राजस्थान में लोक देवता मारवाड़ के पंच पीर
रामदेव जी, गोगा जी, पाबूजी, हरभू जी, मेहा जी
बाबा रामदेव जी (रामसापीर) - मारवाड़ के पंच पीरों में एक प्रमुख लोक देवता
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जन्म स्थान:
उपडू कसमेर गाँव, शिव तहसील, ज़िला बाड़मेर (राजस्थान) -
वंश:
तंवर वंशीय राजपूत -
माता-पिता:
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पिता: अजमल जी
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माता: मैणादे
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ध्वजा/नेजा:
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रामदेव जी की पहचान ध्वजा (झंडा) और नेजा (भाला) से होती है।
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नेजा सफेद या पाँच रंगों वाला होता है।
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कवि रूप में:
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रामदेव जी केवल लोकदेवता ही नहीं, कवि भी थे।
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उनकी रचना "चौबीस बाणियां" के नाम से प्रसिद्ध है।
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प्रतीक चिन्ह:
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"पगल्ये" (पदचिह्न) इनका प्रतीक है।
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लोकगीत:
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रामदेव जी के गीत को "ब्यावला" कहा जाता है,
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यह गीत राजस्थान का सबसे लंबा लोक गीत माना जाता है।
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भक्त समुदाय:
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उनके विशेष भक्तों को "रिखिया" (मेघवाल जाति के) कहा जाता है।
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गुरु:
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बालनाथ जी उनके गुरु थे।
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प्रमुख स्थल:
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रामदेवरा (रूणिचा), पोकरण तहसील, जिला जैसलमेर
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जन्म तिथि: भाद्रपद शुक्ल द्वितीया (बाबेरी बीज)
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मेला:
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रामदेवरा मेला भाद्र शुक्ल द्वितीया से एकादशी तक भरता है।
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इसमें देशभर से श्रद्धालु आते हैं।
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मुख्य आकर्षण - नृत्य:
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मेले में किया जाने वाला "तेरहताली नृत्य" बहुत प्रसिद्ध है।
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यह कामड़ संप्रदाय की महिलाएं करती हैं।
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प्रसिद्ध नृत्यांगना: मांगी बाई (उदयपुर)
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भगवान श्रीकृष्ण के अवतार:
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रामदेव जी को श्रीकृष्ण का अवतार माना जाता है।
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छोटा रामदेवरा:
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गुजरात में स्थित है।
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अन्य मंदिर:
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सुरताखेड़ा (चित्तौड़) और बिराठिया (अजमेर) में भी इनके मंदिर हैं।
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यात्री का नाम:
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इनके भक्तों को "जातरू" कहा जाता है।
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हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक:
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रामदेव जी को हिन्दू और मुसलमान दोनों समान श्रद्धा से पूजते हैं।
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मुस्लिम उन्हें "रामसापीर" कहते हैं।
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इन्हें "पीरों का पीर" कहा जाता है।
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सामाजिक कार्य:
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जातिवाद और भेदभाव मिटाने के लिए "जम्मा जागरण" अभियान चलाया।
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घोड़े का नाम:
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रामदेव जी का घोड़ा "लीला" था।
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डाली बाई:
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उन्होंने मेघवाल जाति की डाली बाई को अपनी बहन माना।
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फड़ वाचन परंपरा:
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उनकी फड़ (चित्र कथा) का वाचन मेघवाल या कामड़ संप्रदाय के लोग करते हैं।
2. गोगा जी (जाहरवीर गोगा)
मारवाड़ के पंच पीरों में एक प्रमुख लोक देव मूल जानकारी
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जन्म स्थान:
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ददरेवा (जिसे जेवरग्राम भी कहा जाता है),
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तहसील: राजगढ़, जिला: चुरू (राजस्थान)
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समाधि स्थल:
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गोगामेड़ी, तहसील नोहर, जिला हनुमानगढ़
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वंश:
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चौहान वंशीय राजपूत
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उपनाम / नाम:
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सांपों के देवता
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जाहर पीर (यह नाम उन्हें महमूद गजनवी ने दिया था)
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धर्मों में समान लोकप्रियता:
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हिन्दू और मुसलमान दोनों समुदायों में पूजनीय
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मुसलमान उन्हें पीर मानते हैं, हिन्दू देवता
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साहस व संघर्ष
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महान योद्धा:
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गोगा जी ने महमूद गजनवी से युद्ध लड़ा था
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वे धर्मरक्षक, नागों के संरक्षक, और साहसी राजा के रूप में प्रसिद्ध हैं
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गुरु:
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गोरखनाथ जी (नाथ संप्रदाय से संबंध)
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प्रमुख स्थल / संरचना
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प्रमुख स्थल:
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शीर्ष मेड़ी (ददरेवा)
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धुर मेड़ी (गोगामेड़ी, नोहर)
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ओल्डी (सांचैर, जालौर) – गोगा जी का प्रारंभिक थान
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निर्माण / पुनर्निर्माण:
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फिरोज शाह तुगलक ने गोगा मेड़ी का निर्माण करवाया
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बाद में महाराजा गंगा सिंह (बीकानेर) ने इसका पुनर्निर्माण करवाया
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मेड़ी का आकार:
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मकबरे के समान (मकबरेनुमा)
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यह हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है
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मुख्य द्वार पर:
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"बिस्मिल्लाह" खुदा हुआ है (इस्लामिक आस्था का संकेत)
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मुस्लिम पुजारी:
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जिन्हें "चायल" कहा जाता है
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गोगा जी के थान:
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अधिकतर खेजड़ी के वृक्ष के नीचे होते हैं
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अन्य बातें
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घोड़े का रंग:
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नीला घोड़ा, जिस पर सवार होकर युद्ध करते थे
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लोकवाणी / संगीत:
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गोगा जी की गाथाएं "फड़" के रूप में गाई जाती हैं
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इनमें "डेरू" नामक वाद्य यंत्र बजाया जाता है
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किसानों व लोक परंपरा से संबंध
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कृषि परंपरा:
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बुआई से पहले किसान गोगा जी के नाम की "राखड़ी"
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हल और हाली (जोतने वाला) को बांधते हैं
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यह अन्न उपज, फसल सुरक्षा और सांपों से रक्षा की कामना हेतु किया जाता है
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मेला और पशु व्यापार
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गोगा नवमी मेला:
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भाद्रपद कृष्ण नवमी (गोगा नवमी) को लगता है
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स्थल: गोगामेड़ी
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पशु मेला:
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इसी समय राज्य स्तरीय पशु मेला भी लगता है
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यह राजस्थान का सबसे लम्बा चलने वाला पशु मेला है
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विशेषताएँ: हरियाणवी नस्ल के पशुओं का व्यापार
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3. पाबूजी (ऊँटों के देवता)
मारवाड़ के पंच पीरों में तीसरे लोक देवता
मूल परिचय
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जन्म:
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13वीं शताब्दी (1239 ई.)
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स्थान: कोलू ग्राम, तहसील: फलोदी, जिला: जोधपुर
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वंश: राठौड़ वंशीय राजपूत
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विवाह:
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पत्नी: फूलमदे
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ससुराल: अमरकोट (अब पाकिस्तान में)
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पिता-in-law: सूरजमल सोडा
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पहचान / उपनाम
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लोक उपाधियाँ:
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ऊँटों के देवता
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प्लेग रक्षक देवता
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रेबारी (राइका) जाति के आराध्य देव
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गौरक्षक
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धार्मिक योद्धा
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विशेष बात:
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मारवाड़ में सबसे पहले ऊँट लाने का श्रेय पाबूजी को जाता है
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इसलिए ऊँट पालक रेबारी / राइका जाति इन्हें पूजती है
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राइका जाति का विशेष संबंध सिरोही से माना जाता हैवीरता से जुड़ी कथा
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प्रसिद्ध कथा:
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देवल चारणी की गायें
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गायों को पाबूजी के बहनोई - जिन्द राव खींचीं चुरा ले गए थे
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पाबूजी ने गायों को छुड़ाकर धर्म रक्षक की भूमिका निभाई
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प्रतीक चिन्ह:
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भाला लिए हुए घोड़े पर सवार योद्धा (अश्वारोही)
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घोड़ी का नाम: केसर कालमी
लोककला व साहित्य
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लोकगीत:
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पाबूजी के गीत “पवाड़े” कहलाते हैं
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इन गीतों में गणित वाद्य का प्रयोग होता है (लोक परंपरा का संगीत)
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फड़ गायन:
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राजस्थान की सबसे प्रसिद्ध फड़ “पाबूजी की फड़” है
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इसका रावणहत्था नामक वाद्य यंत्र के साथ वाचन किया जाता है
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फड़ का प्रदर्शन फडिया भोपाओं द्वारा किया जाता है
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जीवनी:
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"पाबू प्रकाश" नामक जीवनी
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लेखक: आंशिया मोड़ जी
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उत्सव व पूजा स्थल
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गेला / मेला:
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स्थान: कोलू ग्राम (फलोदी, जोधपुर)
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अवसर: चैत्र अमावस्या
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इस दिन पाबूजी का विशेष मेला भरता है
4. हरभू जी
सांखला राजपूतों के आराध्य लोकदेवता
मूल जानकारी
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जन्म स्थान:
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भूण्डोल/भूण्डेल गाँव, जिला नागौर (राजस्थान)
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वंश / कुल:
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सांखला राजपूत वंश
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संबंध:
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रामदेव जी के मौसेरे भाई
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इनका पारिवारिक रिश्ता भी लोकगाथाओं में वर्णित है
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आराध्य देव:
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विशेष रूप से सांखला राजपूतों के इष्ट देवता
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🛕 धार्मिक और ऐतिहासिक योगदान
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प्रमुख मंदिर:
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बेंगटी गाँव, जिला जोधपुर में स्थित है
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राव जोधा से संबंध:
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मण्डोर को मुक्त कराने के अभियान में
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हरभू जी ने राव जोधा को एक कटार भेंट की थी
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अभियान की सफलता के बाद,
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राव जोधा ने वेंगटी गाँव हरभू जी को भेंट में दिया
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पूजा परंपरा:
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हरभू जी के मंदिर में इनकी "गाड़ी" की पूजा होती है
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यह परंपरा उन्हें रथारूढ़ योद्धा के रूप में दर्शाती है
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गुरु:
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बालीनाथ जी (नाथ परंपरा से जुड़े संत)
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विशेष ज्ञान:
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हरभू जी शकुन शास्त्र (शुभ-अशुभ संकेतों का विज्ञान) के ज्ञाता माने जाते हैं
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5. मेहा जी
मांगलिया जाति के आराध्य लोक देवता
मूल जानकारी
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जातीय आराध्य:
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मांगलिया समुदाय (राजपूतों की एक उपशाखा) के ईष्ट देव
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प्रमुख मंदिर:
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बापणी गाँव, जिला जोधपुर
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घोड़े का नाम:
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किरड़ काबरा
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यह नाम मेहा जी के घोड़े के साहस और युद्ध में उपयोग के कारण प्रसिद्ध है
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मेला तिथि:
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भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को
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इस दिन बापणी गाँव में विशेष भक्तिभाव और उत्सव मनाया जाता है
वीर तेजा जी
जाटों के आराध्य लोकदेवता | गायों के रक्षक | कृषि के देवता मूल परिचय
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जन्म:
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तिथि: माघ शुक्ल चतुर्दशी, संवत् 1130
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स्थान: खरनाल, जिला नागौर
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वंश:
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जाट वंश
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इन्हें जाटों के आराध्य देवता के रूप में पूजा जाता है
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माता-पिता:
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माता: राजकुंवर
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पिता: ताहड़ जी
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विवाह:
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पत्नी: पैमल
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ससुर: पनेर नरेश रामचन्द
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उपनाम और पहचान
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लोकप्रिय उपाधियाँ:
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कृषि कार्यों के देवता
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गायों के रक्षक और मुक्ति दाता
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काला व बाला के देवता
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अजमेर क्षेत्र में ‘धोलियावीर’ के नाम से प्रसिद्ध
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कार्यक्षेत्र:
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विशेष रूप से हाड़ौती और अजमेर क्षेत्र में पूजे जाते हैं
शौर्य गाथा
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लोककथा में योगदान:
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लाछां गुजरी की गायों को मेर के मीणाओं से छुड़ाने के लिए युद्ध किया
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इसी युद्ध में वीर गति को प्राप्त हुए
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मृत्यु स्थान:
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सुरसरा, किशनगढ़ (अजमेर)
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यहाँ नागदेवता के डसने से वीरगति को प्राप्त हुए
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सैदरिया (नागौर):
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वह स्थान जहाँ तेजाजी को साँप ने डसा था, फिर भी उन्होंने वचन निभाया
सवारी और प्रतीक
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घोड़ी का नाम:
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लीलण (या सिंणगारी) – यह नाम तेजाजी की वीरता के साथ जुड़ा है
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प्रतीक चिन्ह:
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तलवार हाथ में लिए अश्वारोही योद्धा
🛕 मंदिर व धार्मिक आयोजन
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मुख्य मंदिर / स्थल:
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खरनाल (जन्मस्थान)
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सुरसरा (वीरगति स्थल)
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सैदरिया, भावन्ता, ब्यावर भी प्रमुख स्थल हैं
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पुजारी वर्ग:
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इनके पुजारी "घोडला" कहलाते हैं
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मेला व तिथि:
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भाद्रपद शुक्ल दशमी को मेला भरता है
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इसे "तेजा दशमी" कहा जाता है
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परबतसर (नागौर) में सबसे प्रमुख मेला होता है
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राज्य स्तरीय पशु मेला:
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वीर तेजाजी मेले के साथ एक बड़ा पशु मेला भी लगता है
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यह मेला राज्य सरकार को सबसे अधिक राजस्व देने वाला पशु मेला है
7. देवनारायण जी
गुर्जर समुदाय के आराध्य देव | विष्णु के अवतार | चमत्कारी लोक पुरुष
मूल परिचय
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जन्म स्थान:
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आसीन्द, जिला भीलवाड़ा (राजस्थान)
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पिता:
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सवाई भोज (लोकनायक योद्धा)
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गुर्जर समाज के महान नायक
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माता:
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सेडू खटाणी
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जन्म नाम:
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उदयसिंह थान
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विवाह:
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पीपलदे, राजा जयसिंह (धार, मध्यप्रदेश) की पुत्री
जातीय पहचान व धार्मिक मान्यता
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जातीय संबंध:
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गुर्जर जाति के आराध्य देवता
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गुर्जर समाज का व्यवसाय:
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मुख्य रूप से पशुपालन
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धार्मिक मान्यता:
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देवनारायण जी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है
उपनाम व विशिष्टताएँ
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लोकप्रिय उपनाम:
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चमत्कारी लोक पुरुष
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घोड़े का नाम:
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लीलागर
प्रमुख स्थल व मंदिर
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प्रमुख स्थल:
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सवाई भोज मंदिर, आसीन्द (भीलवाड़ा)
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देवधाम जोधपुरिया, टोंक
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जोधपुरिया का महत्व:
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यहीं पर देवनारायण जी ने अपने शिष्यों को पहली बार उपदेश दिए
मेला और आयोजन
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मुख्य मेला तिथि:
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भाद्रपद शुक्ल सप्तमी को मेला भरता है
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फड़ का महत्व:
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राजस्थान की सबसे लंबी फड़
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‘जन्तर’ नामक वाद्य यंत्र फड़ वाचन में प्रयोग होता है
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भारत सरकार द्वारा मान्यता:
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देवनारायण जी की फड़ पर ₹5 का डाक टिकट भी जारी हो चुका है
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अनूठी पूजा परंपरा:
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इनके मंदिरों में एक "ईंट" की पूजा की जाती है
8. देवबाबा जी
गुर्जर जाति के लोकदेवता | ग्वालों के रक्षक
मुख्य जानकारी:
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जन्म स्थान:
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नगला जहाज, जिला भरतपुर (राजस्थान)
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जातीय पहचान:
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गुर्जर जाति के आराध्य देव
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उपनाम:
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ग्वालों का पालनहारा (गाय-बकरियों की रक्षा करने वाले)
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मेला तिथि:
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भाद्रपद शुक्ल पंचमी को मेला आयोजित होता है
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9. वीर कल्ला जी
योगी योद्धा | चित्तौड़ के रक्षक | मीरा बाई के भतीजे
मुख्य जानकारी:
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जन्म स्थान:
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मेड़ता, जिला नागौर
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गुरु:
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योगी भैरवनाथ
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उपनाम:
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शेषनाग का अवतार
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चार भुजाओं वाले देवता
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मृत्यु (वीरगति):
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सन् 1567 ई., चित्तौड़गढ़ के तृतीय साके में
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अकबर की सेना से लड़ते हुए वीरगति प्राप्त की
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पारिवारिक संबंध:
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मीरा बाई की बुआ का बेटा (मीरा बाई की बुआ का पुत्र होने के कारण धार्मिक और योद्धा परंपरा से जुड़ा)
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विशेष ज्ञान:
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योगाभ्यास और आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों में पारंगत
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लोकप्रियता क्षेत्र:
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विशेष रूप से दक्षिण राजस्थान में इनकी मान्यता है
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10. मल्लिनाथ जी
राजपूत योद्धा | पशु मेले के जनक | बाड़मेर गौरव
मुख्य जानकारी:
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जन्म स्थान:
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तिलवाड़ा, जिला बाड़मेर
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पिता:
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जाणीदे रावल सलखा
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मेला स्थल:
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लूणी नदी के किनारे, तिलवाड़ा (बाड़मेर)
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मेला तिथि:
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चैत्र कृष्ण एकादशी से चैत्र शुक्ल एकादशी तक भरता है
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मेला का महत्व:
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मल्लिनाथ जी के राज्याभिषेक की स्मृति में आयोजित
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इसके साथ-साथ राजस्थान का प्रसिद्ध पशु मेला भी होता है
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पशु व्यापार:
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विशेष रूप से थारपारकर और कांकरेज नस्ल के पशुओं का व्यापार
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स्थानीय विरासत:
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गुड़ामलानी (बाड़मेर) कस्बे का नाम मल्लिनाथ जी के नाम पर रखा गया है
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11. डूंगजी-जवाहर जी
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क्षेत्र: शेखावटी
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विशेषता: अमीरों और अंग्रेजों से धन लूटकर गरीब जनता में बांटते थे।
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लोकप्रिय देवता।
12. बिग्गा जी / वीर बग्गा जी
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समाज: जाखड़ समाज के कुलदेवता
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जन्म स्थान: जांगल प्रदेश (बीकानेर)
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परिवार: जाट परिवार
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वीरगति: मुस्लिम लुटेरों से गाय छुड़ाते समय
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मंदिर: बीकानेर
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माता-पिता: सुलतानी-रावमोहन
13. पंचवीर जी
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क्षेत्र: शेखावटी
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समाज: शेखावत समाज के कुलदेवता
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मंदिर: अजीतगढ़ (सीकर)
14. पनराज जी
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जन्म स्थान: नगा ग्राम (जैसलमेर)
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मंदिर: पनराजसर (जैसलमेर)
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भूमिका: जैसलमेर क्षेत्र के गौरक्षक देवता
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वीरगति: काठौड़ी ग्राम के ब्राह्मणों की गाय छुड़ाते हुए
15. मामादेव जी
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उपनाम: बरसात के देवता
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क्षेत्र: पश्चिमी राजस्थान
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पूजा विधि: भैंसे की बली दी जाती है
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मंदिरों की खासियत: मूर्ति के स्थान पर लकड़ी के बने कलात्मक तौरण होते हैं
16. इलोजी जी
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उपनाम: छेड़छाड़ वाले देवता
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क्षेत्र: जैसलमेर (पश्चिमी क्षेत्र)
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मंदिर: इलोजी (जैसलमेर)
17. तल्लीनाथ जी
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वास्तविक नाम: गागदेव राठौड़
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गुरु: जलन्धरनाथ (लेकिन तल्लीनाथ का नाम जलन्धरनाथ ने नहीं दिया)
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पंचमुखी पहाड़: पांचोटा ग्राम (जालौर) के पास
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मूर्ति: घुड़सवार के रूप में बाबा तल्लीनाथ की मूर्ति वहाँ स्थापित है
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शासन: शेरगढ़ (जोधपुर) ढिकान पर शासन किया
18. भोमिया जी
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भूमिका: भूमि रक्षक देवता
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पूजन: गांव-गांव में पूजे जाते हैं।
19. केसर कुवंर जी
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संबंध: गोगा जी के पुत्र
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विशेषता: इनके थान (स्थान) पर सफेद ध्वजा फहराई जाती है।
20. वीर फता जी
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जन्म स्थान: सांथू गांव (जालौर)
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मेला: सांथू गांव में प्रतिवर्ष भाद्रपद सुदी नवमी को मेला लगता है।
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वीरगति से जुड़े महत्वपूर्ण घटनाएं:
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लाछा/लाछन गुजरी की गायों को मेर के मीणाओं से छुड़वाया — तेजा जी ने
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देवल चारणी की गायों को जिन्दराव खींची से छुड़वाया — पाबूजी ने
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महमूद गजनवी से युद्ध कर गौरक्षार्थ — गोगा जी ने
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मुस्लिम लुटेरों से गायों को छुड़वाया — बिग्गा जी/बग्गा जी ने
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काठौड़ी ग्राम के ब्राह्मणों की गायों को छुड़वाया — पनराज जी ने
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