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राजस्थान का इतिहास जानने के स्रोत

1. इतिहास का शाब्दिक अर्थ

  • "इतिहास" का अर्थ है "ऐसा निश्चित रूप से हुआ है।"

2. इतिहास के जनक

  • विश्व इतिहास: यूनान के हेरोडोटस (2500 वर्ष पूर्व) – "हिस्टोरिका" नामक ग्रंथ।
  • भारतीय इतिहास: महाभारत के लेखक वेद व्यास।
  • राजस्थान का इतिहास: कर्नल जेम्स टॉड।

इतिहास के स्रोत

इतिहास को जानने के मुख्य स्रोत दो भागों में विभाजित हैं:

  1. पुरातात्विक स्रोत
  2. साहित्यिक स्रोत

पुरातात्विक स्रोत

  • अभिलेख:

    • शिलालेख, स्तंभलेख, गुहालेख।
    • अशोक का भब्रुलेख: जयपुर, पाली भाषा, ब्राह्मी लिपि।
    • घोसुण्डी लेख: चित्तौड़गढ़, संस्कृत भाषा, ब्राह्मी लिपि।
    • बरली शिलालेख: अजमेर, ब्राह्मी लिपि, दूसरी शताब्दी ई.पू।
    • मानमोरी अभिलेख: मौर्य वंश, चित्तौड़गढ़।
  • स्मारक व भवन: ऐतिहासिक किले, मंदिर, गुफाएं।

  • सिक्के:

    • मुद्रा के प्रकार से आर्थिक और सांस्कृतिक पहलुओं की जानकारी।
  • ताम्रपत्र:

    • शासकीय आदेश और घोषणाएं।
  • मूर्तियां और चित्रकला:

    • धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का प्रदर्शन।

साहित्यिक स्रोत

  • संस्कृत साहित्य: ऐतिहासिक ग्रंथ और पुराण।
  • राजस्थानी साहित्य:
    • लोक गाथाएं और कविताएं।
    • स्थानीय राजाओं की वीरता और संस्कृति।
  • हिन्दी साहित्य:
    • रचनात्मक और ऐतिहासिक कविताएं।
  • प्राकृत और जैन साहित्य:
    • धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण।
  • फारसी साहित्य:
    • मुगलकालीन दस्तावेज और प्रशासनिक रिकॉर्ड।

पुरालेखागारीय स्रोत

  • हकीकत बही: प्रशासनिक रजिस्टर।
  • हुकूमत बही: शासकीय आदेश।
  • कमठाना बही: कृषि और व्यापार रिकॉर्ड।
  • खरीता बही: पत्राचार और संधि के दस्तावेज।

वैज्ञानिक स्रोत

  • खुदाई और उत्खनन:
    • ऐतिहासिक स्थलों से प्राप्त अवशेष।
  • विश्लेषणात्मक विधियां:
    • रेडियोकार्बन डेटिंग और भौतिक विज्ञान आधारित तिथि निर्धारण।




राजस्थान के प्रमुख पुरातात्विक स्रोत: शिलालेख/अभिलेख

अभिलेखों का महत्व
अभिलेख तिथियुक्त और समसामयिक होने के कारण इतिहास के अध्ययन का महत्वपूर्ण स्रोत हैं। इनसे तत्कालीन सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक परिस्थितियों की जानकारी मिलती है।

  • प्रशस्ति: जिन अभिलेखों में शासकों की उपलब्धियां वर्णित होती हैं।
  • एपिग्राफी: अभिलेखों के अध्ययन को कहते हैं।
  • भाषा और लिपि: राजस्थान के अभिलेखों की मुख्य भाषा संस्कृत और राजस्थानी है। लिपि में मुख्य रूप से नागरी, ब्राह्मी, और कुटिल का उपयोग किया गया है।

राजस्थान के प्रमुख शिलालेख/अभिलेख


  1. अशोक का भब्रुलेख

    • स्थान: जयपुर के निकट बैराठ।
    • भाषा और लिपि: पाली भाषा, ब्राह्मी लिपि।
    • विशेषता: बौद्ध धर्म अपनाने की पुष्टि।
    • स्थानांतर: कनिंघम इसे कोलकाता संग्रहालय ले गए।
  2. घोसुण्डी का लेख

    • स्थान: चित्तौड़गढ़।
    • भाषा और लिपि: संस्कृत, ब्राह्मी।
    • विशेषता: राजस्थान में वैष्णव (भागवत) संप्रदाय का प्राचीनतम अभिलेख।
  3. बरली का शिलालेख

    • स्थान: अजमेर के निकट बरली।
    • भाषा और लिपि: ब्राह्मी।
    • विशेषता: राजस्थान का प्राचीनतम शिलालेख (द्वितीय शताब्दी ई.पू.)।
  4. मानमोरी अभिलेख

    • स्थान: चित्तौड़गढ़।
    • विशेषता: मौर्य वंशीय राजा चित्रांगद मौर्य का उल्लेख।
    • घटना: इंग्लैंड ले जाते समय समुद्र में फेंका गया।
  5. नंदसा उप-स्तंभ लेख

    • स्थान: नंदसा गांव।
    • विशेषता: 12 फीट ऊंचा गोल स्तंभ।
  6. बड़वा यूप अभिलेख

    • स्थान: कोटा।
    • भाषा और लिपि: संस्कृत, ब्राह्मी।
    • विशेषता: मौखरी राजाओं का सबसे पुराना अभिलेख।
  7. नगरी का शिलालेख

    • स्थान: अजमेर संग्रहालय।
    • भाषा और लिपि: संस्कृत, नागरी।
    • विशेषता: विष्णु पूजा स्थल का उल्लेख।
  8. भ्रमरमाता का लेख

    • स्थान: छोटी सादड़ी (चित्तौड़)।
    • विशेषता: गौरवंश और औलिकर वंश के शासकों का वर्णन।
  9. बसंतगढ़ का लेख

    • स्थान: सिरोही जिले का बसंतगढ़।
    • विशेषता: सामंत प्रथा पर प्रकाश डालता है।
  10. सांमोली शिलालेख

    • स्थान: मेवाड़, सांमोली गांव।
    • विशेषता: जावर के निकट खनन का प्रारंभिक उल्लेख।
  11. अपराजित का शिलालेख

    • स्थान: कुंडेश्वर मंदिर।
    • भाषा और लिपि: संस्कृत।
    • विशेषता: गुहिल शासक अपराजित की विजयों का वर्णन।
  12. कणसवा अभिलेख

    • स्थान: कोटा।
    • विशेषता: मौर्य वंशी राजा धवल का उल्लेख।
  13. मंडौर अभिलेख

    • स्थान: जोधपुर।
    • विशेषता: गुर्जर प्रतिहार वंश की वंशावली।
  14. घटियाला शिलालेख

    • स्थान: जोधपुर के निकट।
    • भाषा और लिपि: संस्कृत।
    • विशेषता: जैन मंदिर से संबंधित और सामाजिक विभाजन पर प्रकाश।




राजस्थान के अन्य प्रमुख शिलालेख और प्रशस्तियां


1. मिहिरभोज की ग्वालियर प्रशस्ति (880 ई.)

  • स्थान: ग्वालियर।
  • विशेषता:
    • गुर्जर प्रतिहारों की प्रमुख प्रशस्ति।
    • तिथि का अभाव, लेकिन शासकों की वंशावली और राजनीतिक उपलब्धियों का वर्णन।

2. प्रतापगढ़ अभिलेख (946 ई.)

  • स्थान: प्रतापगढ़।
  • विशेषता: गुर्जर-प्रतिहार नरेश महेन्द्रपाल की उपलब्धियों का उल्लेख।

3. बिजौलिया शिलालेख (1170 ई.)

  • स्थान: भीलवाड़ा।
  • प्रशस्तिकार: गुणभद्र।
  • विशेषता:
    • सांभर (शाकम्भरी) और अजमेर के चौहानों का वर्णन।
    • वासुदेव चहमन द्वारा 551 ई. में शाकम्भरी राज्य की स्थापना और सांभर झील का निर्माण।

4. अचलेश्वर प्रशस्ति

  • विशेषता:
    • अग्निकुंड से उत्पन्न परमारों के मूल पुरुष धूमराज का वर्णन।
    • प्रशस्ति का बड़ा आकार और विस्तार।

5. लूणवसही प्रशस्ति (1230 ई.)

  • स्थान: आबू, देलवाड़ा।
  • प्रशस्तिकार: पोरवाड़ जातीय शाह वस्तुपाल-तेजपाल।
  • विशेषता:
    • देलवाड़ा मंदिर के निर्माण का उल्लेख।
    • भाषा संस्कृत।

6. नेमिनाथ मंदिर की प्रशस्ति (1230 ई.)

  • स्थान: देलवाड़ा, आबू।
  • विशेषता:
    • परमारों और वस्तुपाल-तेजपाल के वंशों का उल्लेख।
    • आबू, मारवाड़, सिंध, मालवा और गुजरात के शासकों की जानकारी।

7. चीरवा अभिलेख (1273 ई.)

  • स्थान: उदयपुर।
  • विशेषता:
    • गुहिल वंशीय राणाओं की जानकारी।
    • समरसिंह के काल तक की घटनाओं का वर्णन।

8. श्रृंगी ऋषि का शिलालेख (1428 ई.)

  • स्थान: मेवाड़।
  • विशेषता:
    • गुहिल वंश और भील जनजाति के सामाजिक जीवन पर प्रकाश।

9. रणकपुर प्रशस्ति (1439 ई.)

  • स्थान: जैन चौमुख मंदिर, रणकपुर।
  • विशेषता:
    • रणकपुर का निर्माणकर्ता दीपा।
    • बापा रावल से लेकर राणा कुम्भा तक के मेवाड़ नरेशों का उल्लेख।

10. कीर्तिस्तम्भ प्रशस्ति (1440-1448 ई.)

  • स्थान: चित्तौड़गढ़।
  • प्रशस्तिकार: महेश भट्ट।
  • विशेषता:
    • राणा कुंभा की प्रशस्ति।
    • उनके द्वारा रचित ग्रंथों (चण्डीशतक, गीतगोविन्द की टीका, संगीतराज आदि) का वर्णन।
    • कुंभा की उपाधियां: "महाराजाधिराज", "हिन्दू सुरतान", "छापगुरु", आदि।

11. कुंभलगढ़ प्रशस्ति (1460 ई.)

  • स्थान: राजसमंद।
  • प्रशस्तिकार: कवि महेश।
  • विशेषता:
    • बापा रावल को विप्रवंशीय (ब्राह्मण) बताया गया।
    • गुहिल वंश की वंशावली और उपलब्धियां।

12. रायसिंह प्रशस्ति (1594 ई.)

  • स्थान: बीकानेर।
  • प्रशस्तिकार: जैन मुनि जैता।
  • विशेषता:
    • राव बीका से राव रायसिंह तक के शासकों की उपलब्धियां।
    • बीकानेर दुर्ग (लालगढ़/जूनागढ़) के निर्माण का वर्णन।




आमेर का लेख (1612 ई.)

  1. विषयवस्तु:
    • कछवाह वंश को 'रघुवंशतिलक' कहकर संबोधित किया गया है।
    • वंश के शासकों का क्रमबद्ध विवरण:
      • पृथ्वीराज → राजा भारमल → भगवंतदास → महाराजाधिराज मानसिंह।
    • मानसिंह द्वारा आमेर क्षेत्र में जमवारामगढ़ दुर्ग के निर्माण का उल्लेख।

जगन्नाथराय प्रशस्ति (1652 ई.)

  1. स्थान: उदयपुर।
  2. प्रशस्तिकार: कृष्ण भट्ट।
  3. भाषा और लिपि: संस्कृत भाषा, देवनागरी लिपि।
  4. विषयवस्तु:
    • बापा रावल से जगतसिंह सिसोदिया तक गुहिल वंश का वर्णन।
    • उदयपुर के जगन्नाथराय मंदिर के सभामंडप के श्याम पत्थरों पर उत्कीर्ण।

राजसिंह प्रशस्ति (1676 ई.)

  1. स्थान: राजसमंद झील की नौ चौकी।
  2. प्रशस्तिकार: रणछोड़भट्ट तैलंग।
  3. प्रकाशन काल: 1676 ई., महाराणा राजसिंह सिसोदिया का शासनकाल।
  4. विषयवस्तु:
    • बापा रावल से राणा जगतसिंह द्वितीय तक गुहिल वंश का विवरण।
    • महाराणा अमरसिंह द्वारा मुगल-मेवाड़ संधि का उल्लेख।
  5. विशेषता:
    • विश्व का सबसे बड़ा प्रशस्ति लेख।
    • 25 श्याम शिलाओं पर उत्कीर्ण।
    • निर्माण के आदेश राजसिंह के उत्तराधिकारी जयसिंह ने दिए।

फारसी के प्रमुख शिलालेख

1. ढाई दिन का झोपड़ा लेख

  • स्थान: अजमेर।
  • निर्माता: कुतुबुद्दीन ऐबक।
  • भाषा: फारसी।
  • महत्त्व: भारत का सबसे प्राचीन फारसी लेख।

2. धाई-बी-पीर की दरगाह (1303 ई.)

  • स्थान: चित्तौड़।
  • विवरण:
    • अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर अधिकार कर इसे 'खिज्राबाद' नाम दिया।

3. शाहबाद का लेख (1679 ई.)

  • स्थान: बांरा जिला।
  • विवरण:
    • मुगल शासक औरंगजेब ने जजिया कर लागू किया।
    • कर नीति पर प्रकाश।

ताम्र-पत्र (भूदान से संबंधित)

  1. धूलेव का दान-पत्र (679 ई.):

    • महाराज भेटी द्वारा भट्टिनाग ब्राह्मण को उब्बरक नामक गांव का दान।
  2. ब्रोच गुर्जर ताम्रपत्र (978 ई.):

    • सप्तसैंधव अभियान का उल्लेख।
    • राजपूतों को कुषाण यू-ए-ची जाति का बताया।
  3. चीकली ताम्रपत्र (1483 ई.):

    • किसानों से वसूली जाने वाली विभिन्न लाग-बाग का उल्लेख।
  4. पुर का ताम्रपत्र (1535 ई.):

    • हाड़ी रानी कर्मावती द्वारा जौहर से पूर्व भूमि अनुदान।
    • चित्तौड़ के द्वितीय शाके का समय निर्धारण।
  5. खेराड़ा ताम्रपत्र (1437 ई.):

    • महाराणा कुंभा के समय की प्रचलित मुद्रा और धार्मिक स्थिति का विवरण।

सिक्कों का विवरण

  1. प्राचीन सिक्के:

    • सबसे प्राचीन आहत मुद्राएं।
    • पंचमार्क सिक्के (चांदी)।
  2. सर्वप्रथम लेखयुक्त सिक्के:

    • इण्डो-ग्रीक शासकों द्वारा।
    • शक शासकों ने चांदी के सिक्के जारी किए।
  3. राजस्थान के सिक्के:

    • चौहान वंश के सिक्के:
      • "द्रम्म" (तांबा), "रूपक" (चांदी), "दीनार" (सोना)।
    • मेवाड़ के "गधिया मुद्रा"।
    • बापा रावल का स्वर्ण सिक्का (115 ग्रेन)।
    • राणा कुंभा द्वारा तांबे और चांदी के सिक्के।
  4. महत्त्वपूर्ण खोज:

    • रैढ़ (टोंक) में 3075 आहत चांदी के सिक्के।
    • नगलाछैल (भरतपुर) में 1821 गुप्तकालीन सिक्के




सिक्के और उनका इतिहास


1. सिक्कों का अध्ययन (न्यूमिसमेटिक्स):

  • सिक्कों के अध्ययन को न्यूमिसमेटिक्स कहते हैं।
  • भारत में सिक्कों का प्रचलन 2500 वर्ष पूर्व शुरू हुआ।
  • आहत मुद्राएं:
    • खुदाई में खंडित अवस्था में प्राप्त प्राचीन सिक्के।
    • इन पर विशेष चिन्ह बने होते थे, जिन्हें पंचमार्क सिक्के कहते हैं।
    • ये सिक्के वर्गाकार, आयताकार और वृत्ताकार थे।
    • कौटिल्य के अर्थशास्त्र में इन्हें "पण/कार्षापण" कहा गया।
    • मुख्यतः चांदी से बने होते थे।

2. भारत में प्रमुख सिक्कों की शुरुआत:

  • सोने के सिक्के:
    • भारत में सर्वप्रथम लेखयुक्त सोने के सिक्के इंडो-ग्रीक (भारतीय-यवन) शासकों ने जारी किए।
  • चांदी के सिक्के:
    • शक शासकों ने चलाए।
  • सीसे और पोटीन के सिक्के:
    • सातवाहन शासकों ने जारी किए।

3. राजस्थान के सिक्कों का इतिहास:

  • चौहान वंश:
    • राजस्थान में सर्वप्रथम अपनी मुद्राएं जारी कीं।
    • प्रमुख सिक्के:
      • "द्रम्म" और "विशोपक" (तांबा)।
      • "रूपक" (चांदी)।
      • "दीनार" (सोना)।
  • मुगल काल:
    • अकबर ने राजस्थान में "सिक्का-ए-एलची" जारी किया।
    • आमेर में पहली टकसाल खोलने की अनुमति दी।

4. प्रमुख स्थानों से प्राप्त सिक्के:

  • रैढ़ (टोंक):
    • 3075 चांदी की आहत मुद्राएं मिलीं।
    • भारत में एक ही स्थान से प्राप्त सबसे बड़ा भंडार।
  • अन्य स्थान:
    • विराटनगर, आहड़, नगर (टोंक), नगरी (चित्तौड़), साँभर।
  • मालव गण के सिक्के:
    • नगर (टोंक) से 6000 तांबे के सिक्के
    • सबसे छोटे और सबसे हल्के सिक्के।

5. गुप्त कालीन सिक्के:

  • गुप्त काल में सबसे ज्यादा सोने के सिक्के मिले।
  • प्रमुख खोज:
    • नगलाछैल (बयाना, भरतपुर) से 1821 गुप्तकालीन सिक्के

6. ब्रिटिश काल के सिक्के:

  • 1900 ईस्वी में राजस्थान में चांदी के कलदार सिक्के प्रचलन में आए।
  • जोधपुर टकसाल के चांदी के सिक्के विश्व प्रसिद्ध।

7. रियासतकालीन सिक्के:

  • गुप्तोत्तरकालीन मेवाड़:
    • "गधिया मुद्रा" का प्रचलन।
  • मेवाड़ के संस्थापक गुहिल ने तांबे के सिक्के जारी किए।
    • 'गुहिलपति' लेख वाले सिक्के।
  • बापा रावल का स्वर्ण सिक्का (115 ग्रेन)।
  • राणा कुंभा:
    • चांदी और तांबे के सिक्के।
  • मुगल-मेवाड़ संधि (1615 ई.) के बाद मुगल सिक्कों का प्रचलन।

8. विशेष सिक्के:

  • रंगमहल (हनुमानगढ़):
    • कुषाण काल के 105 तांबे के सिक्के (मुरंडा)।
  • जोधपुर:
    • विश्व प्रसिद्ध चांदी के सिक्के।



राजस्थान के प्रमुख संग्रहालय (विवरण सहित)

  1. प्रिंस अलबर्ट म्यूजियम, जयपुर

    • यह राजस्थान में स्थापित पहला संग्रहालय है।
    • इसकी नींव सन् 1876 में महाराजा रामसिंह के समय में प्रिंस अलबर्ट ने रखी।
    • इसे "अलबर्ट म्यूजियम" नाम दिया गया।
  2. राजपूताना म्यूजियम, अजमेर

    • यह संग्रहालय अजमेर के ऐतिहासिक दुर्ग 'अकबर का किला' (मैग्जीन) में स्थित है।
    • इसका उद्घाटन 19 अक्टूबर 1908 को गवर्नर जनरल के एजेंट (AGG) श्री काल्विन द्वारा किया गया।
  3. गंगा गोल्डन जुबली म्यूजियम, बीकानेर

    • इसकी स्थापना इटली के विद्वान डॉ. एल.पी. टेस्सीटोरी ने की।
    • यहाँ पल्लू से प्राप्त जैन सरस्वती की आकर्षक प्रतिमा प्रदर्शित है।
  4. बिड़ला तकनीकी म्यूजियम, पिलानी

    • यह देश का पहला उद्योग व तकनीकी संग्रहालय है।
    • यहाँ कोयले की खानों (कोलमाइन्स) का प्रदर्शन पूरे एशिया में अनूठा है।
  5. मेहरानगढ़ संग्रहालय, जोधपुर

    • यह जोधपुर के मेहरानगढ़ दुर्ग में स्थित है।
    • यहाँ राजस्थान की पारंपरिक पाग-पगड़ियों का संग्रह प्रदर्शित है।
  6. उम्मेद भवन पैलेस संग्रहालय, जोधपुर

    • यह संग्रहालय घड़ियों के अनूठे संग्रह के लिए प्रसिद्ध है।
  7. आहड़ संग्रहालय, आहड़ (उदयपुर)

    • इसे राजस्थान पुरातत्व विभाग द्वारा संचालित किया जाता है।
    • यहाँ आहड़ सभ्यता के पुरावशेष संग्रहित हैं।
  8. प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर

    • यह प्रतिष्ठान प्राचीन पांडुलिपियों और राजस्थान की प्राच्य विद्या का भंडार है।
  9. हल्दीघाटी संग्रहालय, राजसमंद

    • यह संग्रहालय महाराणा प्रताप के जीवन की यादों को समर्पित है।
    • हल्दीघाटी संग्रहालय का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है।


राजस्थान के रियासतों के सिक्के

राजस्थान के रियासतों के सिक्के

रियासत सिक्के
मेवाड़ चित्तौड़ी, भिलाड़ी, उदयपुरी, मुगली सिक्का एलची, चांदौड़ी, स्वरूपशाही, ढींगाल, शाहआलमी
जोधपुर विजयशाही, भीमशाही, गजशाही, ललूलिया
जयपुर झाड़शाही, मुहम्मदशाही, हाली
बीकानेर गजशाही
जैसलमेर अखैशाही, मुहम्मदशाही, डोडिया
डूंगरपुर उदयशाही, त्रिशूलिया, पत्रीसीरिया, चित्तौड़ी, सालिमशाही
बूँदी रामशाही, कतरशाही, साइंटशाही, पुराना शब्द, बारह-साना
करौली मानकशाही
धौलपुर दोशाही
अलवर अखैशाही, रावशाही, ताँबें के रावशाही टक्का, अंग्रेजी पाव आना सिक्का
झालावाड़ पुराने मदनशाही, नये मदनशाही
बाँसवाड़ा सलीमशाही, लक्ष्मणशाही
सलूम्बर पदमशाही
शाहपुरा संदिया, माधेशाही, चित्तौड़ी, भिलाड़ी
प्रतापगढ़ सालिमशाही, मुबारकशाही, सिक्का मुबारक लंदन
किशनगढ़ शाहआलमी
कोटा मदनशाही, हाली, गुमानशाही
सिरोही चाँदी का भिलाड़ी, ताँबें का ढब्बूशाही
पाली बिजयशाही
नागौर अमरशाही

राजस्थानी साहित्य

राजस्थानी साहित्य

साहित्य रचना रचनाकार
पृथ्वीराजरासो चन्दबरदाई
बीसलदेव रांसो नरपति नाल्ह
हम्मीर रासो जोधराज
शारगंधर संगत रासो
गिरधर आंसिया बेलिकृष्ण रूकमणीरी
पृथ्वीराज राठौड़ अचलदास खीची री वचनिका
शिवदास गदन कान्हड़ दे प्रबन्ध
पदमनाभ पातल और पीथल
दोस्त लाल सेठिया धरती धोरा री
दोस्त लाल सेठिया लीलटास
दोस्त लाल सेठिया रुठीरानी, चेतावनी रा चुंगठिया
केसरीसिंह बारहड राजस्थानी कहावता
मुरलीधर ब्यास राजस्थानी शब्दकोष
सीताराम लालस नैणसी री ख्यात
मुहणौत नैणसी मारवाड़ रे परगना री अतीत
राजस्थान के संग्रहालय

राजस्थान के प्रमुख संग्रहालय

संग्रहालय स्थान
विक्टोरिया हाल म्यूजियम गुलाब बाग, उदयपुर
सरदार म्यूजियम जोधपुर (1909 ई. में)
सिटी पैलेस संग्रहालय जयपुर
सर छोटूराम स्मारक संग्रहालय संगरिया, हनुमानगढ़
श्री रामचरण प्राच्य विद्यापीठ एवं संग्रहालय जयपुर
लोक संस्कृति शोध संस्थान नगरश्री, चूरू
करणी म्यूजियम बीकानेर के जूनागढ़ में
सार्दुल म्यूजियम बीकानेर के लालगढ़ पैलेस में
प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय जयपुर
लोक सांस्कृतिक संग्रहालय गड़सीसर, जैसलमेर
कालीबंगा संग्रहालय कालीबंगा, हनुमानगढ़ (1985-86 में)
जनजाति संग्रहालय उदयपुर
नाहटा संग्रहालय सरदार शहर (चूरू)
सिटी पैलेस म्यूजियम उदयपुर
राव माधोसिंह ट्रस्ट संग्रहालय कोटा
लोक कला संग्रहालय उदयपुर
गुड़ियों का संग्रहालय (Doll Museum) जयपुर
लोकवाद्यों का संग्रहालय राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर
महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश शोध केन्द्र जोधपुर के मेहरानगढ़ दुर्ग में
राजस्थान राज्य अभिलेखागार बीकानेर
श्री सरस्वती पुस्तकालय फतेहपुर, सीकर
मीरा संग्रहालय मेड़ता