लिफ्ट नहरों की सूची
क्र. सं. | लिफ्ट नहर का पुराना नाम | लिफ्ट नहर का नया नाम | लाभान्वित जिले |
---|---|---|---|
1 | गंधेली (नोहर) साहवा लिफ्ट | चौधरी कुम्भाराम लिफ्ट नहर | हनुमानगढ़, चुरू, झुंझुनू |
2 | बीकानेर - लुणकरणसर लिफ्ट | कंवरसेन लिफ्ट नहर | श्री गंगानगर, बीकानेर |
3 | गजनेर लिफ्ट नहर | पन्नालाल बारूपाल लिफ्ट नहर | बीकानेर, नागौर |
4 | बांगड़सर लिफ्ट नहर | भैरूदम चालनी वीर तेजाजी लिफ्ट नहर | बीकानेर |
5 | कोलायत लिफ्ट नहर | डा. करणी सिंह लिफ्ट नहर | बीकानेर, जोधपुर |
6 | फलौदी लिफ्ट नहर | गुरू जम्भेश्वर जलो उत्थान योजना | जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर |
7 | पोकरण लिफ्ट नहर | जयनारायण व्यास लिफ्ट | जैसलमेर, जोधपुर |
8 | जोधपुर लिफ्ट नहर (176 किमी. + 30 किमी. तक पाइप लाइन) | राजीव गांधी | जोधपुर |
राजस्थान की प्रमुख नहर और जल परियोजनाएं: पॉइंट वाइज विवरण
1. इंदिरा गांधी नहर परियोजना (IGNP)
IGNP से 9 शाखाएं निकाली गई हैं:
- हनुमानगढ़:
- रावतसर (बांयी ओर से निकलने वाली एकमात्र शाखा)
- श्री गंगानगर:
2. सुरतगढ़
3. अनूपगढ़ - बीकानेर:
4. पुगल
5. चारणवाला
6. दातौर
7. बिरसलपुर - जैसलमेर:
8. शहीद बीरबल
9. सागरमल गोपा
- हनुमानगढ़:
उपशाखाएं:
- मोहनगढ़ से लीलवा और दीघा उपशाखाएं।
- सागरमल गोपा शाखा से गड़रा रोड (बाबा रामदेव शाखा)।
लाभान्वित जिले:
- हनुमानगढ़, श्री गंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, नागौर, चुरू, जोधपुर, झुंझुनू।
विशेषताएं:
- 18.36 लाख हेक्टेयर सिंचाई योग्य क्षेत्र।
- पानी के बहाव के लिए निम्न उपाय:
- व्यास-सतलज नदी पर बांध।
- पौंग बांध।
- माधोपुर लिंक नहर।
- "आपणी योजना" जलापूर्ति के लिए बनाई गई।
- सूरतगढ़ और अनूपगढ़ शाखाओं पर 3 लघु विद्युत ग्रह।
2. गंगनहर परियोजना
- भारत की पहली नहर सिंचाई परियोजना।
- प्रयासकर्ता: महाराजा गंगासिंह।
- मुख्य विशेषताएं:
- सतलज नदी से फिरोजपुर के हुसैनीवाला से राजस्थान में प्रवेश।
- लंबाई: 129 किमी (112 किमी पंजाब + 17 किमी राजस्थान)।
- वितरिकाओं की लंबाई: 1280 किमी।
- मुख्य शाखाएं: लक्ष्मीनारायण जी, लालगढ़, करणीजी, समीक्षा।
3. भरतपुर नहर
- पश्चिमी यमुना की आगरा नहर से निकाली गई।
- निर्माण वर्ष: 1906 (पूरा: 1963-64)।
- लंबाई: 28 किमी (16 किमी उत्तर प्रदेश + 12 किमी राजस्थान)।
4. गुड़गांव नहर
- हरियाणा और राजस्थान की संयुक्त नहर।
- निर्माण उद्देश्य: मानसून के दौरान यमुना नदी के अतिरिक्त जल का उपयोग।
- लंबाई: 58 किमी।
- वर्तमान नाम: यमुना लिंक परियोजना।
5. भीखाभाई सागवाड़ा माही नहर
- डूंगरपुर जिले में स्थित।
- माही नदी पर साइफन का निर्माण।
- लाभ: 21,000 हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र।
6. जाखम परियोजना
- चित्तौड़गढ़-प्रतापगढ़ मार्ग पर अनुपपुरा गांव में स्थित।
- राजस्थान का सबसे ऊंचा बांध (81 मीटर)।
- लाभान्वित जिले: प्रतापगढ़, उदयपुर, चित्तौड़गढ़।
7. सिद्धमुख-नोहर परियोजना (राजीव गांधी नोहर परियोजना)
- निर्माण हेतु आर्थिक सहायता: यूरोपीय आर्थिक समुदाय।
- लाभान्वित क्षेत्र: नोहर, भादरा (हनुमानगढ़), तारानगर, सहवा (चुरू)।
8. बीसलपुर परियोजना
- बनास नदी पर टोंक जिले के टोडारायसिंह कस्बे में स्थित।
- राजस्थान की सबसे बड़ी पेयजल परियोजना।
- लाभान्वित क्षेत्र: अजमेर, ब्यावर, किशनगढ़, जयपुर।
9. नर्मदा नहर परियोजना
- सरदार सरोवर बांध से जलापूर्ति।
- राजस्थान में प्रवेश: सांचौर।
- सिंचाई विधि: केवल फुव्वारा पद्धति।
10. ईसरदा परियोजना
- बनास नदी पर सवाई माधोपुर के ईसरदा गांव में स्थित।
- लाभान्वित जिले: सवाई माधोपुर, टोंक, जयपुर।
11. लखवार बांध परियोजना
- यमुना बेसिन क्षेत्र में बहुउद्देशीय परियोजना।
- निर्माण: देहरादून के लोहारी गांव में यमुना नदी पर।
- लाभ: सिंचाई, बिजली, पेयजल।
12. रेणुकाजी डैम परियोजना
- गिरि नदी पर हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में निर्माण।
- लाभ: दिल्ली और अन्य बेसिन राज्यों को पानी और बिजली आपूर्ति।
विशेष तथ्य
- मेधा पाटकर और बाबा आमटे: नर्मदा बचाओ आंदोलन से संबंधित।
- उद्देश्य: सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई नियंत्रित रखना।
राजस्थान की प्रमुख मध्यम और लघु सिंचाई परियोजनाओं की सूची:
1. जवाई बांध
- स्थान: लूनी नदी की सहायक जवाई नदी, सुमेरपुर (पाली)
- निर्माण: जोधपुर महाराजा उम्मेदसिंह द्वारा 1946 में आरंभ, 1956 में पूर्ण
- विशेषताएं:
- "मारवाड़ का अमृत सरोवर" कहा जाता है।
- सेई परियोजना से जोड़ा गया।
- 2003 में जीर्णोद्धार कार्य शुरू।
2. मेजा बांध
- स्थान: माण्डलगढ़ (भीलवाड़ा), कोठारी नदी
- उपयोग:
- भीलवाड़ा शहर को पेयजल आपूर्ति।
- पाल पर "ग्रीन माउंट" के लिए प्रसिद्ध।
3. पांचणा बांध
- स्थान: करौली, गुड़ला गांव
- विशेषताएं:
- राजस्थान का सबसे बड़ा मिट्टी से निर्मित बांध।
- भद्रावती, बरखेड़ा सहित 5 नदियां इसमें मिलती हैं।
- करौली, सवाई माधोपुर, बयाना में जलापूर्ति।
4. मानसी-वॉकल परियोजना
- स्थान: उदयपुर
- विशेषताएं:
- संयुक्त परियोजना (राजस्थान सरकार व हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड)।
- 4.6 किमी लंबी सुरंग, भारत की सबसे बड़ी जल सुरंग।
5. पार्वती परियोजना (आंगई बांध)
- स्थान: धौलपुर, पार्वती नदी
- निर्माण: 1959
- उपयोग: सिंचाई सुविधा।
6. उरई परियोजना
- स्थान: भोपालपुरा, चित्तौड़गढ़
- विशेषताएं:
- 34 किमी लंबी नहर।
- चित्तौड़गढ़ और भीलवाड़ा में सिंचाई सुविधा।
7. गम्भीरी योजना
- स्थान: निम्बाहेड़ा (चित्तौड़गढ़), गम्भीरी नदी
- निर्माण: 1956
- उपयोग: सिंचाई।
8. बाघेरी का नाका बांध
- स्थान: राजसमंद जिले के खमनोर, बनास नदी
- विशेषताएं:
- 300+ गांवों को पेयजल आपूर्ति।
9. पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP)
- लाभान्वित जिले:
- अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, जयपुर आदि।
- विशेषताएं:
- 26 बड़ी और मध्यम परियोजनाएं।
- 2051 तक जल आपूर्ति और सिंचाई सुविधा।
10. परवन वृहद सिंचाई परियोजना
- स्थान: अकावद कलां (झालावाड़), परवन नदी
- विशेषताएं:
- 1821 गांवों को पेयजल और सिंचाई।
- बूंद-बूंद सिंचाई विधि।
11. सालवान बांध परियोजना
- स्थान: माउंट आबू
- विशेषताएं:
- माउंट आबू की पेयजल समस्या का समाधान।
- वर्तमान लागत: ₹250 करोड़।
12. पीललड़ा लिफ्ट नहर
- स्थान: सवाई माधोपुर, चंबल नदी
- उपयोग: जलापूर्ति और सिंचाई।
13. चुलीदेह परियोजना
- स्थान: करौली, भद्रावती नदी
- उद्देश्य: बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई।
14. नोनेरा (नवनेरा) बांध
- स्थान: कोटा, कालीसिंध नदी
- उपयोग:
- 13 जिलों की जलापूर्ति।
- बीसलपुर बांध से जुड़ा।
15. अन्य परियोजनाएं
- बिलास सिंचाई परियोजना: बारां जिले, बिलास नदी।
- ल्यासी सिंचाई परियोजना: बड़ौद तहसील, अंधेरी नदी।
- राजगढ़ सिंचाई परियोजना: कंथारी और आहू नदी संगम।
- हथियादेह सिंचाई परियोजना: बारां, कूल नदी।
- बैथली लघु सिंचाई परियोजना: पार्वती नदी।
महत्वपूर्ण मध्यम और लघु सिंचाई परियोजनाएं
परियोजना | जिला |
---|---|
बालापुरा लिफ्ट सिंचाई परियोजना | कोटा |
अंधेरी परियोजना | बाराँ |
छापी सिंचाई परियोजना | झालावाड़ |
चौली परियोजना | झालावाड़ |
तकली परियोजना | कोटा |
गागरिन परियोजना | झालावाड़ |
गरदड़ा परियोजना | बूंदी |
आलनिया सिंचाई परियोजना | कोटा |
जग्गर सिंचाई परियोजना | करौली |
पार्वती बांध परियोजना | धौलपुर (पार्वती-II नदी पर) |
बांडी - सेन्दड़ा परियोजना | भीनमाल, जालौर (बांडी नदी पर) |
सूकली- सेलवाड़ा परियोजना | सिरोही (सूकली नदी पर) |
वागन परियोजना | चितौड़गढ़ (वागन बांध पर) |
बांकली परियोजना | जालौर-पाली |
अड़वाना बांध परियोजना | शाहपुरा-भीलवाड़ा |
चवंली सिंचाई परियोजना | झालावाड़ |
गुलण्डी पेयजल परियोजना | झालावाड़ |
सिंगोला पेयजल परियोजना | बाराँ |
भीमनी पेयजल परियोजना | झालावाड़ |
रेवा पेयजल परियोजना | झालावाड़ (रेवा बांध पर) |
झालाजी बराना वृहद पेयजल परियोजना | बूंदी |
कछावन पेयजल परियोजना | बाराँ |
पीपलखूंट हाइ लेवल कैनाल | प्रतापगढ़ |
पेयजल और सिंचाई संबंधित योजनाएं:
जीवनधारा योजना
- उद्देश्य: SC/ST गरीब किसानों को सिंचाई हेतु कुएं बनाने में शत-प्रतिशत अनुदान।
- शुरुआत: 1996-97 में स्वतंत्र रूप से।
- पूर्व योजना: जवाहर रोजगार योजना की उप-योजना (Million Well Yojana)।
मुख्यमंत्री राजनीर योजना
- घोषणा: 13 मार्च 2020।
- उद्देश्य: 15,000 लीटर से कम मासिक जल खपत पर जल शुल्क माफी।
- विशेष: खराब वाटर मीटर बदलकर स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY)
- शुरुआत: 2015-16।
- घटक: त्वरित सिंचाई लाभ, जल ग्रहण प्रबंधन, खेत जल प्रबंधन।
- अंशदान: केंद्र और राज्य का अनुपात 60:40।
मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना
- शुभारंभ: 27 जनवरी 2016।
- स्थान: गर्दनखेड़ी गांव, झालावाड़।
- उद्देश्य: पेयजल आत्मनिर्भरता।
'एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन' (IWRM)
- जिले: जैसलमेर, बीकानेर, बाड़मेर, जालौर, पाली, जोधपुर, नागौर, चूरू, राजसमंद, झुंझुनू, सीकर।
- लक्ष्य: 85 ब्लॉक, 3182 ग्राम पंचायत।
तरुण भारत संघ
- संस्थापक: राजेंद्र सिंह (जल पुरुष)।
- स्थापना: 1975, अलवर।
- पुरस्कार: रेमन मैग्सेसे (2001), स्टॉकहोम जल पुरस्कार (2015)।
अटल भूजल योजना
- शुरुआत: 25 दिसंबर 2019।
- प्रथम चरण: 2020-2025, 7 राज्यों के 78 जिले।
- राजस्थान जिले: 17।
- लक्ष्य: भू-जल प्रबंधन और संरक्षण।
राजीव गांधी जल संचय योजना
- शुरुआत: 20 अगस्त 2019।
- उद्देश्य: भू-जल स्तर गिरावट रोकना।
मिशन अमृत सरोवर
- शुरुआत: 24 अप्रैल 2022।
- लक्ष्य: 50,000 अमृत सरोवर का निर्माण।
- क्षमता: प्रत्येक सरोवर 1 एकड़ क्षेत्र और 10,000 घन मीटर जलधारण।
राष्ट्रीय वाटर शेड प्रबंधन परियोजना (NWMP)
- शुरुआत: 2015-16।
- राजस्थान जिले: जोधपुर, उदयपुर।
- लक्ष्य: सतही और भूमिगत जल का प्रबंधन।
जनता जल योजना
- उद्देश्य: स्वैच्छिक संगठनों व पंचायतों को पेयजल योजना संचालन।
- कुल योजनाएं: 6514।
- संचालन विभाग: पंचायती राज विभाग।
भुंगरू पद्धति
- तकनीक: वर्षा जल संचयन और भूमि में संग्रहण।
- लाभ: सिंचाई हेतु पानी पुन: उपयोग।
- चयनित जिले: 12 (श्री गंगानगर, हनुमानगढ़, चित्तौड़गढ़ आदि)।
नदियों को जोड़ने का कानून
- विशेष: राजस्थान पहला राज्य।
इन योजनाओं का उद्देश्य जल संरक्षण, सिंचाई और पेयजल संकट को कम करना है।