बढ़ा।
    • मारवाड़, सिन्ध, गुजरात, वागड़, मालवा में राज्य स्थापित।
  • आदिपुरुष:
    • कुल पुरुष: धूमराज।
    • वंशावली: उत्पलराज से आरंभ।

4. सांभर के चौहान

  • स्थान:
    • मूल स्थान: सपादलक्ष और जांगल प्रदेश।
    • राजधानी: अहिच्छत्रपुर (नागौर)।
  • आदिपुरुष: वासुदेव।
    • समय: 551 ई. के आसपास।
    • बिजौलिया प्रशस्ति के अनुसार सांभर झील के निर्माता।
  • वर्ण:
    • बिजौलिया प्रशस्ति में वत्सगोत्रीय ब्राह्मण बताया गया।

अन्य प्रमुख वंश:

  1. आम्बेर के कछवाहा: आम्बेर में शासन स्थापित।
  2. जैसलमेर के भाटी: जैसलमेर क्षेत्र में प्रमुखता।