1. बिजली संसाधनों का महत्व:
- बिजली संसाधन आधुनिक कृषि, औद्योगिक और आर्थिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
- पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और सौर ऊर्जा क्षमता ने राजस्थान को "शक्ति अधिशेष राज्य" में परिवर्तित करने में मदद की है।
2. स्वतंत्रता के समय स्थिति:
- राजस्थान में केवल 42 शहरों और गांवों का विद्युतीकरण हुआ था।
- स्थापित उत्पादन क्षमता मात्र 13.27 मेगावाट थी।
3. राजस्थान राज्य विद्युत बोर्ड (RSEB):
- गठन: 1 जुलाई 1957
- कार्य: बिजली उत्पादन, हस्तांतरण, और वितरण का प्रबंधन।
- 19 जुलाई 2000 को RSEB को 5 कंपनियों में विभाजित किया गया:
- राजस्थान विधुत उत्पादन निगम लिमिटेड, जयपुर
- राजस्थान विधुत प्रसारण निगम लिमिटेड, जयपुर
- जयपुर विधुत वितरण निगम लिमिटेड, जयपुर
- अजमेर विधुत वितरण निगम लिमिटेड, अजमेर
- जोधपुर विधुत वितरण निगम लिमिटेड, जोधपुर
4. राजस्थान विधुत नियामक प्राधिकरण (RERA):
- स्थापना: 2 जनवरी, 2000
- मुख्यालय: जयपुर
- प्रमुख कार्य:
- विधुत कंपनियों को लाइसेंस जारी करना।
- विधुत दरें तय करना।
- विधुत कंपनियों का नियंत्रण और नियमन।
5. विद्युत विकास की उपलब्धियां:
- मार्च 2019 तक कुल उपभोक्ता संख्या: 156.30 लाख (2018 में 145.61 लाख)।
- ग्रामीण विद्युतीकरण:
- कुल ग्रामीण घर: 93.88 लाख
- विद्युतीकृत घर: 92.14 लाख
6. राजस्थान उर्जा विकास निगम लिमिटेड (RUVNL):
- स्थापना: 2015
- उद्देश्य: पावर ट्रेडिंग व्यवसाय को बढ़ावा देना।
7. बिजली उत्पादन के स्रोत:
- मार्च 2019 तक स्थापित क्षमता: 21,077.64 मेगावाट (21 गीगावॉट)।
- 2018-19 में क्षमता वृद्धि: 1524.87 मेगावाट।
8. निजी वितरण कंपनियां:
- भरतपुर, बीकानेर और कोटा में निजी कंपनियों के माध्यम से बिजली वितरण।
यह बिंदुवार विवरण राजस्थान के ऊर्जा विकास की पूरी तस्वीर प्रस्तुत करता है।