1. जसनाथी सम्प्रदाय
| तथ्य | विवरण |
|---|---|
| संस्थापक | जसनाथ जी जाट |
| जन्म | 1482 ई., कतरियासर (बीकानेर) |
| प्रधान पीठ | कतरियासर (बीकानेर) |
| पवित्र ग्रंथ | सिमूदड़ा, कोडाग्रंथ |
| नियम | 36 नियमों का पालन |
| प्रचार संस्था | परमहंस मण्डली |
| विशेषता | अग्नि नृत्य व मतीरा फोड़ना |
| ज्ञान प्राप्ति स्थान | गोरखमालिया (बीकानेर) |
| सुल्तान द्वारा भूमि दान | सिकंदर लोदी |
| उप-पीठे | बमलू, लिखमादेसर, पूनरासर, मालासर (बीकानेर), पांचला (नागौर) |
2. दादू सम्प्रदाय
| तथ्य | विवरण |
|---|---|
| संस्थापक | दादू दयाल जी |
| जन्म | 1544 ई., अहमदाबाद (गुजरात) |
| उपनाम | कबीरपंथी |
| गुरु | वृद्धानंद जी |
| ग्रंथ | दादू वाणी, दादू जी रा दोहा |
| भाषा | सधुकड़ी |
| प्रधान पीठ | नरेना/नारायण (जयपुर) |
| तपस्या स्थान | भैराणा की पहाड़ियां |
| शिष्य | 52 शिष्य (गरीबदास, मिस्किन दास) |
| शाखाएं | खालसा, विरक्त, उत्तराधि, नागा, खाकी, स्थानधारी |
| विशेष क्रिया | मृत शरीर को जंगल में छोड़ा जाता है |
| सत्संग स्थल | अलख-दरीबा |
3. विश्नोई सम्प्रदाय
| तथ्य | विवरण |
|---|---|
| संस्थापक | जाम्भोजी |
| जन्म | 1451 ई., पीपासर (नागौर) |
| वंश | पंवार वंशीय राजपूत |
| प्रमुख ग्रंथ | जाम्भवाणी, जम्भ सागर, धर्म प्रकाश |
| नियम | 29 नियम |
| विशेषता | वन्यजीव सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण |
| प्रमुख स्थल |
मुकाम (बीकानेर), लालासर (बीकानेर), रामडावास (जोधपुर), जाम्भोलाव (जोधपुर), जांगलू, रोटू (नागौर) |
| प्रवर्तन | 1485 ई., समराथल धोरा (बीकानेर) |
| उपदेश स्थलों का नाम | सांथरी |
4. लाल दासी सम्प्रदाय
| तत्त्व | विवरण |
|---|---|
| संस्थापक | लाल दास जी |
| जन्म स्थान | धोली धूव गांव (अलवर) |
| ज्ञान की प्राप्ति | तिजारा (अलवर) |
| समाधि स्थल | शेरपुरा (अलवर) |
| प्रधान पीठ | नगला जहाज (भरतपुर) |
| लोकप्रिय क्षेत्र | मेवात क्षेत्र |
5. चरणदासी सम्प्रदाय
| तत्त्व | विवरण |
|---|---|
| संस्थापक | चरणदास जी |
| जन्म स्थान | डेहरा गांव (अलवर) |
| वास्तविक नाम | रणजीत सिंह डाकू |
| प्रधान पीठ | दिल्ली |
| पीठ (राज्य में) | नहीं |
| विशेषताएँ | नादिर शाह के आक्रमण की भविष्यवाणी |
| लोकप्रिय क्षेत्र | मेवात |
| प्रमुख शिष्याएं | दयाबाई (विनय मलिका, दयाबोध), सहजोबाई (सहज प्रकाश) |
6. प्राणनाथी सम्प्रदाय
| तत्त्व | विवरण |
|---|---|
| संस्थापक | प्राणनाथ जी |
| जन्म स्थान | जामनगर (गुजरात) |
| प्रधान पीठ | पन्ना (मध्यप्रदेश) |
| राज्य में पीठ | जयपुर |
| पवित्र ग्रंथ | कुलजम संग्रह (गुजराती भाषा में) |
नाथ सम्प्रदाय
| विषय | जानकारी |
|---|---|
| सम्प्रदाय | नाथ सम्प्रदाय (शैवमत की शाखा) |
| संस्थापक | नाथ मुनी |
| प्रमुख साधु | गोरखनाथ, गोपीचंद्र, मत्स्येन्द्रनाथ, आयस देवनाथ, चिड़िया नाथ, जालन्धरनाथ |
| प्रभावित शासक | मानसिंह (जोधपुर) |
| मुख्य मंदिर | महामंदिर (जोधपुर) |
| नाथ सम्प्रदाय की शाखाएं |
1. वैराग पंथी (राताडंगा, पुष्कर) 2. मानपंथी (महामंदिर, जोधपुर) |
रामस्नेही सम्प्रदाय
| विषय | जानकारी |
|---|---|
| सम्प्रदाय | रामस्नेही (वैष्णव निर्गुण भक्ति शाखा) |
| विशेषताएं | गुलाबी वस्त्र, दाढ़ी-मूंछ नहीं रखते |
| प्रधान पीठ | शाहपुरा (भीलवाड़ा) |
| प्राचीन पीठ | बांसवाड़ा |
| रामचरणदास जी | जन्म - सोडा ग्राम (टोंक), काव्य - अनुभवानी |
| चार शाखाएं |
1. शाहपुरा (भीलवाड़ा) - रामचरणदास जी 2. रैण (नागौर) - दरियाव जी 3. सिंहथल (बीकानेर) - हरिराम दास जी (रचना - निसानी) 4. खैडापा (जोधपुर) - रामदास जी |
संत किशनदास महाराज रामद्वारा मंदिर (टांकला, नागौर)
| विषय | जानकारी |
|---|---|
| संत परिचय | संत किशनदास जी, दरियाव जी साहब के चार प्रमुख शिष्यों में से एक |
| जन्म | विक्रम संवत 1746, माघ शुक्ला पंचमी |
| स्थान | टांकला गांव, नागौर (राजस्थान से 30 किमी दूर) |
| निर्माण प्रारंभ | वर्ष 2011 |
| निर्माण अवधि | 8 वर्षों में 200 कारीगरों द्वारा पूर्ण |
| लागत | ₹20 करोड़ |
| मंदिर की सामग्री | बलुआ पत्थर (गुजरात/दिल्ली अक्षरधाम जैसा), सीसा व तांबा (सीमेंट नहीं) |
| आकार | लंबाई: 100 फीट, चौड़ाई: 50 फीट, ऊंचाई: 52 फीट |
| खास विशेषताएं |
- मंदिर 88 खंभों पर टिका है - 10 क्विंटल तांबा व सीसा - पीतल की कीलों से दरवाज़े सज्जित - बारीक घड़ाई और बेजोड़ नक्काशी - एक भी लोहे की कील का उपयोग नहीं किया गया |
| देवल प्रतिष्ठा महोत्सव | 10 फरवरी को आयोजित |
| विशेष दावा | राजस्थान में सबसे उत्कृष्ट नक्काशी वाला मंदिर (मंदिर ट्रस्ट द्वारा) |
राजा राम सम्प्रदाय
| विवरण | जानकारी |
|---|---|
| संस्थापक | राजाराम जी |
| प्रधान पीठ | शिकारपुरा (जोधपुर) |
| लोकप्रिय क्षेत्र | मारवाड़ क्षेत्र |
| विशेषताएँ | संत राजा राम जी पर्यावरण प्रेमी व्यक्ति थे। उन्होंने वन तथा वन्य जीवों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। |
नवल सम्प्रदाय
| विवरण | जानकारी |
|---|---|
| संस्थापक | नवल दास जी |
| प्रधान पीठ | जोधपुर |
| लोकप्रिय क्षेत्र | जोधपुर व नागौर क्षेत्र |
अलखिया सम्प्रदाय
| विवरण | जानकारी |
|---|---|
| संस्थापक | स्वामी लाल गिरी |
| प्रधान पीठ | बीकानेर |
| क्षेत्र | चुरू व बीकानेर |
| पवित्र ग्रंथ | अलख स्तुति प्रकाशः |
निरजंनि सम्प्रदाय
| विवरण | जानकारी |
|---|---|
| संस्थापक | संत हरिदास जी (डकैत) |
| जन्म स्थान | कापडौद (नागौर) |
| प्रधान पीठ | गाढा (नागौर) |
| शाखाएं | 1. निहंग 2. घरबारी |
निष्कलंक सम्प्रदाय
| विवरण | जानकारी |
|---|---|
| संस्थापक | संत माव जी |
| जन्म स्थान | साबला ग्राम, आसपुर तहसील (डूंगरपुर) |
| ज्ञान प्राप्ति स्थल | बेणेश्वर धाम (डूंगरपुर) |
| पवित्र ग्रंथ / उपदेश | चैपड़ा (बागड़ी भाषा में) |
| लोकप्रिय क्षेत्र | बागड़ क्षेत्र, विशेषकर भील समुदाय में |
मीरा दासी सम्प्रदाय
| विवरण | जानकारी |
|---|---|
| संस्थापक | मीरा बाई |
| प्रधान पीठ | मेड़ता सिटी (नागौर) |
| जन्म स्थान | कुडकी ग्राम, जैतारण तहसील (पाली) |
| पिता | रत्न सिंह राठौड़ |
| दादा / परदादा | राव दूदा / राव जोधा |
| पति | भोजराज (राणा सांगा के पुत्र) |
| भक्ति भाव | श्रीकृष्ण को पति मानकर दासभाव से पूजा |
| अंतिम समय | राणछौड़ राय मंदिर, गुजरात में श्रीकृष्ण की मूर्ति में विलीन |
| प्रमुख मंदिर | चारभुजा नाथ मंदिर - मेड़ता सिटी चित्तौड़गढ़ दुर्ग में मीरा मंदिर |
| प्रमुख रचनाएं |
1. मीरा पदावलिया 2. नरसी जी रो मायरो (रतना खाती द्वारा, मीरा के निर्देशन में) |
| विवादित जन्म स्थान | कुछ इतिहासकार - बिजौली ग्राम (नागौर) |
संत धन्ना
| विवरण | जानकारी |
|---|---|
| जन्म स्थान | धुंवल गांव, टोंक जिला (राजस्थान) |
| जाति | जाट |
| गुरु | संत रामानंद जी |
| विचारधारा | निर्गुण भक्ति, सामाजिक समानता का संदेश |
| विशेषता | भक्ति आंदोलन के प्रमुख संत, गुरु ग्रंथ साहिब में वाणी शामिल |
संत पीपा
| विवरण | जानकारी |
|---|---|
| जन्म स्थान | गागरोनगढ़, झालावाड़ (राजस्थान) |
| पिता का नाम | कडावाराव खिंची |
| बचपन का नाम | प्रताप |
| सम्प्रदाय | क्षत्रिय दरजी सम्प्रदाय |
| मंदिर | समदड़ी (बाड़मेर) |
| गुफा | टोडाराय (टोंक) |
| समाधि स्थल | गागरोनगढ़ (झालावाड़) |
| विशेष उपाधि | राजस्थान में भक्ति का गौरव कटराता |
संत रैदास
| विवरण | जानकारी |
|---|---|
| गुरु | रामानंद जी |
| शिष्य | मीरा बाई |
| जाति | मेघवाल |
| स्थापना स्थल | छत्तरी - चित्तौड़गढ़ दुर्ग |
गवरी बाई
| विवरण | जानकारी |
|---|---|
| उपनाम | बागड़ की मीरा |
| प्रसिद्धि | श्रीकृष्ण की अनन्य भक्तिनी |
| मंदिर निर्माण | डूंगरपुर के महारावल शिवसिंह द्वारा |
| मंदिर का नाम | बाल मुकुन्द मंदिर (डूंगरपुर) |
भक्त कवि दुर्लभ
| विवरण | जानकारी |
|---|---|
| भक्ति | कृष्ण भक्त |
| उपनाम | राजस्थान का नृसिंह |
| क्षेत्र | बागड़ क्षेत्र के प्रमुख संत |
संत खेता राम जी
| विवरण | जानकारी |
|---|---|
| कार्यक्षेत्र | बाड़मेर |
| प्रमुख स्थान | आसोतरा (ब्रह्मा मंदिर का निर्माण) |
भक्ति धाराएं
| प्रकार | सम्प्रदाय |
|---|---|
| सगुण भक्ति धारा |
|
| निर्गुण भक्ति धारा |
|
| सगुण-निर्गुण मिश्रित |
|
वैष्णव धर्म सम्प्रदाय की शाखाएं
1. वल्लभ सम्प्रदाय / पुष्टि मार्ग
संस्थापक: आचार्य वल्लभाचार्य
प्रधान पीठ: श्रीनाथ मंदिर, नाथद्वारा (राजसमंद)
अन्य पीठें:
- विठ्ठलनाथ जी - नाथद्वारा
- द्वारिकाधीश जी - कांकरोली
- मथुरेश जी - कोटा
- गोकुलनाथ जी - गोकुल
विशेषताएं: कृष्ण के बालरूप की पूजा, अष्टछाप मंडली, पिछवाई कला का विकास
दर्शन: शुद्ध अद्वैत
2. निम्बार्क / हंस सम्प्रदाय
संस्थापक: आचार्य निम्बार्क
प्रधान पीठ: सलेमाबाद (अजमेर), रूपनगढ़ नदी के किनारे
विशेषताएं: राधा-कृष्ण युगल पूजा, परशुराम सागर ग्रंथ
दर्शन: द्वैताद्वैत
3. रामानुज / रामावत / रामानंदी सम्प्रदाय
संस्थापक: आचार्य रामानुज
राजस्थान में प्रचारक: कृष्णदास पयहारी (गलता, जयपुर)
अन्य पीठ: रेवासा (सीकर) - रसिक सम्प्रदाय
प्रसिद्ध शिष्य: कबीर, रैदास, संत पीपा
दर्शन: विशिष्ट अद्वैत
4. गौड़ सम्प्रदाय / ब्रह्म सम्प्रदाय
संस्थापक: चैतन्य महाप्रभु
प्रभाव क्षेत्र: वृंदावन, गोकुल
विशेषताएं: राधा-कृष्ण भक्ति, वैष्णव संगीत पर प्रभाव
दर्शन: अद्वैत भक्ति
शैवमत सम्प्रदाय की चार प्रमुख शाखाएं
1. कापालिक सम्प्रदाय
उपास्य: भैरव (भगवान शिव का अवतार)
विशेषताएं:
- तान्त्रिक विधियों का प्रयोग
- श्मशान में निवास
- अघोरी साधु कहलाते हैं
2. पाशुपत सम्प्रदाय
प्रवर्तक: लकुलीश (मेवाड़ से संबंधित)
विशेषताएं: दिन में कई बार भगवान शिव की पूजा
दर्शन: द्वैतवाद
3. लिंगायत सम्प्रदाय
प्रवर्तक: बसवेश्वर
विशेषताएं:
- लिंग धारण करने की परंपरा
- ब्राह्मण वर्चस्व का विरोध
- कर्मकांड का विरोध, सामाजिक सुधार पर बल
4. कश्मीर शैव सम्प्रदाय
दर्शन: अद्वैत शैव दर्शन (प्रत्यभिज्ञा दर्शन)
प्रवर्तक: वासुगुप्त, अभिनवगुप्त
विशेषताएं: आत्मा और शिव की एकता की अनुभूति
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