राणा कुंभा (1433–1468 ई.)
प्रारंभिक चुनौतियां:
- बाल्यावस्था में कुंभा राजा बने।
- कुंभा ने चाचा और मेरा की हत्या करवाकर विद्रोहियों का दमन किया।
- रणमल राठौड़ की हत्या 1438 ई. में उनकी प्रेमिका भारमली की सहायता से करवाई।
सैन्य उपलब्धियां:
- 1437 ई. में सारंगपुर के युद्ध में महमूद खिलजी को हराया।
- 1457 ई. में गुजरात और मालवा की संयुक्त सेनाओं को हराया।
- नागौर के युद्ध में शम्स खान को पराजित कर नागौर पर अधिकार किया।
संधियां और संबंध:
- 1453 ई. में 'आवल-बावल संधि' के तहत मेवाड़-मारवाड़ सीमा का निर्धारण हुआ।
- राव जोधा और राणा कुंभा के संबंध बेहतर हुए।
संस्कृति और स्थापत्य:
- विजय स्तंभ का निर्माण सारंगपुर विजय की स्मृति में करवाया।
- रानी श्रृंगार देवी ने घोसुंडी की बावड़ी का निर्माण करवाया।
- दरबार में सोन सुंदर, कामुनी सुंदर जैसे जैन विद्वान थे।
उपाधियां:
- हिंदु सुरताण: हिंदू शासकों का हितैषी।
- महाराजाधिराज: राजाओं का राजा।
- शैलगुरू और हालगुरू: दुर्ग निर्माण और युद्ध-कला में निपुणता के लिए।
- दानगुरू: दानशीलता के लिए।
- अभिनव भरताचार्य: संगीत और कला का संरक्षक।
संगीत और साहित्य में योगदान
संगीत कला:
- महाराणा कुम्भा स्वयं वीणा बजाते थे।
- संगीत ग्रंथ:
- संगीतराज (5 भाग): पाठरत्नकोश, गीतरत्नकोश, वाद्यरत्नकोश, नृत्यरत्नकोश, रसरत्नकोश।
- संगीतमीसा, सूदप्रबंध।
- गुरु: सारंग व्यास।
- 'अभिनव भरताचार्य' की उपाधि।
रचनाएँ:
- चंदीशतक की व्याख्या।
- गीतगोविंद और रसिकप्रिया की टीका।
- एकलिंग महात्म्य का प्रारंभिक भाग।
- राजवर्णन, संगीतक्रमदीपक, हरिवर्तिका।
दरबारी विद्वान और शिल्पी
मंडन:
- प्रमुख वास्तुकार।
- ग्रंथ: राजवल्लभ, प्रसाद मंडन, देवमूर्ति प्रकरण, शकुन मंडन।
नापा:
- ग्रंथ: वास्तु मंजरी।
गोविंद:
- ग्रंथ: कलानिधि, द्वार दीपिका।
कान्हड़ व्यास:
- एकलिंग महात्म्य की रचना।
अत्रि भट्ट और महेश भट्ट:
- कीर्ति स्तम्भ प्रशस्ति।
सोन सुंदर और कामुनी सुंदर:
- जैन विद्वान।
महाराणा कुम्भा की उपाधियाँ
- महाराजाधिराज: राजाओं के राजा।
- अभिनव भरताचार्य: संगीत में निपुण।
- हिंदु सुरताण: हिंदू शासकों का रक्षक।
- हालगुरू: पर्वतीय दुर्गों के स्वामी।
- शैलगुरू: युद्धकला में निपुण।
- दानगुरू: दानी।
- अश्वपति: कुशल घुड़सवार।
- राजगुरू: राजनीतिक सिद्धांतों का ज्ञाता।
महाराणा कुम्भा के काल में स्थापत्य, कला, और साहित्य का ऐसा समृद्ध स्वरूप देखने को मिलता है, जो उन्हें महान राजा, कुशल प्रशासक, और विद्यानुरागी के रूप में स्थापित करता है।
राणा कुम्भा और ऊदा/उदयसिंह
- राणा कुम्भा की हत्या: 1468 ई. में उनके पुत्र ऊदा ने कुम्भलगढ़ में मामादेव कुंड पर उनकी हत्या कर दी।
- ऊदा का शासन:
- 1468-1473 ई. तक शासन किया।
- पितृहंता होने के कारण राजपूत सरदारों ने ऊदा को अस्वीकार कर दिया।
- ऊदा का पतन:
- रायमल को राणा बनाने के लिए सरदारों ने संघर्ष किया।
- दाड़िमपुर के युद्ध में रायमल ने ऊदा को हराया।
- ऊदा कुंभलगढ़ से भागकर सोजत, बीकानेर और मांडू गया।
- ग्यासुद्दीन की सहायता मांगने पर उसने अपनी पुत्री का विवाह ग्यासुद्दीन से करवाया।
- बिजली गिरने से ऊदा की मृत्यु हो गई।