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राजस्थान की सिंचाई परियोजनाएँ

 

परिभाषा

वर्षा के अभाव में भूमि को कृत्रिम रूप से जल उपलब्ध कराने की प्रक्रिया को सिंचाई कहते हैं। यह आधारभूत संरचना का एक महत्वपूर्ण अंग है।


राजस्थान में सिंचाई की स्थिति

  1. राज्य की 2/3 कृषि योग्य भूमि वर्षा पर निर्भर है।
  2. राजस्थान का अधिकांश हिस्सा शुष्क और अर्ध-शुष्क है।
  3. कृषि उत्पादन मानसून पर अत्यधिक निर्भर होने के कारण इसे 'कृषि मानसून का जुआ' कहा जाता है।
  4. राजस्थान का पश्चिमी भाग मरूस्थल से प्रभावित है।
  5. श्री गंगानगर जिले का सर्वाधिक सिंचित क्षेत्र है, जबकि सबसे कम सिंचित क्षेत्र राजसमंद जिले में है।

सिंचाई के प्रकार और साधन

1. लघु सिंचाई परियोजनाएँ

  • जिनसे 2000 हेक्टेयर तक सिंचाई की सुविधा मिलती है।

2. मध्यम सिंचाई परियोजनाएँ

  • 2000 से 10,000 हेक्टेयर सिंचाई सुविधा प्रदान करती हैं।

3. वृहत सिंचाई परियोजनाएँ

  • 10,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सिंचाई करती हैं।

मुख्य सिंचाई साधन

1. कुएं और ट्यूबवेल

  • राजस्थान में सबसे अधिक सिंचाई कुओं और ट्यूबवेल के माध्यम से होती है।
  • 66% सिंचित भूमि इस साधन पर निर्भर है।
  • सर्वाधिक उपयोग जयपुर और अलवर जिलों में होता है।

2. नहरें

  • कुल सिंचित क्षेत्र का 33% भाग नहरों के माध्यम से सिंचित होता है।
  • श्री गंगानगर में नहरों से सर्वाधिक सिंचाई होती है।

3. तालाब

  • सिंचाई का 0.6% क्षेत्र तालाबों से होता है।
  • सबसे अधिक उपयोग भीलवाड़ा और उदयपुर में होता है।

4. अन्य साधन

  • इनमें नदी-नालों का उपयोग होता है।
  • कुल सिंचित क्षेत्र का 0.3% भाग इस साधन पर निर्भर है।

ग्राउंड वॉटर रिसोर्स ऑफ इंडिया (2022)

  • राजस्थान में कुल 301 ब्लॉक (पंचायत समितियाँ) हैं।
    • 219 ब्लॉक (72%) 'डार्क ज़ोन' में आते हैं।
    • 38 ब्लॉक सुरक्षित श्रेणी में।
    • 22 संकटग्रस्त और 20 अर्द्ध-संकटग्रस्त हैं।
  • सुरक्षित जिले: डूंगरपुर, बांसवाड़ा, बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़।

राजस्थान सिंचाई प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान

  • स्थापना: अगस्त 1984, कोटा।
  • सहयोग: अमेरिकी राष्ट्रीय विकास एजेंसी।
  • उद्देश्य:
    • सिंचाई और कृषि विभाग के कर्मचारियों को प्रशिक्षण।
    • समुचित जल उपयोग और कृषि ज्ञान का प्रचार





राजस्थान की प्रमुख बहुउद्देश्यीय परियोजनाएँ



पं. जवाहरलाल नेहरू का विचार


जवाहरलाल नेहरू ने बहुउद्देश्यीय परियोजनाओं को "आधुनिक भारत के मंदिर" कहा है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य जल आपूर्ति, सिंचाई, विद्युत उत्पादन और बाढ़ नियंत्रण जैसे कार्यों में सहायक होना है।


1. चंबल नदी घाटी परियोजना

यह राजस्थान और मध्यप्रदेश की संयुक्त परियोजना है। इसमें दोनों राज्यों की हिस्सेदारी 50-50% है। परियोजना का कार्य 1952-54 में शुरू हुआ।

मुख्य बाँध

क. गांधी सागर बाँध

  • स्थान: भानुपुरा तहसील, मध्यप्रदेश।
  • निर्माण वर्ष: 1960।
  • विशेषताएँ:
    • दो नहरें निकलती हैं:
      • बायीं नहर: राजस्थान के बूंदी जिले तक।
      • दायीं नहर: मध्यप्रदेश की पार्वती नदी को पार करती है।
    • गांधी सागर विद्युत स्टेशन है।

ख. राणा प्रताप सागर बाँध

  • स्थान: रावतभाटा (चित्तौड़गढ़)।
  • निर्माण वर्ष: 1970।
  • उद्देश्य: विद्युत उत्पादन।

ग. जवाहर सागर बाँध

  • स्थान: कोटा के बोरावास गांव।
  • इसे "कोटा बाँध" भी कहते हैं।
  • विशेषताएँ: विद्युत उत्पादन।

घ. कोटा बैराज

  • स्थान: कोटा शहर के पास।
  • विशेषताएँ:
    • दो नहरें निकलती हैं:
      • बायीं नहर: राजस्थान के कोटा, बूंदी, टोंक, सवाई माधोपुर, और करौली जिलों में।
      • दायीं नहर: मध्यप्रदेश में।

2. भाखड़ा-नांगल परियोजना

यह भारत की सबसे बड़ी नदी घाटी परियोजना है। इसमें राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं। राजस्थान का हिस्सा 15.2% है।

मुख्य बाँध और सुविधाएँ

क. भाखड़ा बाँध

  • स्थान: सतलज नदी, बिलासपुर जिला, हिमाचल प्रदेश।
  • जलाशय: गोविंद सागर।
  • विशेषताएँ:
    • निर्माण: 1946 में शुरू, 1962 में पूरा।
    • भारत का सबसे ऊँचा बाँध।

ख. नांगल बाँध

  • स्थान: सतलज नदी, रोपड़, पंजाब।
  • निर्माण वर्ष: 1952।
  • विशेषताएँ:
    • भाखड़ा मुख्य नहर (64 किमी) निकाली गई।

ग. भाखड़ा मुख्य नहर

  • राज्यों को सिंचाई और जल आपूर्ति।
  • राजस्थान के हनुमानगढ़, बीकानेर, और गंगानगर जिलों को जल और विद्युत आपूर्ति।

3. व्यास परियोजना

यह सतलज, रावी और व्यास नदियों के जल उपयोग के लिए पंजाब, राजस्थान और हरियाणा की संयुक्त परियोजना है।

मुख्य बाँध

क. पंडोह बाँध

  • स्थान: मंडी जिला, हिमाचल प्रदेश।
  • विशेषताएँ:
    • व्यास-सतलज लिंक नहर।
    • विद्युत उत्पादन: 990 मेगावाट।

ख. पोंग बाँध

  • स्थान: कांगड़ा जिला, हिमाचल प्रदेश।
  • उद्देश्य:
    • इंदिरा गांधी नहर परियोजना को जल आपूर्ति।
    • विद्युत उत्पादन: 390 मेगावाट।

रावी-व्यास जल विवाद

  • 1985 में "इराड़ी आयोग" द्वारा राजस्थान को 86 लाख एकड़ घन फीट जल आवंटित किया गया।

4. माही बजाज सागर परियोजना

यह राजस्थान और गुजरात की संयुक्त परियोजना है।

मुख्य सुविधाएँ

  • स्थान: माही नदी, बांसवाड़ा।
  • निर्माण वर्ष: 1983।
  • राजस्थान का हिस्सा: 45%।
  • गुजरात का हिस्सा: 55%।
  • विद्युत उत्पादन: 100% राजस्थान को।

क. कड़ाना बाँध

  • स्थान: गुजरात।

ख. माही बजाज सागर बाँध

  • स्थान: बोरखेड़ा गांव, बांसवाड़ा।
  • विशेषताएँ:
    • दो नहरें:
      • दायाँ नहर: भीखाभाई सागवाड़ा।
      • बायाँ नहर: आनंदपुरी-भूकिया।
    • लाभ: बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिलों को सिंचाई और जल आपूर्ति।


महत्व

राजस्थान की ये बहुउद्देश्यीय परियोजनाएँ राज्य के सिंचाई, जल आपूर्ति और विद्युत उत्पादन की जरूरतों को पूरा करती हैं। ये परियोजनाएँ राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।








इंदिरा गांधी नहर परियोजना से संबंधित तथ्य

1. जल वितरण की योजना में परिवर्तन

  • राजस्थान नहर परियोजना के मूल प्रारूप में केवल जल वितरण शाखाओं के निर्माण की योजना थी।
  • 1963 में पहली बार इस परियोजना में लिफ्ट नहरों को शामिल किया गया।
  • 1968 में पहली लिफ्ट नहर कंवर सेन लिफ्ट नहर (प्राचीन नाम: लूणकरणसर लिफ्ट नहर) का निर्माण शुरू हुआ।

2. वीर तेजाजी लिफ्ट नहर

  • यह IGNP की सबसे छोटी लिफ्ट नहर है।
  • इसका प्राचीन नाम बांगड़सर लिफ्ट नहर था।

3. राजीव गांधी जलोत्थान नहर परियोजना

  • पूर्व में इसे राजीव गांधी लिफ्ट नहर कहा जाता था।
  • IGNP की सबसे लंबी लिफ्ट नहर (176 किमी) है।
  • महत्व:
    • जोधपुर नगर और रास्ते के 158 गांवों को पेयजल उपलब्ध कराती है।
    • इसे "जोधपुर नगर की जीवन रेखा" कहा जाता है।
  • तकनीकी विशेषता:
    • इस परियोजना में 8 पंपिंग स्टेशन हैं।
    • पानी को 219 मीटर तक ऊंचा उठाया जाता है
  • स्रोत: SUJAS (मई 2022)

4. बीकानेर-लूणकरणसर लिफ्ट नहर

  • IGNP की दूसरी सबसे लंबी लिफ्ट नहर है।

5. जल वितरण व्यवस्था

  • नहर के दायें किनारे से जल वितरण के लिए शाखा नहरें बनाई गई हैं।
  • नहर के बायें किनारे से लिफ्ट नहरें निकाली गई हैं।
  • अपवाद:
    • नहर की एकमात्र शाखा रावतसर नहर बायें किनारे से निकाली गई है।

विशेषता और महत्व

  • लिफ्ट नहरें ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जल उपलब्ध कराने के लिए बनाई गईं।
  • पेयजल और सिंचाई के साथ मरुस्थलीय क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास सुनिश्चित करती हैं।
  • राजीव गांधी जलोत्थान नहर और कंवर सेन लिफ्ट नहर परियोजना महत्वपूर्ण कड़ी हैं।




लिफ्ट नहर जानकारी

लिफ्ट नहरों की सूची

क्र. सं. लिफ्ट नहर का पुराना नाम लिफ्ट नहर का नया नाम लाभान्वित जिले
1 गंधेली (नोहर) साहवा लिफ्ट चौधरी कुम्भाराम लिफ्ट नहर हनुमानगढ़, चुरू, झुंझुनू
2 बीकानेर - लुणकरणसर लिफ्ट कंवरसेन लिफ्ट नहर श्री गंगानगर, बीकानेर
3 गजनेर लिफ्ट नहर पन्नालाल बारूपाल लिफ्ट नहर बीकानेर, नागौर
4 बांगड़सर लिफ्ट नहर भैरूदम चालनी वीर तेजाजी लिफ्ट नहर बीकानेर
5 कोलायत लिफ्ट नहर डा. करणी सिंह लिफ्ट नहर बीकानेर, जोधपुर
6 फलौदी लिफ्ट नहर गुरू जम्भेश्वर जलो उत्थान योजना जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर
7 पोकरण लिफ्ट नहर जयनारायण व्यास लिफ्ट जैसलमेर, जोधपुर
8 जोधपुर लिफ्ट नहर (176 किमी. + 30 किमी. तक पाइप लाइन) राजीव गांधी जोधपुर




राजस्थान की प्रमुख नहर और जल परियोजनाएं: पॉइंट वाइज विवरण

1. इंदिरा गांधी नहर परियोजना (IGNP)

  • IGNP से 9 शाखाएं निकाली गई हैं:

    • हनुमानगढ़:
      1. रावतसर (बांयी ओर से निकलने वाली एकमात्र शाखा)
    • श्री गंगानगर:
      2. सुरतगढ़
      3. अनूपगढ़
    • बीकानेर:
      4. पुगल
      5. चारणवाला
      6. दातौर
      7. बिरसलपुर
    • जैसलमेर:
      8. शहीद बीरबल
      9. सागरमल गोपा
  • उपशाखाएं:

    • मोहनगढ़ से लीलवा और दीघा उपशाखाएं।
    • सागरमल गोपा शाखा से गड़रा रोड (बाबा रामदेव शाखा)।
  • लाभान्वित जिले:

    • हनुमानगढ़, श्री गंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, नागौर, चुरू, जोधपुर, झुंझुनू।
  • विशेषताएं:

    • 18.36 लाख हेक्टेयर सिंचाई योग्य क्षेत्र।
    • पानी के बहाव के लिए निम्न उपाय:
      1. व्यास-सतलज नदी पर बांध।
      2. पौंग बांध।
      3. माधोपुर लिंक नहर।
    • "आपणी योजना" जलापूर्ति के लिए बनाई गई।
    • सूरतगढ़ और अनूपगढ़ शाखाओं पर 3 लघु विद्युत ग्रह।


2. गंगनहर परियोजना


  • भारत की पहली नहर सिंचाई परियोजना।
  • प्रयासकर्ता: महाराजा गंगासिंह।
  • मुख्य विशेषताएं:
    • सतलज नदी से फिरोजपुर के हुसैनीवाला से राजस्थान में प्रवेश।
    • लंबाई: 129 किमी (112 किमी पंजाब + 17 किमी राजस्थान)।
    • वितरिकाओं की लंबाई: 1280 किमी।
  • मुख्य शाखाएं: लक्ष्मीनारायण जी, लालगढ़, करणीजी, समीक्षा।


3. भरतपुर नहर


  • पश्चिमी यमुना की आगरा नहर से निकाली गई।
  • निर्माण वर्ष: 1906 (पूरा: 1963-64)।
  • लंबाई: 28 किमी (16 किमी उत्तर प्रदेश + 12 किमी राजस्थान)।


4. गुड़गांव नहर


  • हरियाणा और राजस्थान की संयुक्त नहर।
  • निर्माण उद्देश्य: मानसून के दौरान यमुना नदी के अतिरिक्त जल का उपयोग।
  • लंबाई: 58 किमी।
  • वर्तमान नाम: यमुना लिंक परियोजना।

5. भीखाभाई सागवाड़ा माही नहर

  • डूंगरपुर जिले में स्थित।
  • माही नदी पर साइफन का निर्माण।
  • लाभ: 21,000 हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र।

6. जाखम परियोजना

  • चित्तौड़गढ़-प्रतापगढ़ मार्ग पर अनुपपुरा गांव में स्थित।
  • राजस्थान का सबसे ऊंचा बांध (81 मीटर)।
  • लाभान्वित जिले: प्रतापगढ़, उदयपुर, चित्तौड़गढ़।

7. सिद्धमुख-नोहर परियोजना (राजीव गांधी नोहर परियोजना)

  • निर्माण हेतु आर्थिक सहायता: यूरोपीय आर्थिक समुदाय।
  • लाभान्वित क्षेत्र: नोहर, भादरा (हनुमानगढ़), तारानगर, सहवा (चुरू)।

8. बीसलपुर परियोजना

  • बनास नदी पर टोंक जिले के टोडारायसिंह कस्बे में स्थित।
  • राजस्थान की सबसे बड़ी पेयजल परियोजना।
  • लाभान्वित क्षेत्र: अजमेर, ब्यावर, किशनगढ़, जयपुर।

9. नर्मदा नहर परियोजना

  • सरदार सरोवर बांध से जलापूर्ति।
  • राजस्थान में प्रवेश: सांचौर।
  • सिंचाई विधि: केवल फुव्वारा पद्धति।

10. ईसरदा परियोजना

  • बनास नदी पर सवाई माधोपुर के ईसरदा गांव में स्थित।
  • लाभान्वित जिले: सवाई माधोपुर, टोंक, जयपुर।

11. लखवार बांध परियोजना

  • यमुना बेसिन क्षेत्र में बहुउद्देशीय परियोजना।
  • निर्माण: देहरादून के लोहारी गांव में यमुना नदी पर।
  • लाभ: सिंचाई, बिजली, पेयजल।

12. रेणुकाजी डैम परियोजना

  • गिरि नदी पर हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में निर्माण।
  • लाभ: दिल्ली और अन्य बेसिन राज्यों को पानी और बिजली आपूर्ति।

विशेष तथ्य

  • मेधा पाटकर और बाबा आमटे: नर्मदा बचाओ आंदोलन से संबंधित।
  • उद्देश्य: सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई नियंत्रित रखना।




राजस्थान की प्रमुख मध्यम और लघु सिंचाई परियोजनाओं की सूची:


1. जवाई बांध

  • स्थान: लूनी नदी की सहायक जवाई नदी, सुमेरपुर (पाली)
  • निर्माण: जोधपुर महाराजा उम्मेदसिंह द्वारा 1946 में आरंभ, 1956 में पूर्ण
  • विशेषताएं:
    • "मारवाड़ का अमृत सरोवर" कहा जाता है।
    • सेई परियोजना से जोड़ा गया।
    • 2003 में जीर्णोद्धार कार्य शुरू।

2. मेजा बांध

  • स्थान: माण्डलगढ़ (भीलवाड़ा), कोठारी नदी
  • उपयोग:
    • भीलवाड़ा शहर को पेयजल आपूर्ति।
    • पाल पर "ग्रीन माउंट" के लिए प्रसिद्ध।

3. पांचणा बांध

  • स्थान: करौली, गुड़ला गांव
  • विशेषताएं:
    • राजस्थान का सबसे बड़ा मिट्टी से निर्मित बांध।
    • भद्रावती, बरखेड़ा सहित 5 नदियां इसमें मिलती हैं।
    • करौली, सवाई माधोपुर, बयाना में जलापूर्ति।

4. मानसी-वॉकल परियोजना

  • स्थान: उदयपुर
  • विशेषताएं:
    • संयुक्त परियोजना (राजस्थान सरकार व हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड)।
    • 4.6 किमी लंबी सुरंग, भारत की सबसे बड़ी जल सुरंग।

5. पार्वती परियोजना (आंगई बांध)

  • स्थान: धौलपुर, पार्वती नदी
  • निर्माण: 1959
  • उपयोग: सिंचाई सुविधा।

6. उरई परियोजना

  • स्थान: भोपालपुरा, चित्तौड़गढ़
  • विशेषताएं:
    • 34 किमी लंबी नहर।
    • चित्तौड़गढ़ और भीलवाड़ा में सिंचाई सुविधा।

7. गम्भीरी योजना

  • स्थान: निम्बाहेड़ा (चित्तौड़गढ़), गम्भीरी नदी
  • निर्माण: 1956
  • उपयोग: सिंचाई।

8. बाघेरी का नाका बांध

  • स्थान: राजसमंद जिले के खमनोर, बनास नदी
  • विशेषताएं:
    • 300+ गांवों को पेयजल आपूर्ति।

9. पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP)

  • लाभान्वित जिले:
    • अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, जयपुर आदि।
  • विशेषताएं:
    • 26 बड़ी और मध्यम परियोजनाएं।
    • 2051 तक जल आपूर्ति और सिंचाई सुविधा।

10. परवन वृहद सिंचाई परियोजना

  • स्थान: अकावद कलां (झालावाड़), परवन नदी
  • विशेषताएं:
    • 1821 गांवों को पेयजल और सिंचाई।
    • बूंद-बूंद सिंचाई विधि।

11. सालवान बांध परियोजना

  • स्थान: माउंट आबू
  • विशेषताएं:
    • माउंट आबू की पेयजल समस्या का समाधान।
    • वर्तमान लागत: ₹250 करोड़।

12. पीललड़ा लिफ्ट नहर

  • स्थान: सवाई माधोपुर, चंबल नदी
  • उपयोग: जलापूर्ति और सिंचाई।

13. चुलीदेह परियोजना

  • स्थान: करौली, भद्रावती नदी
  • उद्देश्य: बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई।

14. नोनेरा (नवनेरा) बांध

  • स्थान: कोटा, कालीसिंध नदी
  • उपयोग:
    • 13 जिलों की जलापूर्ति।
    • बीसलपुर बांध से जुड़ा।

15. अन्य परियोजनाएं

  • बिलास सिंचाई परियोजना: बारां जिले, बिलास नदी।
  • ल्यासी सिंचाई परियोजना: बड़ौद तहसील, अंधेरी नदी।
  • राजगढ़ सिंचाई परियोजना: कंथारी और आहू नदी संगम।
  • हथियादेह सिंचाई परियोजना: बारां, कूल नदी।
  • बैथली लघु सिंचाई परियोजना: पार्वती नदी।


मध्यम और लघु सिंचाई परियोजनाएं

महत्वपूर्ण मध्यम और लघु सिंचाई परियोजनाएं

परियोजना जिला
बालापुरा लिफ्ट सिंचाई परियोजना कोटा
अंधेरी परियोजना बाराँ
छापी सिंचाई परियोजना झालावाड़
चौली परियोजना झालावाड़
तकली परियोजना कोटा
गागरिन परियोजना झालावाड़
गरदड़ा परियोजना बूंदी
आलनिया सिंचाई परियोजना कोटा
जग्गर सिंचाई परियोजना करौली
पार्वती बांध परियोजना धौलपुर (पार्वती-II नदी पर)
बांडी - सेन्दड़ा परियोजना भीनमाल, जालौर (बांडी नदी पर)
सूकली- सेलवाड़ा परियोजना सिरोही (सूकली नदी पर)
वागन परियोजना चितौड़गढ़ (वागन बांध पर)
बांकली परियोजना जालौर-पाली
अड़वाना बांध परियोजना शाहपुरा-भीलवाड़ा
चवंली सिंचाई परियोजना झालावाड़
गुलण्डी पेयजल परियोजना झालावाड़
सिंगोला पेयजल परियोजना बाराँ
भीमनी पेयजल परियोजना झालावाड़
रेवा पेयजल परियोजना झालावाड़ (रेवा बांध पर)
झालाजी बराना वृहद पेयजल परियोजना बूंदी
कछावन पेयजल परियोजना बाराँ
पीपलखूंट हाइ लेवल कैनाल प्रतापगढ़








पेयजल और सिंचाई संबंधित योजनाएं:

  1. जीवनधारा योजना

    • उद्देश्य: SC/ST गरीब किसानों को सिंचाई हेतु कुएं बनाने में शत-प्रतिशत अनुदान।
    • शुरुआत: 1996-97 में स्वतंत्र रूप से।
    • पूर्व योजना: जवाहर रोजगार योजना की उप-योजना (Million Well Yojana)।
  2. मुख्यमंत्री राजनीर योजना

    • घोषणा: 13 मार्च 2020।
    • उद्देश्य: 15,000 लीटर से कम मासिक जल खपत पर जल शुल्क माफी।
    • विशेष: खराब वाटर मीटर बदलकर स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे।
  3. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY)

    • शुरुआत: 2015-16।
    • घटक: त्वरित सिंचाई लाभ, जल ग्रहण प्रबंधन, खेत जल प्रबंधन।
    • अंशदान: केंद्र और राज्य का अनुपात 60:40।
  4. मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना

    • शुभारंभ: 27 जनवरी 2016।
    • स्थान: गर्दनखेड़ी गांव, झालावाड़।
    • उद्देश्य: पेयजल आत्मनिर्भरता।
  5. 'एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन' (IWRM)

    • जिले: जैसलमेर, बीकानेर, बाड़मेर, जालौर, पाली, जोधपुर, नागौर, चूरू, राजसमंद, झुंझुनू, सीकर।
    • लक्ष्य: 85 ब्लॉक, 3182 ग्राम पंचायत।
  6. तरुण भारत संघ

    • संस्थापक: राजेंद्र सिंह (जल पुरुष)।
    • स्थापना: 1975, अलवर।
    • पुरस्कार: रेमन मैग्सेसे (2001), स्टॉकहोम जल पुरस्कार (2015)।
  7. अटल भूजल योजना

    • शुरुआत: 25 दिसंबर 2019।
    • प्रथम चरण: 2020-2025, 7 राज्यों के 78 जिले।
    • राजस्थान जिले: 17।
    • लक्ष्य: भू-जल प्रबंधन और संरक्षण।
  8. राजीव गांधी जल संचय योजना

    • शुरुआत: 20 अगस्त 2019।
    • उद्देश्य: भू-जल स्तर गिरावट रोकना।
  9. मिशन अमृत सरोवर

    • शुरुआत: 24 अप्रैल 2022।
    • लक्ष्य: 50,000 अमृत सरोवर का निर्माण।
    • क्षमता: प्रत्येक सरोवर 1 एकड़ क्षेत्र और 10,000 घन मीटर जलधारण।
  10. राष्ट्रीय वाटर शेड प्रबंधन परियोजना (NWMP)

    • शुरुआत: 2015-16।
    • राजस्थान जिले: जोधपुर, उदयपुर।
    • लक्ष्य: सतही और भूमिगत जल का प्रबंधन।
  11. जनता जल योजना

    • उद्देश्य: स्वैच्छिक संगठनों व पंचायतों को पेयजल योजना संचालन।
    • कुल योजनाएं: 6514।
    • संचालन विभाग: पंचायती राज विभाग।
  12. भुंगरू पद्धति

    • तकनीक: वर्षा जल संचयन और भूमि में संग्रहण।
    • लाभ: सिंचाई हेतु पानी पुन: उपयोग।
    • चयनित जिले: 12 (श्री गंगानगर, हनुमानगढ़, चित्तौड़गढ़ आदि)।
  13. नदियों को जोड़ने का कानून

    • विशेष: राजस्थान पहला राज्य।

इन योजनाओं का उद्देश्य जल संरक्षण, सिंचाई और पेयजल संकट को कम करना है।