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राजस्थान की झीलें


राजस्थान की मीठे पानी की प्रमुख झीलें


1  जयसमंद झील / ढेबर झील (सलूम्बर)



  • विशेषताएं:

    • राजस्थान की सबसे बड़ी कृत्रिम झील।
    • निर्माण: मेवाड़ के राणा जयसिंह द्वारा 1687-91 में गोमती नदी का पानी रोककर।
    • अन्य नाम: ढेबर झील।
    • प्रमुख टापू:
      • सबसे बड़ा टापू: बाबा का भागड़ा।
      • सबसे छोटा टापू: प्यारी।
    • जलचरों की बस्ती: जलीय जीवों की सर्वाधिक जैव विविधता।
    • सिंचाई और जल आपूर्ति: उदयपुर जिले को पेयजल व श्यामपुरा और भट्टा नहरें।
    • पर्यटन: इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया।
  • एशिया का संदर्भ:

    • भारत और एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की कृत्रिम झील: गोविन्द सागर झील (भाखड़ा बांध, हिमाचल प्रदेश)।




2. राजसमंद झील (राजसमंद)


  • विशेषताएं:
    • निर्माण: मेवाड़ के महाराणा राजसिंह द्वारा 1662-76 में गोमती नदी का पानी रोककर।
    • अकाल राहत कार्य के रूप में इस झील का निर्माण।
    • नौ चौकी: झील का उत्तरी भाग, संगमरमर से बनी सीढ़ियां।
    • मंदिर और निर्माण:
      • घेवर माता और 10 भुजा वाली अंबा माता का मंदिर।
      • द्वारकाधीश मंदिर और दयाल शाह दुर्ग।
    • राजप्रशस्ति:
      • संसार की सबसे बड़ी प्रशस्ति, काले संगमरमर पर संस्कृत में उत्कीर्ण।
      • रचना: रणछोड़ भट्ट तैलंग।
      • आधारित: "अमरकाव्य वंशावली" पुस्तक।


3  पिछोला झील (उदयपुर)


  • निर्माण: 14वीं सदी में पिच्छू नामक बनजारे ने अपने बैल की स्मृति में बनाया।
  • विशेषताएं:
    • झील के टापू:
      • जगमंदिर: निर्माण महाराणा कर्णसिंह (1620 ई.) ने शुरू किया और महाराणा जगत सिंह प्रथम (1651 ई.) ने पूर्ण किया।
      • जगनिवास महल: महाराणा जगत सिंह द्वितीय ने 1746 ई. में बनवाया।
    • गलकी नटणी का चबूतरा: ऐतिहासिक स्थल।
    • राजमहल / सिटी पैलेस: निर्माण महाराणा उदयसिंह द्वारा।
    • सौर ऊर्जा नाव: राजस्थान में पहली बार सौर ऊर्जा से चलने वाली नाव यहां चलाई गई।
  • जल स्रोत: सीसारमा और बुझड़ा नदियां।
  • पर्यटन:
    • "लेक पैलेस" और "लेक गार्डन पैलेस" के रूप में विकसित।


4. नक्की झील (माउंट आबू)


  • निर्माण: ज्वालामुखी उद्भेदन से बनी प्राकृतिक (क्रेटर) झील।
  • विशेषताएं:
    • राजस्थान की सर्वाधिक ऊंचाई और सबसे गहरी झील
    • टॉड रॉक, नन रॉक, और कप्पल रॉक जैसी अद्भुत चट्टानें।
    • हाथी गुफा, चंपा गुफा, रामझरोखा, पैरट रॉक जैसे आकर्षण।
    • गरासिया जनजाति के लिए आध्यात्मिक केंद्र।
    • समीप "अर्बुजा देवी" मंदिर और झील में अस्थि विसर्जन।
  • धार्मिक महत्व:
    • माना जाता है कि देवताओं ने इसे अपने नाखूनों से बनाया था।


5 . पुष्कर झील (अजमेर)


  • निर्माण: ज्वालामुखीय उद्भेदन (काल्डेरा झील)।
  • धार्मिक महत्व:
    • आदितीर्थ, तीर्थराज, तीर्थों का मामा
    • पुष्करणा ब्राह्मणों द्वारा खुदाई और ब्रह्माजी द्वारा तीन कमल पुष्पों के गिरने से निर्माण की मान्यता।
    • कार्तिक पूर्णिमा पर मेला।
    • ब्रह्माजी का मंदिर (10वीं शताब्दी में पंडित गोकुलचंद पारीक द्वारा निर्मित)।
  • मुख्य तथ्य:
    • 52 घाट, जिनमें गांधी घाट, मेरी क्वीन जनाना घाट और जयपुर घाट प्रमुख।
    • दक्षिण भारतीय शैली का सबसे बड़ा मंदिर: श्री रंग जी का मंदिर


5. कोलायत झील (बीकानेर)


  • धार्मिक महत्व:
    • कपिल मुनि का आश्रम, जिन्हें "साख्य दर्शन के प्रणेता" कहा जाता है।
    • दीपदान और शिवालय में 12 शिवलिंग।
  • विशेषण: "राजस्थान का सुंदर मरूद्यान"।

6. सिलीसेढ़ झील (अलवर)


  • निर्माण: 1845 में महाराजा विनयसिंह द्वारा अपनी रानी के लिए।
  • विशेषण: "राजस्थान का नंदन कानन"।


7. उदयसागर झील (उदयपुर)


  • निर्माण: महाराणा उदयसिंह ने आयड़ नदी के पानी को रोककर बनवाई।
  • विशेषता: झील से निकलकर आयड़ नदी को "बेड़च नदी" कहा जाता है।

8. फॉय सागर (अजमेर)


  • निर्माण: अंग्रेज इंजीनियर फॉय के निर्देशन में बाढ़ राहत परियोजना के तहत बाडी नदी का पानी रोककर।
  • जल प्रबंधन: जलस्तर बढ़ने पर पानी आनासागर में भेजा जाता है।

9. बालसमंद झील (जोधपुर)


  • निर्माण: 1159 में परिहार शासक बालकराव ने।
  • विशेषता: झील के मध्य अष्ट खंभा महल।


10. गजनेर झील (बीकानेर)


  • विशेषता: इसे "पानी का शुद्ध दर्पण" कहा जाता है।

11. कायलाना झील (जोधपुर)
  • निर्माण: प्राकृतिक झील को महाराजा प्रताप सिंह ने वर्तमान स्वरूप दिया।
  • विशेषता:
    • दो पहाड़ियों के बीच स्थित।
    • माचिया सफारी पार्क (मरू वानस्पतिक उद्यान)।
    • "कागा की छतरियां"।


12. मोती झील (भरतपुर)

  • मोती झील, भरतपुर में स्थित एक महत्वपूर्ण झील है, जिसे रूपारेल नदी के पानी को रोककर बनाया गया था।
  • इसे भरतपुर की जीवन रेखा भी कहा जाता है, क्योंकि यह जल आपूर्ति का एक प्रमुख स्रोत है।
  • इस झील से नील हरित शैवाल प्राप्त होता है, जिसका उपयोग नाइट्रोजन युक्त खाद बनाने के लिए किया जाता है।

13. गड़सीसर झील (जैसलमेर)


  • यह झील जैसलमेर जिले में स्थित है और यह वर्षा के पानी से भरने वाली झील है।
  • गड़सीसर झील का निर्माण 14वीं सदी में राजा महरवाल गडसी द्वारा करवाया गया था।

14. सरदार समंद झील (पाली)


  • सरदार समंद झील पाली जिले में स्थित है और इसका निर्माण 1933 में महाराजा उम्मेद सिंह ने करवाया था।
  • झील के किनारे पर स्थित सरदार समंद झील महल महाराजा उम्मेद सिंह का गर्मियों में रहने का महल था, जो अब एक विरासत होटल बन चुका है।
  • कुछ पुस्तकों में इस झील को जोधपुर में भी बताया गया है।

15. बाई तालाब (बांसवाड़ा)

  • बाई तालाब बांसवाड़ा जिले के तेजपुर गांव के पास स्थित है। इसे महारावल जगमाल ने बनवाया था, और इसे आनंद सागर झील के नाम से भी जाना जाता है।
  • इसे लास बाई (ईडरवाली रानी लाछ कुवंरी) के द्वारा बनवाने का श्रेय दिया जाता है।

16. राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना (NLCP), राजस्थान


  • राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना (NLCP) केंद्र सरकार द्वारा 2001 में झीलों के संरक्षण के लिए बनाई गई योजना है।

  • इसका उद्देश्य प्रदूषित और अवक्रमित झीलों का संरक्षण और पुनरुद्धार करना है। योजना के तहत झीलों और अन्य जल निकायों जैसे तालाबों का संरक्षण किया जाता है।

  • राजस्थान में 6 झीलों को इस योजना के अंतर्गत शामिल किया गया है, जो इस प्रकार हैं:

    1. फतेह सागर, उदयपुर
    2. पिछोला, उदयपुर
    3. आना सागर, अजमेर
    4. पुष्कर, अजमेर
    5. नक्की, माउंट आबू, सिरोही
    6. मानसागर झील, जयपुर





*** राजस्थान की खारे पानी की प्रमुख झील: सांभर झील  ***



1 सांभर झील का भूगोल और इतिहास



  • स्थान: यह झील जयपुर की फुलेरा तहसील में स्थित है।
  • निर्माण: बिजोलिया शिलालेख के अनुसार, इसका निर्माण चौहान शासक वासुदेव ने करवाया था।
  • आकार: झील की लंबाई 32 किमी और चौड़ाई 3 से 12 किमी तक है।
  • क्षेत्रफल: लगभग 150 वर्ग किमी में फैली है। इसका जलग्रहण क्षेत्र 2500 वर्ग किमी है।
  • जल स्रोत: इसमें खारी, खण्डेला, मेन्था और रूपनगढ़ नदियाँ आकर मिलती हैं।

विशेषताएँ

  1. भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की आंतरिक झील: यह झील भारत में खारे पानी की सबसे बड़ी झील मानी जाती है।
  2. लवणीय मिट्टी: झील के तल में 20 मीटर मोटी लवणीय मिट्टी की परत है।
  3. नमक उत्पादन:
    • यह भारत के कुल नमक उत्पादन का 8.7% प्रदान करती है।
    • यहाँ नमक उत्पादन के लिए रेस्ता और क्यार विधियों का प्रयोग किया जाता है।
    • नमक उत्पादन का कार्य मार्च से मई के बीच होता है।
    • नमक उत्पादन का कार्य सांभर साल्ट लिमिटेड के अंतर्गत होता है।

अध्ययन और संरक्षण

  • विवाद: भू-गर्भ वैज्ञानिकों के अनुसार, झील के नमक का स्रोत वायु, जल, या स्थानीय चट्टानें हो सकती हैं।
  • रामसर साइट: सांभर झील को 23 मार्च 1990 को रामसर साइट घोषित किया गया था।
  • स्वदेश दर्शन योजना: झील को केंद्र सरकार की इस योजना में शामिल किया गया है।
  • सांभर लेक मैनेजमेंट प्रोजेक्ट: राजस्थान के 2022-23 के बजट में झील के विकास के लिए यह प्रोजेक्ट शुरू किया गया है।

संस्कृति और पर्यटन

  1. शाकंभरी माता का मंदिर: झील के किनारे स्थित शाकंभरी माता का मंदिर तीर्थों की नानी और देवयानी माता के रूप में प्रसिद्ध है।
  2. दादू दयाल का उपदेश: राजस्थान के कबीर माने जाने वाले दादू दयाल ने यहीं अपना पहला उपदेश दिया था।
  3. अकबर-जोधा विवाह: यह ऐतिहासिक विवाह भी सांभर झील के पास हुआ था।
  4. साल्ट म्यूजियम: रामसर साइट पर पर्यटकों के लिए एक साल्ट म्यूजियम बनाया गया है।

पक्षी प्रवास

  • झील पर कुरजां और राजहंस जैसे प्रवासी पक्षी आते हैं।
  • यहां स्पाइरूलीना नामक शैवाल पाया जाता है, जिसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है।

ऐतिहासिक संदर्भ

  • अंग्रेजी शासन: अंग्रेजों ने 1817 ई. में इस झील को लीज पर लिया था।
  • नमक समझौता: 1869 ई. में सांभर झील को लेकर अंग्रेजों ने नमक समझौता किया था।


2. पंचभद्रा झील (बालोतरा


  • स्थान: यह झील बालोतरा के पास स्थित है।
  • निर्माणकर्ता: इस झील का निर्माण पंचा भील ने करवाया था, इसलिए इसे पंचभद्रा कहा जाता है।
  • नमक की विशेषता:
    • झील से प्राप्त नमक का 98% सोडियम क्लोराइड होता है, जो इसे उच्च गुणवत्ता का बनाता है।
    • इस झील का नमक समुद्री नमक के समान होता है।

  • नमक उत्पादन विधि:

    • प्राचीन काल से खारवाल जाति के लगभग 400 परिवार मोरली वृक्ष की टहनियों से वायु रेस्ता विधि द्वारा नमक के स्फटिक (क्रिस्टल) तैयार करते हैं

3. डीडवाना झील ( डीडवाना )

  • स्थान: यह झील डीडवाना-कुचामन जिले में स्थित है और लगभग 4 वर्ग किमी में फैली हुई है।
  • विशेषता:
    • इस झील में सोडियम क्लोराइड की बजाय सोडियम सल्फेट पाया जाता है, जिससे यहाँ का नमक खाने योग्य नहीं होता।
    • यहां का नमक मुख्य रूप से रासायनिक क्रियाओं में उपयोग किया जाता है।
  • औद्योगिक इकाइयाँ:
    • झील के पास राज्य सरकार द्वारा "राजस्थान स्टेट केमिकल वर्क्स" के नाम से दो इकाइयाँ स्थापित की गई हैं।
    • ये इकाइयाँ सोडियम सल्फेट और सोडियम सल्फाइट का निर्माण करती हैं।
  • निजी नमक उत्पादन:
    • झील के आसपास कुछ निजी इकाइयाँ भी नमक उत्पादन करती हैं, जिन्हें "देवल" कहते हैं।
    • यहाँ पर पुराने पारंपरिक तरीकों से नमक का उत्पादन होता है।

महत्वपूर्ण तथ्य

  1. पंचभद्रा झील: उच्च गुणवत्ता वाला नमक उत्पादन (सोडियम क्लोराइड)।
  2. डीडवाना झील: रासायनिक नमक उत्पादन (सोडियम सल्फेट)।
  3. खारवाल समुदाय: पारंपरिक नमक निर्माण विधि में विशेषज्ञ।
  4. औद्योगिक महत्व: डीडवाना में सोडियम से संबंधित रासायनिक पदार्थों का निर्माण।


लूणकरणसर झील (बीकानेर)


  • स्थान: बीकानेर जिले में स्थित एक छोटी खारे पानी की झील।
  • महत्व:
    • उत्तरी राजस्थान की एकमात्र खारी झील है।
    • यहां से मिलने वाला नमक केवल स्थानीय लोगों की आवश्यकता पूरी करता है।
  • विशेषता:
    • लूणकरणसर मूंगफली के लिए प्रसिद्ध है।
    • इसे "राजस्थान का राजकोट" भी कहा जाता है।


नावां झील (डीडवाना)


  • स्थान: नावां, डीडवाना के पास स्थित।
  • विशेष योगदान:
    • यहां आदर्श लवण पार्क की स्थापना की गई है, जो नमक उत्पादन और संरक्षण में सहायक है।