1. इतिहास का शाब्दिक अर्थ
- "इतिहास" का अर्थ है "ऐसा निश्चित रूप से हुआ है।"
2. इतिहास के जनक
- विश्व इतिहास: यूनान के हेरोडोटस (2500 वर्ष पूर्व) – "हिस्टोरिका" नामक ग्रंथ।
- भारतीय इतिहास: महाभारत के लेखक वेद व्यास।
- राजस्थान का इतिहास: कर्नल जेम्स टॉड।
इतिहास के स्रोत
इतिहास को जानने के मुख्य स्रोत दो भागों में विभाजित हैं:
- पुरातात्विक स्रोत
- साहित्यिक स्रोत
पुरातात्विक स्रोत
साहित्यिक स्रोत
- संस्कृत साहित्य: ऐतिहासिक ग्रंथ और पुराण।
- राजस्थानी साहित्य:
- लोक गाथाएं और कविताएं।
- स्थानीय राजाओं की वीरता और संस्कृति।
- हिन्दी साहित्य:
- रचनात्मक और ऐतिहासिक कविताएं।
- प्राकृत और जैन साहित्य:
- धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण।
- फारसी साहित्य:
- मुगलकालीन दस्तावेज और प्रशासनिक रिकॉर्ड।
पुरालेखागारीय स्रोत
- हकीकत बही: प्रशासनिक रजिस्टर।
- हुकूमत बही: शासकीय आदेश।
- कमठाना बही: कृषि और व्यापार रिकॉर्ड।
- खरीता बही: पत्राचार और संधि के दस्तावेज।
वैज्ञानिक स्रोत
- खुदाई और उत्खनन:
- ऐतिहासिक स्थलों से प्राप्त अवशेष।
- विश्लेषणात्मक विधियां:
- रेडियोकार्बन डेटिंग और भौतिक विज्ञान आधारित तिथि निर्धारण।
राजस्थान के प्रमुख पुरातात्विक स्रोत: शिलालेख/अभिलेख
अभिलेखों का महत्व
अभिलेख तिथियुक्त और समसामयिक होने के कारण इतिहास के अध्ययन का महत्वपूर्ण स्रोत हैं। इनसे तत्कालीन सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक परिस्थितियों की जानकारी मिलती है।
- प्रशस्ति: जिन अभिलेखों में शासकों की उपलब्धियां वर्णित होती हैं।
- एपिग्राफी: अभिलेखों के अध्ययन को कहते हैं।
- भाषा और लिपि: राजस्थान के अभिलेखों की मुख्य भाषा संस्कृत और राजस्थानी है। लिपि में मुख्य रूप से नागरी, ब्राह्मी, और कुटिल का उपयोग किया गया है।
राजस्थान के प्रमुख शिलालेख/अभिलेख
अशोक का भब्रुलेख
- स्थान: जयपुर के निकट बैराठ।
- भाषा और लिपि: पाली भाषा, ब्राह्मी लिपि।
- विशेषता: बौद्ध धर्म अपनाने की पुष्टि।
- स्थानांतर: कनिंघम इसे कोलकाता संग्रहालय ले गए।
घोसुण्डी का लेख
- स्थान: चित्तौड़गढ़।
- भाषा और लिपि: संस्कृत, ब्राह्मी।
- विशेषता: राजस्थान में वैष्णव (भागवत) संप्रदाय का प्राचीनतम अभिलेख।
बरली का शिलालेख
- स्थान: अजमेर के निकट बरली।
- भाषा और लिपि: ब्राह्मी।
- विशेषता: राजस्थान का प्राचीनतम शिलालेख (द्वितीय शताब्दी ई.पू.)।
मानमोरी अभिलेख
- स्थान: चित्तौड़गढ़।
- विशेषता: मौर्य वंशीय राजा चित्रांगद मौर्य का उल्लेख।
- घटना: इंग्लैंड ले जाते समय समुद्र में फेंका गया।
नंदसा उप-स्तंभ लेख
- स्थान: नंदसा गांव।
- विशेषता: 12 फीट ऊंचा गोल स्तंभ।
बड़वा यूप अभिलेख
- स्थान: कोटा।
- भाषा और लिपि: संस्कृत, ब्राह्मी।
- विशेषता: मौखरी राजाओं का सबसे पुराना अभिलेख।
नगरी का शिलालेख
- स्थान: अजमेर संग्रहालय।
- भाषा और लिपि: संस्कृत, नागरी।
- विशेषता: विष्णु पूजा स्थल का उल्लेख।
भ्रमरमाता का लेख
- स्थान: छोटी सादड़ी (चित्तौड़)।
- विशेषता: गौरवंश और औलिकर वंश के शासकों का वर्णन।
बसंतगढ़ का लेख
- स्थान: सिरोही जिले का बसंतगढ़।
- विशेषता: सामंत प्रथा पर प्रकाश डालता है।
सांमोली शिलालेख
- स्थान: मेवाड़, सांमोली गांव।
- विशेषता: जावर के निकट खनन का प्रारंभिक उल्लेख।
अपराजित का शिलालेख
- स्थान: कुंडेश्वर मंदिर।
- भाषा और लिपि: संस्कृत।
- विशेषता: गुहिल शासक अपराजित की विजयों का वर्णन।
कणसवा अभिलेख
- स्थान: कोटा।
- विशेषता: मौर्य वंशी राजा धवल का उल्लेख।
मंडौर अभिलेख
- स्थान: जोधपुर।
- विशेषता: गुर्जर प्रतिहार वंश की वंशावली।
घटियाला शिलालेख
- स्थान: जोधपुर के निकट।
- भाषा और लिपि: संस्कृत।
- विशेषता: जैन मंदिर से संबंधित और सामाजिक विभाजन पर प्रकाश।
राजस्थान के अन्य प्रमुख शिलालेख और प्रशस्तियां
1. मिहिरभोज की ग्वालियर प्रशस्ति (880 ई.)
- स्थान: ग्वालियर।
- विशेषता:
- गुर्जर प्रतिहारों की प्रमुख प्रशस्ति।
- तिथि का अभाव, लेकिन शासकों की वंशावली और राजनीतिक उपलब्धियों का वर्णन।
2. प्रतापगढ़ अभिलेख (946 ई.)
- स्थान: प्रतापगढ़।
- विशेषता: गुर्जर-प्रतिहार नरेश महेन्द्रपाल की उपलब्धियों का उल्लेख।
3. बिजौलिया शिलालेख (1170 ई.)
- स्थान: भीलवाड़ा।
- प्रशस्तिकार: गुणभद्र।
- विशेषता:
- सांभर (शाकम्भरी) और अजमेर के चौहानों का वर्णन।
- वासुदेव चहमन द्वारा 551 ई. में शाकम्भरी राज्य की स्थापना और सांभर झील का निर्माण।
4. अचलेश्वर प्रशस्ति
- विशेषता:
- अग्निकुंड से उत्पन्न परमारों के मूल पुरुष धूमराज का वर्णन।
- प्रशस्ति का बड़ा आकार और विस्तार।
5. लूणवसही प्रशस्ति (1230 ई.)
- स्थान: आबू, देलवाड़ा।
- प्रशस्तिकार: पोरवाड़ जातीय शाह वस्तुपाल-तेजपाल।
- विशेषता:
- देलवाड़ा मंदिर के निर्माण का उल्लेख।
- भाषा संस्कृत।
6. नेमिनाथ मंदिर की प्रशस्ति (1230 ई.)
- स्थान: देलवाड़ा, आबू।
- विशेषता:
- परमारों और वस्तुपाल-तेजपाल के वंशों का उल्लेख।
- आबू, मारवाड़, सिंध, मालवा और गुजरात के शासकों की जानकारी।
7. चीरवा अभिलेख (1273 ई.)
- स्थान: उदयपुर।
- विशेषता:
- गुहिल वंशीय राणाओं की जानकारी।
- समरसिंह के काल तक की घटनाओं का वर्णन।
8. श्रृंगी ऋषि का शिलालेख (1428 ई.)
- स्थान: मेवाड़।
- विशेषता:
- गुहिल वंश और भील जनजाति के सामाजिक जीवन पर प्रकाश।
9. रणकपुर प्रशस्ति (1439 ई.)
- स्थान: जैन चौमुख मंदिर, रणकपुर।
- विशेषता:
- रणकपुर का निर्माणकर्ता दीपा।
- बापा रावल से लेकर राणा कुम्भा तक के मेवाड़ नरेशों का उल्लेख।
10. कीर्तिस्तम्भ प्रशस्ति (1440-1448 ई.)
- स्थान: चित्तौड़गढ़।
- प्रशस्तिकार: महेश भट्ट।
- विशेषता:
- राणा कुंभा की प्रशस्ति।
- उनके द्वारा रचित ग्रंथों (चण्डीशतक, गीतगोविन्द की टीका, संगीतराज आदि) का वर्णन।
- कुंभा की उपाधियां: "महाराजाधिराज", "हिन्दू सुरतान", "छापगुरु", आदि।
11. कुंभलगढ़ प्रशस्ति (1460 ई.)
- स्थान: राजसमंद।
- प्रशस्तिकार: कवि महेश।
- विशेषता:
- बापा रावल को विप्रवंशीय (ब्राह्मण) बताया गया।
- गुहिल वंश की वंशावली और उपलब्धियां।
12. रायसिंह प्रशस्ति (1594 ई.)
- स्थान: बीकानेर।
- प्रशस्तिकार: जैन मुनि जैता।
- विशेषता:
- राव बीका से राव रायसिंह तक के शासकों की उपलब्धियां।
- बीकानेर दुर्ग (लालगढ़/जूनागढ़) के निर्माण का वर्णन।
आमेर का लेख (1612 ई.)
- विषयवस्तु:
- कछवाह वंश को 'रघुवंशतिलक' कहकर संबोधित किया गया है।
- वंश के शासकों का क्रमबद्ध विवरण:
- पृथ्वीराज → राजा भारमल → भगवंतदास → महाराजाधिराज मानसिंह।
- मानसिंह द्वारा आमेर क्षेत्र में जमवारामगढ़ दुर्ग के निर्माण का उल्लेख।
जगन्नाथराय प्रशस्ति (1652 ई.)
- स्थान: उदयपुर।
- प्रशस्तिकार: कृष्ण भट्ट।
- भाषा और लिपि: संस्कृत भाषा, देवनागरी लिपि।
- विषयवस्तु:
- बापा रावल से जगतसिंह सिसोदिया तक गुहिल वंश का वर्णन।
- उदयपुर के जगन्नाथराय मंदिर के सभामंडप के श्याम पत्थरों पर उत्कीर्ण।
राजसिंह प्रशस्ति (1676 ई.)
- स्थान: राजसमंद झील की नौ चौकी।
- प्रशस्तिकार: रणछोड़भट्ट तैलंग।
- प्रकाशन काल: 1676 ई., महाराणा राजसिंह सिसोदिया का शासनकाल।
- विषयवस्तु:
- बापा रावल से राणा जगतसिंह द्वितीय तक गुहिल वंश का विवरण।
- महाराणा अमरसिंह द्वारा मुगल-मेवाड़ संधि का उल्लेख।
- विशेषता:
- विश्व का सबसे बड़ा प्रशस्ति लेख।
- 25 श्याम शिलाओं पर उत्कीर्ण।
- निर्माण के आदेश राजसिंह के उत्तराधिकारी जयसिंह ने दिए।
फारसी के प्रमुख शिलालेख
1. ढाई दिन का झोपड़ा लेख
- स्थान: अजमेर।
- निर्माता: कुतुबुद्दीन ऐबक।
- भाषा: फारसी।
- महत्त्व: भारत का सबसे प्राचीन फारसी लेख।
2. धाई-बी-पीर की दरगाह (1303 ई.)
- स्थान: चित्तौड़।
- विवरण:
- अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर अधिकार कर इसे 'खिज्राबाद' नाम दिया।
3. शाहबाद का लेख (1679 ई.)
- स्थान: बांरा जिला।
- विवरण:
- मुगल शासक औरंगजेब ने जजिया कर लागू किया।
- कर नीति पर प्रकाश।
ताम्र-पत्र (भूदान से संबंधित)
धूलेव का दान-पत्र (679 ई.):
- महाराज भेटी द्वारा भट्टिनाग ब्राह्मण को उब्बरक नामक गांव का दान।
ब्रोच गुर्जर ताम्रपत्र (978 ई.):
- सप्तसैंधव अभियान का उल्लेख।
- राजपूतों को कुषाण यू-ए-ची जाति का बताया।
चीकली ताम्रपत्र (1483 ई.):
- किसानों से वसूली जाने वाली विभिन्न लाग-बाग का उल्लेख।
पुर का ताम्रपत्र (1535 ई.):
- हाड़ी रानी कर्मावती द्वारा जौहर से पूर्व भूमि अनुदान।
- चित्तौड़ के द्वितीय शाके का समय निर्धारण।
खेराड़ा ताम्रपत्र (1437 ई.):
- महाराणा कुंभा के समय की प्रचलित मुद्रा और धार्मिक स्थिति का विवरण।
सिक्कों का विवरण
प्राचीन सिक्के:
- सबसे प्राचीन आहत मुद्राएं।
- पंचमार्क सिक्के (चांदी)।
सर्वप्रथम लेखयुक्त सिक्के:
- इण्डो-ग्रीक शासकों द्वारा।
- शक शासकों ने चांदी के सिक्के जारी किए।
राजस्थान के सिक्के:
- चौहान वंश के सिक्के:
- "द्रम्म" (तांबा), "रूपक" (चांदी), "दीनार" (सोना)।
- मेवाड़ के "गधिया मुद्रा"।
- बापा रावल का स्वर्ण सिक्का (115 ग्रेन)।
- राणा कुंभा द्वारा तांबे और चांदी के सिक्के।
महत्त्वपूर्ण खोज:
- रैढ़ (टोंक) में 3075 आहत चांदी के सिक्के।
- नगलाछैल (भरतपुर) में 1821 गुप्तकालीन सिक्के
सिक्के और उनका इतिहास
1. सिक्कों का अध्ययन (न्यूमिसमेटिक्स):
- सिक्कों के अध्ययन को न्यूमिसमेटिक्स कहते हैं।
- भारत में सिक्कों का प्रचलन 2500 वर्ष पूर्व शुरू हुआ।
- आहत मुद्राएं:
- खुदाई में खंडित अवस्था में प्राप्त प्राचीन सिक्के।
- इन पर विशेष चिन्ह बने होते थे, जिन्हें पंचमार्क सिक्के कहते हैं।
- ये सिक्के वर्गाकार, आयताकार और वृत्ताकार थे।
- कौटिल्य के अर्थशास्त्र में इन्हें "पण/कार्षापण" कहा गया।
- मुख्यतः चांदी से बने होते थे।
2. भारत में प्रमुख सिक्कों की शुरुआत:
- सोने के सिक्के:
- भारत में सर्वप्रथम लेखयुक्त सोने के सिक्के इंडो-ग्रीक (भारतीय-यवन) शासकों ने जारी किए।
- चांदी के सिक्के:
- सीसे और पोटीन के सिक्के:
- सातवाहन शासकों ने जारी किए।
3. राजस्थान के सिक्कों का इतिहास:
- चौहान वंश:
- राजस्थान में सर्वप्रथम अपनी मुद्राएं जारी कीं।
- प्रमुख सिक्के:
- "द्रम्म" और "विशोपक" (तांबा)।
- "रूपक" (चांदी)।
- "दीनार" (सोना)।
- मुगल काल:
- अकबर ने राजस्थान में "सिक्का-ए-एलची" जारी किया।
- आमेर में पहली टकसाल खोलने की अनुमति दी।
4. प्रमुख स्थानों से प्राप्त सिक्के:
- रैढ़ (टोंक):
- 3075 चांदी की आहत मुद्राएं मिलीं।
- भारत में एक ही स्थान से प्राप्त सबसे बड़ा भंडार।
- अन्य स्थान:
- विराटनगर, आहड़, नगर (टोंक), नगरी (चित्तौड़), साँभर।
- मालव गण के सिक्के:
- नगर (टोंक) से 6000 तांबे के सिक्के।
- सबसे छोटे और सबसे हल्के सिक्के।
5. गुप्त कालीन सिक्के:
- गुप्त काल में सबसे ज्यादा सोने के सिक्के मिले।
- प्रमुख खोज:
- नगलाछैल (बयाना, भरतपुर) से 1821 गुप्तकालीन सिक्के।
6. ब्रिटिश काल के सिक्के:
- 1900 ईस्वी में राजस्थान में चांदी के कलदार सिक्के प्रचलन में आए।
- जोधपुर टकसाल के चांदी के सिक्के विश्व प्रसिद्ध।
7. रियासतकालीन सिक्के:
- गुप्तोत्तरकालीन मेवाड़:
- "गधिया मुद्रा" का प्रचलन।
- मेवाड़ के संस्थापक गुहिल ने तांबे के सिक्के जारी किए।
- 'गुहिलपति' लेख वाले सिक्के।
- बापा रावल का स्वर्ण सिक्का (115 ग्रेन)।
- राणा कुंभा:
- चांदी और तांबे के सिक्के।
- मुगल-मेवाड़ संधि (1615 ई.) के बाद मुगल सिक्कों का प्रचलन।
8. विशेष सिक्के:
- रंगमहल (हनुमानगढ़):
- कुषाण काल के 105 तांबे के सिक्के (मुरंडा)।
- जोधपुर:
- विश्व प्रसिद्ध चांदी के सिक्के।
राजस्थान के प्रमुख संग्रहालय (विवरण सहित)
प्रिंस अलबर्ट म्यूजियम, जयपुर
- यह राजस्थान में स्थापित पहला संग्रहालय है।
- इसकी नींव सन् 1876 में महाराजा रामसिंह के समय में प्रिंस अलबर्ट ने रखी।
- इसे "अलबर्ट म्यूजियम" नाम दिया गया।
राजपूताना म्यूजियम, अजमेर
- यह संग्रहालय अजमेर के ऐतिहासिक दुर्ग 'अकबर का किला' (मैग्जीन) में स्थित है।
- इसका उद्घाटन 19 अक्टूबर 1908 को गवर्नर जनरल के एजेंट (AGG) श्री काल्विन द्वारा किया गया।
गंगा गोल्डन जुबली म्यूजियम, बीकानेर
- इसकी स्थापना इटली के विद्वान डॉ. एल.पी. टेस्सीटोरी ने की।
- यहाँ पल्लू से प्राप्त जैन सरस्वती की आकर्षक प्रतिमा प्रदर्शित है।
बिड़ला तकनीकी म्यूजियम, पिलानी
- यह देश का पहला उद्योग व तकनीकी संग्रहालय है।
- यहाँ कोयले की खानों (कोलमाइन्स) का प्रदर्शन पूरे एशिया में अनूठा है।
मेहरानगढ़ संग्रहालय, जोधपुर
- यह जोधपुर के मेहरानगढ़ दुर्ग में स्थित है।
- यहाँ राजस्थान की पारंपरिक पाग-पगड़ियों का संग्रह प्रदर्शित है।
उम्मेद भवन पैलेस संग्रहालय, जोधपुर
- यह संग्रहालय घड़ियों के अनूठे संग्रह के लिए प्रसिद्ध है।
आहड़ संग्रहालय, आहड़ (उदयपुर)
- इसे राजस्थान पुरातत्व विभाग द्वारा संचालित किया जाता है।
- यहाँ आहड़ सभ्यता के पुरावशेष संग्रहित हैं।
प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर
- यह प्रतिष्ठान प्राचीन पांडुलिपियों और राजस्थान की प्राच्य विद्या का भंडार है।
हल्दीघाटी संग्रहालय, राजसमंद
- यह संग्रहालय महाराणा प्रताप के जीवन की यादों को समर्पित है।
- हल्दीघाटी संग्रहालय का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है।
राजस्थान के रियासतों के सिक्के
राजस्थान के रियासतों के सिक्के
रियासत |
सिक्के |
मेवाड़ |
चित्तौड़ी, भिलाड़ी, उदयपुरी, मुगली सिक्का एलची, चांदौड़ी, स्वरूपशाही, ढींगाल, शाहआलमी |
जोधपुर |
विजयशाही, भीमशाही, गजशाही, ललूलिया |
जयपुर |
झाड़शाही, मुहम्मदशाही, हाली |
बीकानेर |
गजशाही |
जैसलमेर |
अखैशाही, मुहम्मदशाही, डोडिया |
डूंगरपुर |
उदयशाही, त्रिशूलिया, पत्रीसीरिया, चित्तौड़ी, सालिमशाही |
बूँदी |
रामशाही, कतरशाही, साइंटशाही, पुराना शब्द, बारह-साना |
करौली |
मानकशाही |
धौलपुर |
दोशाही |
अलवर |
अखैशाही, रावशाही, ताँबें के रावशाही टक्का, अंग्रेजी पाव आना सिक्का |
झालावाड़ |
पुराने मदनशाही, नये मदनशाही |
बाँसवाड़ा |
सलीमशाही, लक्ष्मणशाही |
सलूम्बर |
पदमशाही |
शाहपुरा |
संदिया, माधेशाही, चित्तौड़ी, भिलाड़ी |
प्रतापगढ़ |
सालिमशाही, मुबारकशाही, सिक्का मुबारक लंदन |
किशनगढ़ |
शाहआलमी |
कोटा |
मदनशाही, हाली, गुमानशाही |
सिरोही |
चाँदी का भिलाड़ी, ताँबें का ढब्बूशाही |
पाली |
बिजयशाही |
नागौर |
अमरशाही |
राजस्थानी साहित्य
राजस्थानी साहित्य
साहित्य रचना |
रचनाकार |
पृथ्वीराजरासो |
चन्दबरदाई |
बीसलदेव रांसो |
नरपति नाल्ह |
हम्मीर रासो |
जोधराज |
शारगंधर |
संगत रासो |
गिरधर आंसिया |
बेलिकृष्ण रूकमणीरी |
पृथ्वीराज राठौड़ |
अचलदास खीची री वचनिका |
शिवदास गदन |
कान्हड़ दे प्रबन्ध |
पदमनाभ |
पातल और पीथल |
दोस्त लाल सेठिया |
धरती धोरा री |
दोस्त लाल सेठिया |
लीलटास |
दोस्त लाल सेठिया |
रुठीरानी, चेतावनी रा चुंगठिया |
केसरीसिंह बारहड |
राजस्थानी कहावता |
मुरलीधर ब्यास |
राजस्थानी शब्दकोष |
सीताराम लालस |
नैणसी री ख्यात |
मुहणौत नैणसी |
मारवाड़ रे परगना री अतीत |
राजस्थान के संग्रहालय
राजस्थान के प्रमुख संग्रहालय
संग्रहालय |
स्थान |
विक्टोरिया हाल म्यूजियम |
गुलाब बाग, उदयपुर |
सरदार म्यूजियम |
जोधपुर (1909 ई. में) |
सिटी पैलेस संग्रहालय |
जयपुर |
सर छोटूराम स्मारक संग्रहालय |
संगरिया, हनुमानगढ़ |
श्री रामचरण प्राच्य विद्यापीठ एवं संग्रहालय |
जयपुर |
लोक संस्कृति शोध संस्थान |
नगरश्री, चूरू |
करणी म्यूजियम |
बीकानेर के जूनागढ़ में |
सार्दुल म्यूजियम |
बीकानेर के लालगढ़ पैलेस में |
प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय |
जयपुर |
लोक सांस्कृतिक संग्रहालय |
गड़सीसर, जैसलमेर |
कालीबंगा संग्रहालय |
कालीबंगा, हनुमानगढ़ (1985-86 में) |
जनजाति संग्रहालय |
उदयपुर |
नाहटा संग्रहालय |
सरदार शहर (चूरू) |
सिटी पैलेस म्यूजियम |
उदयपुर |
राव माधोसिंह ट्रस्ट संग्रहालय |
कोटा |
लोक कला संग्रहालय |
उदयपुर |
गुड़ियों का संग्रहालय (Doll Museum) |
जयपुर |
लोकवाद्यों का संग्रहालय |
राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर |
महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश शोध केन्द्र |
जोधपुर के मेहरानगढ़ दुर्ग में |
राजस्थान राज्य अभिलेखागार |
बीकानेर |
श्री सरस्वती पुस्तकालय |
फतेहपुर, सीकर |
मीरा संग्रहालय |
मेड़ता |
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