यौधेय क्षेत्र — गंगानगर + हनुमानगढ़
यौधेय राजस्थान के उत्तरी भाग में यौधेय एक शक्तिशाली कबीला था। यौधेय राजस्थान में कुषाण शक्ति को नष्ट करने में सफल रहे। राजस्थान में यौधेय गणतांत्रिक जनजाति के क्तसके्क सर्ााक्तधक प्राप्त हुए हैं। बृहत्संक्तहता (रचक्तयता- र्राहक्तमक्तहर) में इनके पतन की चर्चा है।
जांगल प्रदेश
बीकानेर + नागौर + जोधपुर का उत्तरी भाग राजधानी - अक्तहछत्ररपुर (र्तामान- नागौर)
शेखाराटी
चूरू + सीकर + झुंझुनू
मारवाड़
प्राचीन नाम - मरू प्रदेश; जोधपुर के आसपास का क्षेत्र
ढूंढाड़
जयपुर के आसपास का क्षेत्र
मेरवात क्षेत्र
मेरवात क्षेत्र की अधिकता — अलवर + भरतपुर
हाडोती क्षेत्र
चौहान वंश की हाडा शाखा ने राज्य किया — कोटा + बूंदी + बारां + झालराड़। मालव - टोंक। मालवों की कर्तजय का अभिलेख नादसा (भीलराड़ा) में मिलता है।
मालवों की शक्ति का केंद्र था — मालवनगर जिसे र्तामान में ककोटनगर कहा जाता था।
मेराड़ा
प्राचीन - क्षत्रिय जनपद का क्षेत्र — उदयपुर + चित्तौड़गढ़ + प्रतापगढ़ + राजसमंद + भीलराड़ा। क्षत्रिय जनपद का प्रारम्भिक उल्लेख सिक्कों पर किया गया।
रागड़
डूंगरपुर + बांसराड़ा — डूंगरपुर व बांसराड़ा के मध्य का भाग – दरैल/मेरक्तलया
बांगड़
जहाँ बाढ़ नहीं आती, पुरानी जलोढ़ मिट्टी पाई जाती है — सीकर + झुंझुनू + डीडराना-कूचामन
मालवा क्षेत्र
इंदौर + झाबुआ + नीमच + रतलाम + मंदसौर (मध्यप्रदेश) + प्रतापगढ़ + झालराड़। प्राचीन काल में अर्क्तन्त था जिसका उल्लेख 16 महाजनपदों में है।
मत्स्य जनपद
जयपुर + अलवर + भरतपुर। सर्वप्रथम उल्लेख — ऋग्वेद में मिलता है। महाभारत काल में राजधानी कतर्राटनगर (बैराि) थी।
बौद्ध ग्रंथ अंगुतरक् तनिकाय से हमें 16 महाजनपदों की सूची मिलती है, उनमें मत्स्य जनपद राजस्थान में था।
मत्स्य जनपद का शासक — कतर्राट
इसने कतर्राटनगर बसाया; यह स्थान चीनी यात्री ह्यूएनसांग (यूरानचांग) ने भी लिखा है। शतपथ ब्राह्मण में भी इसका उल्लेख मिलता है।
राजस्थान के अनेक भाग कुरू, शूरसेन, अर्क्तन्त (उत्तरी अर्क्तन्त की राजधानी उज्जयनी व दक्षणि मथिष्मती) महाजनपदों के अंतर्गत आते थे।
कुरू महाजनपद
अलवर का उत्तरी भाग — राजधानी: आधुक्तनक कदिल्ली (इन्द्रप्रस्थ)
शूरसेन महाजनपद
भरतपुर + धौलपुर + करौली — राजधानी: मथुरा। चौथी शताब्दी ई.पू. के यूनानी लेखकों ने इसका उल्लेख किया है।
अजुानायन
अलवर + भरतपुर — अजुानायनों ने मालवों के साथ मिलकर क्षेत्रीय क्षत्रपों को परास्त किया।
मांड / र्ल्ल / दुगल
जैसलमेर
गुजरात्रा
गुजार प्रतिहार ने शासन किया — जोधपुर का दक्षिणी भाग + भीनमाल (जालौर)
मेरवाड़ा
ब्यावर + अजमेर
जम्बुख - रण
केशोरायपाटन / आश्रम पाटन (बूंदी) — यहाँ जम्बुख (रीछों) की भरमार थी।
गलता (जयपुर)
उत्तर - तोताद्री — जयपुर का बनारस — मंकी रैली। गलता में रामानुज संप्रदाय का दक्षिण भारत के तोताद्री की तरह प्रभावी स्थान है।
ब्रह्मर्ता
भारत में सरस्वती और कृष्ण-सरितों के बीच का क्षेत्र। मनुस्मृति में नाम। महाभारत में क्तर्नाशन/क्तर्नशन नामक स्थान पर सरस्वती नदी के लुप्त होने का उल्लेख है। नोट - दृष्तुवती को आज यमुना कहा जाता है। सरस्वती नदी का उल्लेख ऋग्वेद में है।
क्षत्री जनपद
उदयपुर + चित्तौड़गढ़ क्षेत्र — राजधानी: मध्यक्तमका (नाम – नगरी/चित्तौड़गढ़) — बेडच नदी किनारे।
मध्यक्तमका का उल्लेख महाभारत, महाभाष्य, तथा पाणिनि की अष्टाध्यायी में मिलता है। नगरी में नहर के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
ब्रज नगर
झालरापाटन (झालराड़) — 'सिटी ऑफ बेल्स' (घंटियों का शहर)
सपादलक्ष
चौहान राजवंश का क्षेत्र — अजमेर + नागौर + सांभर
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